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झारखंड : सरिता फ्लोर मिल में बनारस से आता था नकली तेल, रांची समेत कई जिलों में की जाती थी आपूर्ति

खूंटी में ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर नकली खाद्य पदार्थ तैयार कर बिक्री का मामला खूंटी/रांची : खूंटी में ब्रांडेड कंपनियों के नाम से आटा तैयार करने और हानिकारक केमिकल (हाइड्रोजन साइनाइड ) मिला कर सरसों तेल बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़ होने के बाद प्रशासन सजग हो गया है. एसडीओ प्रणव कुमार पाल ने […]

खूंटी में ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर नकली खाद्य पदार्थ तैयार कर बिक्री का मामला
खूंटी/रांची : खूंटी में ब्रांडेड कंपनियों के नाम से आटा तैयार करने और हानिकारक केमिकल (हाइड्रोजन साइनाइड ) मिला कर सरसों तेल बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़ होने के बाद प्रशासन सजग हो गया है.
एसडीओ प्रणव कुमार पाल ने बुधवार को सभी प्रखंडों में इससे संबंधित जांच करने का निर्देश दिया है़ उन्होंने सभी बीडीओ, सीओ और थाना प्रभारी को अपने-अपने क्षेत्र में अवैध रूप से संचालित फैक्ट्री को चिह्नित करने का निर्देश दिया है़ ज्ञात हो कि खूंटी के सरिता फ्लोर मिल में बनारस से घटिया तेल मंगाया जाता था. इसमें केमिकल मिलाने के बाद इसे सरसों तेल का रूप दिया जाता था.
यहां से तेल व आटा की आपूर्ति खूंटी के अलावा रांची, सिमडेगा, गुमला, चाईबासा, चक्रधरपुर सहित कई अन्य जिलों में की जाती थी. इस मामले में संचालक पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है. ज्ञात हो कि मंगलवार को छापेमारी का इसका भंडाफोड़ किया गया.
एसडीओ श्री पाल ने राजलक्ष्मी, राजधानी, तांडव व सरिता ऑयल नामक ब्रांड के तेल और नेचर फ्रेश, पतंजलि, सरिता व लक्ष्मी नामक ब्रांड के आटा की बिक्री की भी जांच करने का निर्देश दिया है, ताकि लोगों को हानिकारक रसायनों से होने वाले नुकसान से बचाया जा सके़ एसडीओ ने कहा कि इस मामले में पूरे जिले में जांच की जा रही है.
उन्होंने आम लोगों से भी उक्त ब्रांडों की सामग्री का उपयोग करने से पहले इसके प्रति सचेत रहने को कहा है. एसडीओ के अनुसार, यह गोरखधंधा पिछले तीन सालों से चल रहा था. सरिता फ्लोर मिल के संचालक दिलीप ने प्रधानमंत्री रोजगार उत्पादन योजना के तहत लोन लेकर इस व्यवसाय की शुरुआत अपनी पत्नी ने नाम से की थी़ छापेमारी के दौरान काफी मात्रा में आटा, चीनी, सूजी व विभिन्न कंपनियोंके रैपर भी मिले हैं. छापेमारी के दौरा सरिता फ्लोर मिल में सात मजदूरों को काम करते हुए पाया गया. इन्हें कम मजदूरी दी जाती थी.
हाइड्रोजन साइनाइड मिलाया जाता था
जांच के दौरान फैक्ट्री में तैयार तेल में हाइड्रोजन साइनाइड होने की पुष्टि हुई है़ इसे डालने के बाद नकली तेल का रंग और महक दोनों सरसों तेल की तरह हो जाता है. इस कारण असली और नकली में पहचान करना मुश्किल हो जाता है. इसी तेल को बोतलों में भर कर बेचा जाता था. एसडीओ ने बताया कि चीनी बलरामपुर से मंगायी जाती थी. इसकी जांच की जा रही है़
सिंटेक्स में भर कर रखा गया था नकली तेल
मिल से बिना ब्रांड का 15 लीटर वाला 296 टीना, तांडव ब्रांड का 15 लीटर का 99 टीना, राजधानी ब्रांड के बोतल में पैक किया हुआ एक लीटर का 58 पेटी तेल, 500 ग्राम का 10 पेटी, 250 ग्राम का 15 पेटी, राजलक्ष्मी ब्रांड का 83 पेटी, लगभग पांच हजार लीटर भरे हुए दो सिंटेक्स तथा आधा भरा हुआ दो सिंटेक्स तेल पाया गया है़ दो बोतल केमिकल भी मिला. इसे जब्त किया गया है.
ब्रांडेड रैपर लगा कर बेचा जाता था
मिल में ब्रांडेड कंपनियों के रैपर लगा कर लोकल आटा महंगे दाम में बेचा जाता था़ छापेमारी के दौरान फैक्ट्री में मजदूरों को रैपर बदल कर आटा भरते पकड़ा गया था़
छापेमारी के दौरान टीम को पतंजलि, नेचर फ्रेश, तमिलनाडु के रामालिंगा आटा व फोर्च्यून आटा के रैपर मिले. इसके अलावा मिल में सरिता आटा व लक्ष्मी आटा की भी पैकिंग की जाती थी. हालांकि जांच में आटा की गुणवत्ता सही पायी गयी. लेकिन दूसरी कंपनी के ब्रांड का उपयोग करने को लेकर थाना में संचालक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है़
