रांची : बाल विवाह से इनकार कर शिक्षा का दामन थाम लिया, रूमी को हौसले से मिली जीने की राह
II प्रवीण मुंडा II रांची : हमारे आसपास साधारण से दिखने वाले चेहरों में कई ऐसे होते हैं, जो असाधारण काम से समाज के लिए मिसाल बनते हैं. ऐसे ही लोगों में एक है रूमी कुमारी. रूमी की बड़ी बहनों का विवाह कम उम्र में हो गया था. उसने विवाह के बाद होने वाले उनके […]
II प्रवीण मुंडा II
रांची : हमारे आसपास साधारण से दिखने वाले चेहरों में कई ऐसे होते हैं, जो असाधारण काम से समाज के लिए मिसाल बनते हैं. ऐसे ही लोगों में एक है रूमी कुमारी. रूमी की बड़ी बहनों का विवाह कम उम्र में हो गया था. उसने विवाह के बाद होने वाले उनके कष्ट को देखा था. जब रूमी के अभिभावक उसकी शादी करना चाहते थे, तो उसने इसका विरोध किया अौर शिक्षा का दामन थामा. कस्तूरबा गांधी बालिका स्कूल में पढ़ने के दौरान सेव द चिल्ड्रेन के जीवन कौशल शिक्षा कार्यक्रम से जुड़ी. इससे उसे जीवन जीने के नये नजरिये को समझने का मौका मिला.
रूमी बुढ़मू के पाहनटोली की रहने वाली है. कमजोर आर्थिक स्थिति की वजह से उसके घर वालों ने उसे बिहार के किसी शहर में काम के लिए भेज दिया. वहां उसे यह कह कर ले जाया गया था कि उसे पढ़ाया भी जायेगा. पर साल भर काम करने के बाद न तो पढ़ाया गया अौर न ही कोई पैसा मिला.
वहां से रूमी ने निकलने का फैसला किया. यह कह कर कि अपने मां-बाप से मिल कर वह वापस आ जायेगी. रूमी ने घर भेजने की बात कही. रूमी को रांची की बस में बिठा दिया गया, जहां से वह अपने घर पहुंची.
घरवालों ने फिर से काम के लिए बाहर भेजा
कुछ समय के बाद रूमी को फिर से बाहर काम के लिए भेजा गया. एक बार फिरसे वह प्रताड़ित हुई. रूमी वापस अपने घर पहुंची. यह देख घरवालों ने रूमी की शादी करानी चाही. उस समय उसकी उम्र करीब दस साल थी. अपनी छह बहनों अौर दो भाई (कुल आठ-भाई बहनों) में रूमी छठे नंबर पर है. उसने अपनी चार बहनों का बाल विवाह होते देखा था. एक बहन की शादी, तो छह साल की उम्र में ही हो गयी थी. रूमी ने साफ कहा कि वह शादी नहीं करेगी. सिर्फ इतना ही नहीं बाद में उसने अपने छोटे भाई-बहन की शादी का भी विरोध किया.
स्कूल के कुक ने कराया रूमी का नामांकन
रूमी के सामने बड़ा सवाल यह था कि आगे वह क्या करे, क्योंकि उसके पास कुछ साधन नहीं था. उसके गांव का एक व्यक्ति कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में कुक था. उसके सहयोग से रूमी ने विद्यालय में नामांकन लिया.
पढ़ाई में उसने अपना सबकुछ झोंक दिया. कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय से उसने दसवीं अौर बारहवीं की पढ़ाई की. अभी वह राम लखन सिंह यादव कॉलेज से बीए प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रही है. वह पुलिस अफसर बन कर समाज के लिए काम करना चाहती है, खासकर ऐसे बच्चों के लिए जो ट्रैफिकिंग का शिकार हो जाते हैं.