रांची : 500 स्कूल-कॉलेजों के अनुदान का 43 करोड़ लैप्स

रांची : राज्य के लगभग 500 वित्तरहित शिक्षण संस्थानों को वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए अनुदान नहीं मिल सका. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग से 31 मार्च को राशि का आवंटन किया गया. जिलों में देर शाम तक राशि की निकासी नहीं हो सकी. राशि निकासी नहीं होने के कारण अनुदान की राशि लैप्स हो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 2, 2018 9:02 AM
रांची : राज्य के लगभग 500 वित्तरहित शिक्षण संस्थानों को वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए अनुदान नहीं मिल सका. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग से 31 मार्च को राशि का आवंटन किया गया. जिलों में देर शाम तक राशि की निकासी नहीं हो सकी. राशि निकासी नहीं होने के कारण अनुदान की राशि लैप्स हो गयी. स्थापना अनुमति प्राप्त हाइस्कूल, इंटर कॉलेज, संस्कृत स्कूल व मदरसा को राशि से अनुदान मिलना था.
झारखंड राज्य वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने कहा है कि राज्य में पहली बार ऐसा हुआ है, जब अनुदान की राशि लैप्स हो गयी है. मोर्चा ने कहा कि विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण अनुदान की राशि लैप्स हो गयी. वित्तीय वर्ष 2017-18 में अनुदान के लिए सितंबर 2017 में भी आवेदन जमा करने की प्रक्रिया पूरी हो गयी थी. विभाग छह माह में आवंटन की प्रक्रिया पूरी नहीं कर सका. झारखंड राज्य वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने मुख्यमंत्री से इसकी उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है. अनुदान राशि नहीं मिलने से वित्त रहित शिक्षण संस्थानों के लगभग दस हजार शिक्षक व कर्मचारी को वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए एक भी पैसा नहीं मिल सकेगा. इन शिक्षण संस्थानों में पांच लाख से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं.
मोर्चा ने की बैठक
रांची. झारखंड राज्य वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा की बैठक रविवार को हुई. बैठक में अनुदान की राशि लैप्स होने पर आक्रोश व्यक्त किया गया.
बैठक में निर्णय लिया गया कि राशि लैप्स होने के विरोध में चार अप्रैल को राज्य भर के स्थापना अनुमति प्राप्त हाइस्कूल, इंटर कॉलेज, मदरसा व संस्कृत स्कूल में शैक्षणिक हड़ताल रहेगी. छह अप्रैल को मोर्चा की फिर बैठक होगी. इसमें आंदोलन की घोषणा की जायेगी. बैठक में रघुनाथ सिंह, सुरेंद्र झा, हरिहर प्रसाद कुशवाहा, अरविंद कुमार सिंह, विजय झा, नरोत्तम सिंह, देवनाथ सिंह, देवनाथ सिंह समेत अन्य लोग शामिल थे.
नियमावली की अनदेखी
मोर्चा ने कहा है कि अनुदान वितरण की प्रक्रिया में नियमावली की अनदेखी भी राशि लैप्स करने का कारण बना. वित्तीय वर्ष 2017-18 के पूर्व वित्त समिति की बैठक होती थी. बैठक में अनुदान की पात्रता रखने वाले शिक्षण संस्थानों को अनुदान की राशि आवंटित कर दी जाती थी.
उसके बाद निदेशालय से ही बिल पास करने के लिए कोषागार भेज दिया जाता था. इसके बाद बैंक आरटीजीएस के माध्यम से संस्थान को राशि भेज देता था. वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए नियम को बदल दिया गया. राशि अंतिम समय में जिला शिक्षा पदाधिकारी को भेज दी गयी, जिस कारण राशि लैप्स हो गयी.

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