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रांची नगर निकाय चुनाव :प्रतिद्वंद्वी को अयोग्य ठहराने में ज्यादा जोर लगा रहे प्रत्याशी

रांची : प्रत्याशियों की प्रतिद्वंद्विता नगर निकाय चुनाव को रोचक बना रही है. उम्मीदवार अपने विरोधियों की खामियां गिना वोट के जुगाड़ में लगे हुए हैं. वर्तमान पार्षदों और पार्षद पतियों के खिलाफ तो चुनावी दुश्मनों की पूरी फौज प्रचार में जुटी है. ऐसे में कई प्रत्याशी अपनी ऊर्जा खुद के चुनाव जीतने की जगह […]

रांची : प्रत्याशियों की प्रतिद्वंद्विता नगर निकाय चुनाव को रोचक बना रही है. उम्मीदवार अपने विरोधियों की खामियां गिना वोट के जुगाड़ में लगे हुए हैं. वर्तमान पार्षदों और पार्षद पतियों के खिलाफ तो चुनावी दुश्मनों की पूरी फौज प्रचार में जुटी है. ऐसे में कई प्रत्याशी अपनी ऊर्जा खुद के चुनाव जीतने की जगह अपने प्रतिद्वंद्वी को अयोग्य साबित करने में लगा रहे हैं.
ऐसे प्रत्याशी उपायुक्त सह निर्वाचन पदाधिकारी से लेकर राज्य निर्वाचन आयोग तक में शिकायती पत्र लेकर दौड़ लगा रहे हैं. इलेक्शन पिटीशन दायर कर रहे हैं. निर्वाचन आयोग में राज्य के विभिन्न हिस्सों से दर्जनों की संख्या में शिकायतें डाली गयी हैं. सबसे ज्यादा शिकायतें आरक्षित वार्डों से दायर की गयी हैं. प्रत्याशियों पर गलत तरीके से जाति प्रमाण पत्र बनाने और जानकारी छिपाने से संबंधित आरोप लगाये गये हैं.
ऐसी-एसी शिकायतें पहुंच रही हैं आयोग के पास : रांची नगर निगम में ओबीसी आरक्षित वार्ड 28 से चुनाव में खड़ी एक महिला प्रत्याशी के अन्य जाति से होने की शिकायत है. इसी तरह वार्ड 30 की एक अन्य महिला प्रत्याशी पर गलत तरीके से जाति प्रमाण पत्र तैयार कराने का आरोप है.
मधुपुर नगर परिषद की एक महिला प्रत्याशी पर जानकारी छिपाते हुए चुनाव लड़ने का आरोप है. उनके कांट्रेक्ट पर सरकारी कर्मचारी यानी लाभ के पद पर रहते हुए चुनाव में खड़े होने की शिकायत आयोग से की गयी है. शिकायतकर्ता रोज आयोग और पदाधिकारियों के पास चक्कर लगा कर प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी को चुनाव लड़ने से रोकने की गुहार लगा रहे हैं.
इलेक्शन पिटीशन की सुनवाई पूरी होने तक नहीं हो सकता निबटारा
राज्य निर्वाचन आयोग में की जा रही शिकायतों का निबटारा इलेक्शन पिटीशन की सुनवाई पूरी होने तक नहीं हो सकती है. सुनवाई के दौरान किसी भी प्रत्याशी के चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगायी जा सकती है. यानी, स्क्रूटनी में सही पाये गये प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने से अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है.
आयोग द्वारा इलेक्शन पिटीशन की सुनवाई पूरी होने के बाद ही किसी भी प्रत्याशी को अयोग्य ठहराया जा सकता है. अगर चुनाव जीतने वाला कोई प्रत्याशी सुनवाई के बाद अयोग्य पाया जायेगा, तो वह पद पर नहीं बना रह सकता है.

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