2012 में गठित हुआ था जांच आयोग

रांची़ : नियुक्ति -प्रोन्नति मामले में अनियमितता उजागर होने के बाद राज्यपाल सचिवालय ने हस्तक्षेप किया था़ राज्यपाल को शिकायत मिली थी़ इसके बाद तत्कालीन सरकार ने नियुक्ति-प्रोन्नति की जांच के लिए आयोग का गठन किया. 31 जनवरी 2012 को राज्यपाल सचिवालय ने विधानसभा को पत्र लिख कर विधानसभा के विभिन्न पदों पर हुई नियुक्ति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 20, 2018 3:47 AM

रांची़ : नियुक्ति -प्रोन्नति मामले में अनियमितता उजागर होने के बाद राज्यपाल सचिवालय ने हस्तक्षेप किया था़ राज्यपाल को शिकायत मिली थी़ इसके बाद तत्कालीन सरकार ने नियुक्ति-प्रोन्नति की जांच के लिए आयोग का गठन किया. 31 जनवरी 2012 को राज्यपाल सचिवालय ने विधानसभा को पत्र लिख कर विधानसभा के विभिन्न पदों पर हुई नियुक्ति व प्रोन्नति में गंभीर अनियमितता बरते जाने की बात कही थी़ तत्कालीन स्पीकर सीपी सिंह के समय यह पत्र आया था.

स्पीकर ने राज्यपाल से आग्रह किया था कि वह अपने स्तर से जांच करा ले़ं इसके बाद सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय से नियुक्ति-प्रोन्नति की जांच के लिए आयोग गठन का पत्र जारी किया गया. सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति लोकनाथ प्रसाद की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया गया. तीन महीने में जांच प्रतिवेदन समर्पित करने को कहा गया.

विधानसभा नियुक्ति-प्रोन्नति
घोटाले की जांच कर रहा है विक्रमादित्य आयोग
1.02.2012 को झारखंड विधानसभा सचिवालय को राज्यपाल सचिवालय से पत्र मिला. इसमें विधानसभा में हुई नियुक्ति- प्रोन्नति में अनियमितता की बात थी.
10.05.2013 को मंत्रिमंडल सचिवालय एवं समन्वय विभाग ने एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया. न्यायमूर्ति लोकनाथ प्रसाद इसके अध्यक्ष थे.
आयोग को कमरा- संसाधन उपलब्ध कराने में एक महीने का समय लगा.
जून 2013 में आयोग ने अपना काम शुरू किया.
सरकार ने आयोग का कार्यकाल तीन महीने से बढ़ा कर एक वर्ष कर दिया.
आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष ने नवंबर 2013 में त्यागपत्र दे दिया.
आयोग के अध्यक्ष के इस्तीफे का पत्र लंबे समय तक सरकार के पास विचाराधीन रहा.
न्यायमूर्ति लोकनाथ प्रसाद के बाद न्यायमूर्ति विक्रमादित्य को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया़
विक्रमादित्य आयोग ने जांच प्रक्रिया में तेजी लायी़ बीच में तकनीकी और संसाधन की अड़चनें भी आयी़ इस वजह से दो बार अवधि विस्तार दिया गया़ छह:-छह: महीने का अवधि विस्तार मिला़

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