2080 आते-आते दो से तीन डिग्री तक बढ़ जायेगा न्यूनतम तापमान, झारखंड में बदलाव पर यूएनडीपी ने जतायी चिंता
रांची : दक्षिण छोटानागपुर (अब झारखंड का एक हिस्सा) कभी बिहार की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी. यहां के मौसम के कारण संयुक्त बिहार के समय यह गर्मी में लोगों के प्रवास का स्थान था. यहां के मौसम के कारण कई तकनीकी संस्थानों का निर्माण हुआ था. पूरे साल बारिश होती थी. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से […]
रांची : दक्षिण छोटानागपुर (अब झारखंड का एक हिस्सा) कभी बिहार की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी. यहां के मौसम के कारण संयुक्त बिहार के समय यह गर्मी में लोगों के प्रवास का स्थान था. यहां के मौसम के कारण कई तकनीकी संस्थानों का निर्माण हुआ था. पूरे साल बारिश होती थी. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से कई कारणों से यहां के मौसम में बदलाव आ गया है. अब राजधानी का अधिकतम तापमान भी लगातार कई दिनों तक 40 डिग्री सेल्सियस के पार रहता है.
यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट फंड (यूएनडीपी) ने झारखंड में क्लाइमेट में हुए बदलाव पर एक अध्ययन कराया है. इसी अध्ययन को आधार मान कर यहां के मौसम में हुए बदलाव के दुष्परिणाम को रोकने का प्रयास हो रहा है. इसके लिए संस्था ने कई विभागों को चिह्नित कर रिपोर्ट तैयार करने को कहा है. इस पर शुरुआती दौर में कुछ कम भी हुए हैं. लेकिन, गति आज भी काफी धीमी है. विकास की रफ्तार में पेड़ काटे जा रहे हैं. खनन बढ़ गया है. राजधानी बनने के बाद झारखंड के कई शहरों में आवागमन के साधन बढ़ गये हैं. जो यहां की प्रकृति में बदलाव का एक बड़ा कारण हो गया है.
मौसम विभाग भी नहीं समझ पा रहा है तथ्य
यूएनडीपी का अध्ययन बताता है कि 1956 से 60 की अवधि में राजधानी रांची में करीब 21.2 मिमी बारिश होती थी. यह 2001-2010 की अवधि में 11.5 मिमी औसत रह गया है. मौसम में हुए असामान्य बदलाव का असर दिखने लगा है. जून माह में 60 के दशक में करीब 150 मिमी ही बारिश होती थी, यह 2010-20 वाले दशक में 280 मिमी हो गया है. इस काम में लगे मौसम विभाग से जुड़े लोग भी इस तथ्य को समझ नहीं पा रहे हैं. यूएनडीपी ने झारखंड में वर्ल्ड क्लाइम प्रोजेक्शन में 2080 तक की रिपोर्ट का जिक्र किया है. इसमें कहा गया है कि 2080 तक जाड़ा और गर्मी दोनों में बढ़ोतरी होगी. गर्मी में कम से कम 2.3 से तीन डिग्री सेल्सियस तक वृद्धि होने की उम्मीद है. ठंड में 4.78 डिग्री से. से 5.2 डिग्री से. तक वृद्धि होने का अनुमान है.
बदलाव का अनुमान
मौसम 2050 2080
बारिश (अक्तूबर-फरवरी ) 143-174 148-178 (मिमी)
बारिश (जून-सितंबर ) 1211.41 1332.53 (मिमी)
बारिश ( मार्च-मई) 161-202 185-232 (मिमी)
तापमान (न्यूनतम) 15.59-16.32 17.16.5 (डिग्री से.)
तापमान (अधिकतम) 41.87-43.00 42.08-45.0 (डिग्री से.)
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
प्रकृति में बदलाव का मुख्य कारण जनसंख्या का दबाव है. बढ़ती जनसंख्या और लोगों की जीवन शैली ने संसाधनों पर दबाव बढ़ाया है. इस कारण संसाधनों को नुकसान भी हुआ है. इसे देखते हुए प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का भी प्रयास हो रहा है. उम्मीद है इसके बीच से रास्ता भी निकलेगा. सब मिलजुल कर इस चुनौती से निपटेंगे. जहां समस्या होती है. उसका रास्ता भी निकलता है.
मनीष अरविंद, अधिकारी भारतीय वन सेवा