रांची : अनुसूचित जाति के केसों की छह जून को पीएमओ में होगी समीक्षा
रांची : अनुसूचित जाति से संबंधित केसों का छह जून को दिल्ली में पीएमओ द्वारा समीक्षा की जायेगी. इस बैठक में झारखंड से प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी को प्रतिनिधित्व करना है. वहीं शुक्रवार को सीआइडी एडीजी भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सभी जिलों के एसपी के साथ केसों की समीक्षा करेंगे. इसको लेकर […]
रांची : अनुसूचित जाति से संबंधित केसों का छह जून को दिल्ली में पीएमओ द्वारा समीक्षा की जायेगी. इस बैठक में झारखंड से प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी को प्रतिनिधित्व करना है. वहीं शुक्रवार को सीआइडी एडीजी भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सभी जिलों के एसपी के साथ केसों की समीक्षा करेंगे. इसको लेकर सभी जिलों के एसपी को पत्र भी भेजा गया है.
मंगलवार को अनुचित जाति आयोग के सदस्य योगेंद्र पासवान ने मामले की समीक्षा की थी. उन्होंने 2010 से अब तक लंबित 723 केसों का निपटारा नहीं किये जाने को लेकर नाराजगी जाहिर की थी. साथ ही निर्देश दिया था कि मामले का निपटारा तेजी से किया जाये.
डीएसपी मुकेश महतो पर होनी चाहिए कार्रवाई
धनबाद के गोविंदपुर थाना क्षेत्र की एक अनुसूचित जाति की युवती के साथ 17 अप्रैल 2018 को बलात्कार की घटना घटी थी. इस मामले में गोविंदपुर थाना ने जो केस दर्ज किया, उसमें एससी/एसटी एक्ट की जगह मताधिकार रोकने की धारा 3(1) लगा दिया. जबकि बलात्कार के मामले में 325(एल) धारा लगती है. इसके तहत पीड़िता को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का प्रावधान है. डीएसपी मुकेश महतो ने मताधिकार रोकने की धाराओं के तहत ही मामले को पर्यवेक्षण में सही करार दिया.
आयोग सदस्य ने डीएसपी स्तर के पदाधिकारी के इस कृत को गंभीर मानते हुए गृह विभाग के विशेष सचिव को निर्देश दिया कि ऐसे डीएसपी के खिलाफ कार्रवाई की जाये. ताकि अफसरों को एससी-एसटी एक्ट और इसमें दिये गये प्रावधान की जानकारी हो. अफसर अब भी 1989 में बने एक्ट तक ही खुद को सीमित रखे हुए हैं. उन्हें एससी-एसटी एक्ट में 2016 में किये गये संशोधन का ज्ञान तक नहीं है. यह गंभीर मसला है.