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रांची : निजी कंपनियां कर सकेंगी बिजली की आपूर्ति
विद्युत नियामक आयोग ने पहली बार ओपन एक्सेस सिस्टम को दी मंजूरी एक ही आधारभूत संरचना से एक से अधिक एजेंसियां कर सकेंगी बिजली की आपूर्ति दो या अधिक वितरक वाले क्षेत्र के उपभोक्ता अपनी पसंद के लाइसेंसी से ले सकेंगे बिजली रांची : विद्युत नियामक आयोग ने वर्ष 2018-19 के लिए निर्धारित टैरिफ में […]
विद्युत नियामक आयोग ने पहली बार ओपन एक्सेस सिस्टम को दी मंजूरी
एक ही आधारभूत संरचना से एक से अधिक एजेंसियां कर सकेंगी बिजली की आपूर्ति
दो या अधिक वितरक वाले क्षेत्र के उपभोक्ता अपनी पसंद के लाइसेंसी से ले सकेंगे बिजली
रांची : विद्युत नियामक आयोग ने वर्ष 2018-19 के लिए निर्धारित टैरिफ में पहली बार ओपन एक्सेस सिस्टम को मंजूरी दी है. इससे राज्य में निजी कंपनियां भी बिजली की आपूर्ति कर सकेंगी. उपभोक्ताओं को अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ता से बिजली लेने की सुविधा मिलेगी. एक ही आधारभूत संरचना से एक से अधिक एजेंसियों द्वारा राज्य में बिजली की आपूर्ति की जा सकेगी.
जिस क्षेत्र में बिजली वितरण करने वाले दो या अधिक लाइसेंसी हैं, वहां के उपभोक्ता अपनी पसंद के लाइसेंसी से बिजली ले सकेंगे. फिलहाल, राज्य के बोकारो, सरायकेला-खरसावां, जमशेदपुर, हजारीबाग, धनबाद समेत कुल सात जिलों में बिजली की आपूर्ति के लिए एक से ज्यादा लाइसेंसी मौजूद हैं. दूसरे लाइसेंसी की आधारभूत संरचना का इस्तेमाल कर बिजली लेने पर उपभोक्ताओं को व्हीलिंग चार्ज देय होगा.
लंबे समय तक बिजली की आपूर्ति नहीं हुई, तो नहीं
देना होगा फिक्स चार्ज
आयोग के अध्यक्ष अरविंद प्रसाद ने कहा कि नयी टैरिफ में उपभोक्ताओं के अधिकारों पर भी ध्यान दिया गया है. टैरिफ में लंबे समय तक बिजली नहीं रहने की स्थिति में फिक्स चार्ज में कटौती का प्रावधान किया गया है. टैरिफ में एचटी एग्रीमेंट का सरलीकरण किया गया है.
इसके तहत प्राकृतिक आपदा, जैसे बाढ़, भूकंप, आगजनी के तहत लंबे समय तक बिजली नहीं रहती है, तो फिक्स चार्ज नहीं देना होगा. भविष्य में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए भी आपूर्ति के आधार पर फिक्स चार्ज निर्धारित किया जायेगा. उसी दिशा में यह शुरुआत की गयी है.
स्वीकृत हुआ है 5973.46 करोड़ रुपये का टैरिफ प्रस्ताव
नियामक आयोग को बिजली वितरण निगम ने 2018-19 के लिये 7385.40 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया था. लेकिन, आयोग ने 5973.46 करोड़ रुपये का ही प्रस्ताव स्वीकृत किया. नयी दर से भी बिजली वितरण निगम का राजस्व गैप 1785.68 करोड़ का बना रहेगा. आयोग के सदस्य तकनीक आरएन सिंह ने बताया कि निगम की ओर से कहा गया था कि 5.98 रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीद में खर्च हो रहा है. वर्तमान में औसत टैरिफ 4.11 रुपये प्रति यूनिट है. यानी, निगम को 1.87 रुपये प्रति यूनिट का घाटा हो रहा है. आयोग ने टैरिफ निर्धारण में इस घाटे को कम करने का प्रयास किया है. दो प्रतिशत पेनाल्टी की वजह से 5.86 रुपये औसत टैरिफ निर्धारित की गयी है. आयोग ने निगम को टीएंडडी लॉस की अधिकतम सीमा 15 फीसदी तय कर दी है.
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