नकली तेल में झांस लाने के लिए हाइड्रोजन साइनाइड का इस्तेमाल किया जाता है. यह शरीर के लिए बहुत खतरनाक होता है. इसके इस्तेमाल से डायबिटीज, हार्ट, किडनी आदि की बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है. ज्यादा दिन तक इस्तेमाल करने से कैंसर की भी संभावना बढ़ जाती है.
डॉ जेके मित्रा, विभागाध्यक्ष, मेडिसिन
खाद्य पदार्थों में असुरक्षित मिलावट पर उम्रकैद व 10 लाख तक जुर्माना
खाद्य सुरक्षा व मानक अधिनियम-11 खाद्य पदार्थों में मिलावट व गलत सूचना सहित विभिन्न तरह के गलत व्यवहार निषेध करता है. अधिनियम में अलग-अलग तरह के अपराध के लिए जुर्माना व सजा का प्रावधान है.
असुरक्षित मिलावट पर छह माह से लेकर आजीवन कारावास तथा एक से 10 लाख रुपये जुर्माना का प्रावधान है. उक्त अधिनियम के महत्वपूर्ण अंश यहां दिये जा रहे हैं.
रांची : खाद्य सुरक्षा व मानक अधिनियम-11 देश भर में पांच अगस्त 2011 से लागू है. लोकहित में बना यह अधिनियम खाद्य पदार्थों के उत्पादन, भंडारण, वितरण, विक्रय व आयात से संबंधित है. यह कानून खाद्य पदार्थों की स्वास्थ्यप्रद उपलब्धता सुनिश्चित करता है.
इसमें खाद्य में मिलाये जाने वाले पदार्थ (फूड एडिटिव्स), दूषित करनेवाले तत्व (कंटामिनेंट्स), खाद्य रंग (फूड कलर) व खाद्य परिरक्षक (प्रिजर्वेटिव) संबंधी गुणवत्ता तथा इनकी सहज-सुलभ उपलब्धता का मानक तय है. यह अधिनियम उपभोक्ता हित की रक्षा, कुपोषण से मुक्ति, खाद्य जनित बीमारियों से निजात व खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना व प्रगति में भी सहायक है.
एसीएमअो व खाद्य निरीक्षक जिम्मेदार : राज्यों में खाद्य सुरक्षा व मानक अधिनियम का प्रवर्तन तंत्र (इंफोर्समेंट) खाद्य सुरक्षा आयुक्त में निहित है. झारखंड सहित विभिन्न राज्यों ने अपने स्वास्थ्य सचिव या आयुक्त को यह कार्य सौंपा है.
राज्यों में इसके बाद अभिहित अधिकारी (डेजिगनेटेड ऑफिसर या डीओ) होते हैं. एसडीओ रैंक से नीचे के अधिकारी को डीओ का काम नहीं दिया जा सकता. झारखंड के सभी जिलों में एसीएमओ को डीओ बनाया गया है.
वहीं फील्ड स्तर पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी (खाद्य निरीक्षक) होते हैं, जिनका काम खाद्य संस्थानों, प्रतिष्ठानों, संचालकों, वितरकों व खाद्य कारोबारियों का नियमानुसार निरीक्षण करना है. राज्य स्तरीय प्रवर्तन तंत्र खाद्य सुरक्षा के लिए स्थानीय निकाय व पंचायती राज संस्थाओं की भी सहायता ले सकता है.
खाद्य सुरक्षा व मानक अधिनियम में खाद्य पदार्थ संबंधी विभिन्न प्रकार के अपराधों के लिए सजा का प्रावधान है, जो अपराध की गंभीरता पर निर्भर है. अधिनियम जन स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ के लिए कड़ी सजा सुनिश्चित करता है. यहां विभिन्न अपराध व उनसे संबंधित दंड का उल्लेख किया गया है, जो अदालत में अपराध साबित होने पर लागू होते हैं.
अपराध के लिए जुर्माना
अपराध जुर्माना
खाद्य की बिक्री मांग के अनुरूप न होना पांच लाख व इससे अधिक
अस्तरीय (सब स्टैंडर्ड) खाद्य की आपूर्ति पांच लाख रुपये तक
खाद्य संबंधी गलत सूचना (मिस ब्रांडेड) तीन लाख रुपये तक
भ्रामक विज्ञापन (मिस लीडिंग एडवरटाइजमेंट) 10 लाख रुपये तक
खाद्य में अलग से मिलावट एक लाख रुपये तक
खाद्य सुरक्षा अधिकारी की अनदेखी करना दो लाख रुपये तक
अस्वास्थ्यकर खाद्य का निर्माण या प्रसंस्करण एक लाख रुपये तक
मिलावट की वस्तु (पदार्थ) मिलना
जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं दो लाख रुपये तक
जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो 10 लाख रुपये तक
ऐसा अपराध, जिसके लिए दंड का उल्लेख नहीं दो लाख रुपये तक
अपराध के लिए दंड
असुरक्षित खाद्य की स्थिति में छह माह से लेकर आजीवन कारावास तथा एक से 10 लाख जुर्माना, सीज व सील की गयी वस्तुओं के साथ छेड़छाड़ करने पर छह माह तक का कारावास व दो लाख जुर्माना, खाद्य पदार्थ संबंधी गलत सूचना देने पर तीन माह तक का कारावास व दो लाख जुर्माना, खाद्य सुरक्षा अधिकारी के काम में बाधा डालने पर तीन माह तक का कारावास व एक लाख जुर्माना, अपराध दोहराने पर दोगुना दंड व लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान.

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