रांची : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद को मंगलवार को भी जेल में रहना होगा, क्योंकि हार्इकोर्ट से उन्हें इलाज के लिए मिला अंतरिम जमानत का आदेश सीबीआई की विशेष अदालत तक नहीं पहुंच सका है.लालू प्रसाद के वकील प्रभात कुमार मंगलवार को दलबल के साथ यहां स्थित विशेष सीबीआई अदालत पहुंचे, लेकिन यहां उन्हें निराशा हाथ लगी. इसकी वजह यह है कि हार्इकोर्ट का आदेश मंगलवार को भी निचली अदालत में नहीं पहुंच सका.
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इससे पहले तीन दिनों की पैरोल पर अपने बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव के विवाह में शामिल होने के बाद लालू सोमवार को रांची लौटे थे और अधिकारियों ने उन्हें न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा जेल भेज दिया, क्योंकि झारखंड हार्इकोर्ट से उन्हें मिला अंतरिम जमानत का आदेश सीबीआई की विशेष अदालत में नहीं पहुंच सका. लालू प्रसाद के निकट सहयोगी एवं बिहार के विधायक भोला प्रसाद यादव ने बताया कि अब अंतरिम जमानत के आदेश से जुड़ी न्यायिक कार्यवाही बुधवार तक पूरी होने की संभावना है.
इस बीच, लालू प्रसाद के वकील प्रभात कुमार ने बताया कि लालू को 11 मई को झारखंड हार्इकोर्ट से इलाज के लिए मिली अंतरिम जमानत का आदेश मंगलवार को भी सीबीआई की विशेष अदालत में नहीं पहुंच सका. एक बार हार्इकोर्ट का आदेश निचली अदालत में पहुंचने के बाद ही वहां से लालू के अंतरिम जमानत पर बाहर आने की प्रक्रिया पूरी की जा सकेगी. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि यह प्रक्रिया बुधवार को पूरी हो जायेगी.
इससे पहले, झारखंड हार्इकोर्ट ने लालू की चारा घोटाले के देवघर कोषागार समेत सभी तीन मामलों में स्वास्थ्य कारणों से दायर अंतरिम जमानत की याचिका 11 मई को स्वीकार करते हुए उन्हें इलाज के लिए छह सप्ताह की अंतरिम जमानत दे दी थी. अदालत ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए 20 अप्रैल को सीबीआई से लालू की चिकित्सिकीय रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा था. हालांकि, देवघर मामले में अदालत ने लालू की नियमित जमानत याचिका 23 फरवरी को खारिज कर दी थी और कहा था कि उनके खिलाफ आपराधिक मामलों की गंभीरता को देखते हुए इस मामले में उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती है.
अदालत में लालू को चिकित्सिकीय आधार पर अंतरिम जमानत देने की याचिका दायर की गयी थी, जो न्यायमूर्ति अपरेश सिंह की पीठ के सामने शुक्रवार को सुनवाई के लिए आयी थी. लालू के अधिवक्ता प्रभात कुमार ने बताया कि उन्होंने अदालत में चाईबासा एवं दुमका कोषागार मामलों में भी अंतरिम जमानत की याचिकाएं दायर की थीं और अदालत ने तीनों मामलों में सुनवाई कर एक साथ लालू यादव को राहत दी थी. लालू को इन मामलों में रिहाई की तिथि से छह सप्ताह की राहत होगी, जिससे वह अपना उचित इलाज करा सकें.
लालू को रांची में बिरसा मुंडा जेल के अधिकारियों ने 10 मई को बेटे तेज प्रताप यादव के विवाह में शामिल होने के लिए तीन दिनों का पैरोल लालू को दिया था, जिसके बाद वह यहां रिम्स अस्पताल से रिहा होकर पटना गये थे. पैरोल के अनुसार, उन्हें 14 मई को वापस न्यायिक हिरासत में लौटना था और वह सोमवार की शाम को यहां लौटे थे.