एनएच-33 के निर्माण में अब कोई बहानेबाजी नहीं चलेगी : हाइकोर्ट

रांची : एनएच-33 के निर्माण में अब किसी तरह की बहानेबाजी नहीं चलेगी. सड़क निर्माण के मामले मेें सभी पक्षों की बात सुनने के बाद न्यायालय ने यह मौखिक टिप्पणी की. साथ ही सभी पक्षों को मिल कर सड़क निर्माण कार्य जल्द पूरा करने का निर्देश दिया. अदालत ने इस मामले में 14 जून को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 18, 2018 8:15 AM
रांची : एनएच-33 के निर्माण में अब किसी तरह की बहानेबाजी नहीं चलेगी. सड़क निर्माण के मामले मेें सभी पक्षों की बात सुनने के बाद न्यायालय ने यह मौखिक टिप्पणी की. साथ ही सभी पक्षों को मिल कर सड़क निर्माण कार्य जल्द पूरा करने का निर्देश दिया.
अदालत ने इस मामले में 14 जून को सुनवाई की अगली तिथि तय करते हुए एनएचएआइ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर को हाजिर होने का निर्देश दिया.
सड़क निर्माण से जुड़े इस मामले में न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह और न्यायमूर्ति एके चौधरी की अदालत मेें वन विभाग, एनएचआइ और मधुकॉन ने अपना अपना पक्ष रखा. सड़क बनानेवाली कंपनी मधुकॉन की ओर से यह कहा गया कि सड़क निर्माण में पत्थर की जरूरत होती है. सरकार ने उसे माइनिंग लीज तो दिया है, लेकिन अब तक इनवारयमेंटल क्लियरेंस(इसी) नहीं दिया है.
इसलिए सड़क निर्माण में परेशानी हो रही है. कैनरा बैंक ने उसे 48.22 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है. इससे मजदूरों के भुगतान में भी परेशानी होती है. अदालत ने इस मामले में बैंक को अपना पक्ष रखने और भुगतान नहीं करने का कारण बताने का निर्देश दिया. एनएचएआइ की ओर से कहा गया कि बैंक और ठेकेदार के बीच हुए एकरारनामे की कॉपी उसे 15 मई को मिली है.
इसलिए वह इस मामले में फिलहाल कुछ नहीं कह सकता है. एकरारनामे की कॉपी को एनएचएआइ के बोर्ड की बैठक में पेश करने और बोर्ड द्वारा फैसला करने के बाद ही इस मामले में कुछ कहा जा सकेगा.
सड़क निर्माण के दौरान फाॅरेस्ट क्लियरेंस के मामले में वन विभाग की ओर से यह कहा गया कि दलमा की करीब चार हेक्टेयर जमीन सड़क के दायरे में आती है. इस पर अनुमति के लिए स्टेट और नेशनल वाइल्ड लाइफ में आवेदन देना होगा. आवेदन मिलते ही विभाग क्लियरेंस के लिए आवश्यक प्रक्रिया पूरी करेगा.
पथ निर्माण की ओर से कहा गया कि सड़क निर्माण के लिए 115 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है. सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने कहा कि सड़क निर्माण का काम जून 2015 में ही पूरा होना था, पर अब तक नहीं हो सका है. अब इसमें और किसी तरह की बहानेबाजी नहीं चलेगी.

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