उषा मार्टिन ने 16 किसानों को नाबार्ड से जोड़ा

रांची : उषा मार्टिन कारखाने के ईद-गिर्द के गांवों में सीएसआर के तहत ड्रिप इरिगेशन यानी टपक सिंचाई को बढ़ावा दिया जा रहा है. सिंचाई की यह विशेष विधि है, जिसमें पानी और खाद की बचत होती है. इसमें पानी को पौधों की जड़ों पर बूंद–बूंद कर सिंचाई की जाती है. पहले चरण में सीएसआर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 1, 2018 12:23 AM

रांची : उषा मार्टिन कारखाने के ईद-गिर्द के गांवों में सीएसआर के तहत ड्रिप इरिगेशन यानी टपक सिंचाई को बढ़ावा दिया जा रहा है. सिंचाई की यह विशेष विधि है, जिसमें पानी और खाद की बचत होती है. इसमें पानी को पौधों की जड़ों पर बूंद–बूंद कर सिंचाई की जाती है. पहले चरण में सीएसआर टीम के माध्यम से किसानों एवं ग्रामीणों को जागरूक बनाया गया. इसके बाद इससे किसानों के खेतों को दिखाया जाता है, ताकि किसान इस विधि को अपनायें.

उषा मार्टिन सीएसआर हेड डॉ मयंक मुरारी ने बताया कि पिछले दो माह में 16 से अधिक किसान इस विधि से लाभान्वित हो चुके हैं. चतरा गांव में अशोक कुजूर, संदीप कच्छप, कृष्णा उरांव, दिलीप महतो, हेसल में धर्मनाथ महतो, पोल कच्छप, दिनेश महतो, मासु में रासो देवी, टाटी में प्रवीण महतो, महिलौंग में आशाराम महतो, बड़ाम में प्रदीप मुंडा, कवाली में अनमोल लकड़ा, सतीष मिंज, आरा में जितरा मुंडा, राजा उलातु में तेफील लकड़ा और प्रदीप लकड़ा आदि किसानों ने इसे अपने खेतों में लगाया है.

बागवानी विशेषज्ञ सचिंद्र कुमार गांव में किसानों को ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से नकदी फसल, सब्जी एवं फल के पैदावार को बढ़ाने का प्रशिक्षण मुहैया करा रहे हैं. नाबार्ड के दिनेशजी ने बताया कि लाभुक किसानों को नाबार्ड के माध्यम से खेत को दिखाया जाता है. चयनित होने के पश्चात किसान को एक एकड़ जमीन में ड्रिप इरिगेशन लगवाने के लिए सात से आठ हजार रुपये खर्च करना होता है. इस एवज में कंपनी की ओर से किसान को वाल्ब, पाइप, नली एवं एमिटर प्रदान किया जाता है. इसके अलावा कंपनी ही किसानों के ड्रिप इरिगेशन की तीन साल तक देखरेख करती है. बाजार में इतनी ही जमीन में ड्रिप इरिगेशन लगाने के लिए 70 हजार से ज्यादा खर्च करना होता है.

एक एकड़ जमीन में लगवाने के लिए
सात से आठ हजार रुपये खर्च
ड्रिप इरिगेशन से खेती करना आसान बना : प्रवीण
टाटी गांव निवासी प्रवीण महतो की पहचान अब एक सफल किसान के रूप में होती है. उनके पिता सुरेश महतो उषा मार्टिन में कार्यरत हैं, लेकिन प्रवीण का पूरा ध्यान खेती की उपज को आमदनी से जोड़ने की ओर है. पिछले साल चतरा गांव में सीएसआर के तहत उनका नया कुआं बनाया गया, जिससे उन्होंने 55 डिसमिल जमीन पर पहली बार श्रीविधि से धान की खेती की. खेती में दुगुनी पैदावार से उत्साहित प्रवीण महतो ने उषा मार्टिन के ग्रामीण समन्वयक भुवनेश्वर महतो के सहयोग से अपनी टाटी पूर्वी की 80 डिसमिल जमीन को ड्रिप इरिगेशन से न केवल जोड़ा है, बल्कि तरबूज की खेती भी की है.
सब्जी की खेती संभव हुआ : सतीश मिंज
केवाली गांव निवासी सतीश मिंंज का कहना है कि ड्रिप इरिगेशन गरीब किसानों के लिए वरदान साबित हुआ है. इससे सब्जी की खेती संभव हो सकती है. पिछले साल सतीश मिंंज ने 40 डिसमिल में टमाटर की खेती की थी, जिस पर खर्च 15 हजार हुआ था. इससे कुल फायदा 45 हजार का हुआ था. मटर की खेती 25 डिसमिल में खर्च पांच हजार, लेकिन फायदा 12 हजार का हुआ.

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