रांची : जमीन नहीं मिलने से फंसी हैं सड़क योजनाएं
रांची : राजधानी रांची और इसके आसपास की सड़क योजनाएं जमीन नहीं मिलने की वजह से फंस रही हैं. सड़क चौड़ीकरण के लिए योजनाएं स्वीकृत हो गयी हैं. काम भी शुरू हो गया है. यहां तक कि कई योजनाअों का काम आधा से ज्यादा हो चुका है, लेकिन अब जमीन की समस्या आ रही है.सड़क […]
रांची : राजधानी रांची और इसके आसपास की सड़क योजनाएं जमीन नहीं मिलने की वजह से फंस रही हैं. सड़क चौड़ीकरण के लिए योजनाएं स्वीकृत हो गयी हैं. काम भी शुरू हो गया है. यहां तक कि कई योजनाअों का काम आधा से ज्यादा हो चुका है, लेकिन अब जमीन की समस्या आ रही है.सड़क के लिए जमीन का अधिग्रहण नहीं हो सका है. कुछ मामलों में पथ निर्माण विभाग ने जमीन अधिग्रहण के लिए पैसे भी जिला को दे दिया है, लेकिन मामला जिला स्तर पर लटका हुआ है. बड़ी संख्या में ऐसी योजनाएं हैं, जिन पर जमीन नहीं मिलने से पूरी तरह चौड़ीकरण नहीं हो सका. कुछ हिस्सों को छोड़ कर काम किया गया.
ये योजनाएं जमीन अधिग्रहण नहीं होने से हैं प्रभावित
कटहल मोड़ से अरगोड़ा चौक
इस सड़क के चौड़ीकरण के लिए जमीन अधिग्रहण करना है. इसके लिए करीब 138 करोड़ रुपये पथ निर्माण विभाग ने जिला भू-अर्जन विभाग को दिये हैं. पैसे दिये हुए भी एक साल से ज्यादा समय हो गये हैं, लेकिन अब तक इसके लिए जमीन नहीं मिली है.
हेहल-चापुटोली रोड
एनएच 23 पर बिजली सब स्टेशन से लेकर हेहल होते हुए चापुटोली के आगे (हरमू भाजपा कार्यालय के पीछे) तक सड़क का काम लगभग हो गया है. इस पर पुल का निर्माण भी हो गया है, लेकिन जमीन अधिग्रहण नहीं हो सकी है. इससे पुल का एप्रोच रोड नहीं बन रहा है. वहीं चौड़ीकरण का काम भी कई जगह पर प्रभावित है.
कुसई से रांची रेलवे स्टेशन
डोरंडा कुसई कॉलोनी होते हुए रांची रेलवे स्टेशन व राजेंद्र चौक तक सड़क चौड़ीकरण का काम करने की योजना स्वीकृत है. लेकिन, जिस हिस्से में सड़क को फोर लेन करना है, वहां अभी तक पथ निर्माण विभाग को जमीन नहीं मिली है. ऐसी स्थिति में योजना लटकी हुई है.
कचहरी-बिजुपाड़ा फोर लेन योजना
इस मार्ग को पूरी तरह फोर लेन करना था. यानी कचहरी तक सड़क फोर लेन बनानी थी, लेकिन पिस्का मोड़ से कचहरी तक जमीन अधिग्रहण नहीं होने की संभावना देखते हुए पिस्का मोड़ तक ही फोर लेन सड़क बनायी जायेगी. इसके आगे जितनी जमीन खाली है, उतना पर ही काम किया जायेगा.
नयासराय रोड
इस मार्ग को भी फोर लेन करने की योजना थी, लेकिन इसके कुछ हिस्सों में फोर लेन के लिए जमीन नहीं है. काफी जमीन लेनी होगी, यह देखते हुए इसके पूरे हिस्से को फोर लेन करने के प्रस्ताव को छोड़ दिया गया.
ब्रांबे से इटकी रोड
एनएच 75 को एनएच 23 से जोड़ने के लिए ब्रांबे से इटकी निकलनेवाली सड़क का निर्माण कराया जा रहा है. इसमें भी जमीन अधिग्रहण में काफी परेशानी आयी. इस वजह से काम प्रभावित रहा. बाद में विभाग ने उपलब्ध जमीन पर काम करने को कहा. इस पर काम जारी है.
करमटोली चौक से बोड़ेया रोड
इस मार्ग का चौड़ीकरण हो गया है, लेकिन मोरहाबादी बाजार के पास जमीन नहीं मिलने से चौड़ीकरण का काम नहीं हो सका. इस हिस्से को छोड़ कर चौड़ीकरण किया गया.
ओरमांझी से गेतलसूत डैम
ओरमांझी (एनएच 33) से गेतलसूत डैम होते हुए आगे तक सड़क निकालने की योजना भी जमीन अधिग्रहण की वजह से प्रभावित रही. जमीन की समस्या हल करने का प्रयास हो रहा है. अभी भी इसकी समस्या है.
पहले भी तीन फ्लाई ओवर को करना पड़ा डंप
पथ निर्माण विभाग ने वर्ष 2011 में शहर में तीन फ्लाई ओवर बनाने का निर्णय लिया था. इसके लिए डीपीआर भी तैयार करा लिया गया. इसमें से एक मेन रोड फ्लाई ओवर का शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा व राज्य समन्वय समिति के अध्यक्ष शिबू सोरेन ने किया था. लालपुर और सुजाता चौक पर फ्लाई ओवर बनाने की भी योजना थी, लेकिन जमीन नहीं मिलने के कारण तीनों योजनाअों को डंप करना पड़ा था.
दो फ्लाई ओवर के लिए नहीं मिली जमीन
अभी शहर में दो बड़े फ्लाई ओवर निर्माण की योजना बनी है. नगर विकास विभाग ने इसके लिए योजनाएं तैयार की और टेंडर भी निकाला, लेकिन अभी तक दोनों योजनाअों के लिए जमीन नहीं ली जा सकी है. कांटाटोली फ्लाई अोवर व रातू रोड फ्लाई अोवर को लेकर विरोध हो रहा है, जिससे जमीन अधिग्रहण में परेशानी आ रही है.
लटका था रिंग रोड भी
रिंग रोड फेज सात का निर्माण जब पहली बार हो रहा था, तो कांके के नगड़ी के पास जमीन को लेकर काफी विरोध हुआ. ग्रामीण जमीन नहीं देने पर अड़े थे. इस वजह से योजना प्रभावित हो गयी थी. बाद में जाकर रिंग रोड का पूरा काम ही लटक गया था.