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रांची नगर निकाय चुनाव : पार्टियों ने सिंबल तो थमा दिया पर चुनावी खर्च से हाथ समेटा

रांची : निकाय चुनाव में मेयर-डिप्टी मेयर और जिला परिषद के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव दलगत आधार पर हो रहा है. पार्टियों ने अपने रणबाकुरे भी मैदान में उतारे हैं. कहीं पुराना, तो कहीं नया चेहरा चुनावी मैदान में है. लेकिन, दिक्कत यह है कि पार्टियों ने अपने कार्यकर्ता-नेता को सिंबल थमा कर प्रत्याशी […]

रांची : निकाय चुनाव में मेयर-डिप्टी मेयर और जिला परिषद के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव दलगत आधार पर हो रहा है. पार्टियों ने अपने रणबाकुरे भी मैदान में उतारे हैं. कहीं पुराना, तो कहीं नया चेहरा चुनावी मैदान में है.
लेकिन, दिक्कत यह है कि पार्टियों ने अपने कार्यकर्ता-नेता को सिंबल थमा कर प्रत्याशी तो बना दिया है, लेकिन उनके लिए तिजोरियां नहीं खोल रहीं. पार्टी के स्तर पर खर्चे नहीं हो रहे हैं. इसके बजाय नेताओं और कार्यकर्ताओं को ही अपने स्तर से चुनाव के लिए फंड जुटाने का टास्क मिल रहा है.
पहले प्रत्याशियों को भी चुनावी दंगल में उतरने का रोमांच था. जोड़-तोड़ से टिकट तो ले लिया, लेकिन अब खर्च का जुगाड़ करने में उनके पसीने छूट रहे हैं. हर दिन का प्रचार-प्रसार महंगा पड़ रहा है. चुनावी अभियान, प्रचार-प्रसार में रोजना लाखों रुपये का खर्च गिर रहा है.
गाड़ी से लेकर कार्यकर्ता को मैनेज करना पड़ रहा है. शहर में मेयर-डिप्टी मेयर के चुनावी कार्यालय मोहल्ले-वार्ड में खुलने का सिलसिला जारी है, लेकिन चुनाव के खर्च में टोटा है. कार्यालय का खर्च कई प्रत्याशी उठाने में सक्षम नहीं हैं. इधर, कार्यकर्ताओं का मन-मिजाज नहीं बन रहा है.
चुनावी खर्च से प्रत्याशियों के भी छूट रहा है पसीना, प्रचार-प्रचार में लाखों खर्च
लाख रुपये तक है एक दिन का चुनावी खर्च
मेयर-डिप्टी मेयर का चुनाव महंगा हुआ है. मेयर-डिप्टी मेयर के चुनावी अभियान में हर दिन हजारों का खर्च है. राजनीति दलों के लोगों से मिली सूचना के मुताबिक मेयर-डिप्टी मेयर के प्रत्याशी का चुनावी खर्च एक दिन में लाखों तक पहुंच रहा है. प्रचार वाहन से लेकर कार्यकर्ताओं के खाने-पीने तक की व्यवस्था करनी पड़ रही है. मेयर-डिप्टी मेयर के प्रत्याशी और नेता इस खर्च को उठाने में बेहाल हैं.
कार्यालय खुला, लेकिन रौनक नहीं
राजधानी के कई इलाके में पार्टी प्रत्याशियों के कार्यालय खुल रहे हैं. लेकिन कार्यकार्ता उत्साहित नहीं हैं. पार्टी के कई नेता चुनावी खर्च का डिमांड कर रहे हैं, लेकिन हासिल नहीं हो रहा है. प्रत्याशी अपनी मजबूरी गिना रहे हैं. कार्यालय खर्च के लिए पांच से 20 हजार तक का हिसाब गिनाया जा रहा हैं. प्रत्याशी भी पूरा बार्गेन कर रहे हैं. कही हजार तो कहीं दो हजार में काम चलाने की गुजारिश कर रहे हैं.
सक्षम कार्यकर्ता और नेता से मांगा जा रहा चंदा
निगम चुनाव के लिए मेयर-डिप्टी मेयर के चुनाव खर्च को पूरा करने के लिए कई दलों में सक्षम कार्यकर्ता और नेताओं को टास्क दिया जा रहा है. पार्टियों से जुड़े व्यवसायी और ठेकेदार से सहयोग मांगा जा रहा है. पार्टियों के कोषाध्यक्ष सक्षम लोगों से सूची बना कर फंड जुटा रहे हैं. राष्ट्रीय पार्टियों से लेकर क्षेत्रीय दलों में फंड जुटाने के लिए मुहिम चल रही है.

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