रांची : अप्रैल में शुरू हुआ सत्र जून में मिलेगी किताब
नयी किताब आने तक पुराने से पठन-पाठन रांची : शैक्षणिक सत्र 2018-19 के बच्चों को जून तक किताब मिल सकेगी. सत्र अप्रैल से शुरू हो गया है. किताब की छपाई के लिए प्रकाशकों को अप्रैल में ही वर्क ऑर्डर दिया गया है. टेंडर की शर्त के अनुरूप प्रकाशकों को वर्क ऑर्डर जारी होने के 90 […]
नयी किताब आने तक पुराने से पठन-पाठन
रांची : शैक्षणिक सत्र 2018-19 के बच्चों को जून तक किताब मिल सकेगी. सत्र अप्रैल से शुरू हो गया है. किताब की छपाई के लिए प्रकाशकों को अप्रैल में ही वर्क ऑर्डर दिया गया है. टेंडर की शर्त के अनुरूप प्रकाशकों को वर्क ऑर्डर जारी होने के 90 दिन के अंदर किताब की आपूर्ति करना है. ऐसे में जून में बच्चों को किताब मिलने की उम्मीद है.
स्कूलों में नये किताब के पहुंचने तक बच्चों को पठन-पाठन के लिए पुरानी किताब दी गयी है. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के निर्देश पर स्कूलों में बच्चों से पुरानी किताब ले ली गयी है. बच्चों का पठन-पाठन बाधित नहीं हो, इसके लिए उन्हें फिलहाल पुरानी किताब दी गयी है. राज्य में सरकारी विद्यालयों में पढ़नेवाले कक्षा एक से आठ तक के बच्चों काे नि:शुल्क किताब दी जाती है. किताब के लिए 60 फीसदी राशि केंद्र सरकार व 40 फीसदी राशि राज्य सरकार देती है. शैक्षणिक सत्र 2018-19 में लगभग 35 लाख बच्चों को किताब दी जायेगी. गत वर्ष की तुलना में लगभग दस लाख सेट कम किताब की छपाई की जा रही है.
बच्चों को पैसे देने की तैयारी
भारत सरकार ने किताब के लिए बच्चों को बैंक खाता में राशि देने के लिए कहा है, पर बाजार में किताब नहीं होने के कारण राशि देने के बाद भी बच्चों को किताब नहीं मिल पाती. इसी वजह से किताब छपाई के लिए टेंडर किया गया. सरकार अगले शैक्षणिक सत्र से डीबीटी के माध्यम से बच्चों को किताब देने की तैयारी कर रही है. इसकी प्रक्रिया का निर्धारण किया जा रहा है.
टेंडर प्रक्रिया पूरी करने में लग गये नौ माह
शैक्षणिक सत्र 2018-19 के लिए किताब छपाई की टेंडर प्रक्रिया फाइनल करने में लगभग नौ माह का समय लग गया. अगस्त 2017 में किताब छपाई की टेंडर प्रक्रिया शुरू हुई थी. अप्रैल तक प्रक्रिया चलती रही. इस दौरान दो बार टेंडर रद्द करना पड़ा. बच्चों को नि:शुल्क किताब देने के लिए गत वर्ष अगस्त में टेंडर की प्रक्रिया शुरू की गयी थी. टेंडर प्रक्रिया शुरू करने के चार माह बाद दूसरा टेंडर किया गया था.
दूसरे टेंडर में भी कक्षा छह से आठ के लिए टेंडर फाइनल नहीं हो सका. इसके बाद फिर टेंडर किया गया. टेंडर फाइनल होने के बाद भी कक्षा छह की किताब छपाई के लिए चयनित प्रकाशक को अब तक वर्क ऑर्डर जारी नहीं हाे सका है.