ईसाई संगठन बोले : कैथोलिक चर्च को PM, मंत्रियों या सरकार से कोई शिकायत नहीं

दिल्ली के आर्चबिशप अनिल कुटो ने आठ मई को दिल्ली आर्चडायसिस के सभी पेरिश प्रीस्ट व धार्मिक संस्थानों को एक पत्र जारी किया था. इस पर विवाद गहरा गया है. इस पर विभिन्न ईसाई संगठनों के प्रतिनिधियों ने प्रतिक्रिया दी है. साथ ही राज्य के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी अपना पक्ष रखा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 23, 2018 2:09 AM
दिल्ली के आर्चबिशप अनिल कुटो ने आठ मई को दिल्ली आर्चडायसिस के सभी पेरिश प्रीस्ट व धार्मिक संस्थानों को एक पत्र जारी किया था. इस पर विवाद गहरा गया है. इस पर विभिन्न ईसाई संगठनों के प्रतिनिधियों ने प्रतिक्रिया दी है. साथ ही राज्य के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी अपना पक्ष रखा है.
सीबीसीआइ के महासचिव सह रांची के पूर्व ऑग्जीलरी बिशप ने स्पष्ट किया चर्च का पक्ष
रांची : दिल्ली आर्चबिशप अनिल कुटो के पत्र पर विवाद गहरा गया है. इस संदर्भ में देश में रोमन कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च निकाय, कैथोलिक बिशप्स कांफ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआइ) के महासचिव सह रांची आर्चडायसिस के पूर्व अॉग्जीलरी बिशप, थियोडोर मास्करेन्हास ने कहा है कि आर्चबिशप अनिल कुटो ने किसी व्यक्ति या पार्टी की बात नहीं की़
किसी के लिए वोट नहीं मांगा, सिर्फ देश के लिए प्रार्थना करने की अपील की थी़ कैथोलिक चर्च को प्रधानमंत्री, मंत्रियों या सरकार से कोई शिकायत नहीं है़ यह हमारी भी सरकार है़ हम प्रधानमंत्री, उनकी सरकार और उनके कार्यों का समर्थन करते हैं.
उनकी विकास योजनाओं का हिस्सा बनना चाहते हैं. हमें अपने देश, अपनी सरकार से प्रेम है़ इधर, रांची आर्चडायसिस के ऑग्जीलरी बिशप तेेलेस्फोर बिलुंग ने कहा कि उन्होंने यह पत्र नहीं देखा है और न इसके बारे में अधिक जानकारी है़ इसलिए वह इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते़
वहीं, कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो के सचिव फादर काजितन बारेटो ने कहा कि यह पत्र संभवत: आठ मई को जारी किया गया था और दिल्ली डायसिस के पल्ली पुरोहितों व धार्मिक संस्थानों के नाम था़ उन्होंने यह पत्र नहीं देखा है़ कार्डिनल टोप्पो फिलहाल रांची में नहीं हैं.
क्या कहते हैं राजनीतिक दल
राजनीति में नैतिक मूल्यों का पतन हुआ : सुखदेव
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व विधायक सुखदेव भगत ने कहा है कि राजनीति में नैतिक मूल्यों का पतन हुआ है़ कर्नाटक में जो कुछ हुआ, उससे यह साफ लग रहा है कि सत्ता के लिए नैतिकता को भुला दिया जा रहा है. समाज के लोग भी इसे महसूस कर रहे है़ं
समाज आहत है. अध्यात्म से जुड़े लोग भी राजनीतिक स्थिति को देख रहे है़ं ऐसे में लोगों की भावना सामने आ रही है़ समाज को जोड़ने की राजनीति होनी चाहिए. समाज के हर तबके के लिए सरकार होती है. कहीं से किसी को असुरक्षा की भावना नहीं होनी चाहिए़
हालात तो सही में खराब, धार्मिक सौहार्द्र तो होना ही चाहिए : बंधु
झाविमो नेता बंधु तिर्की ने कहा है कि देश में सामाजिक सौहार्द्र को लेकरहालात तो सही में खराब है़ अल्पसंख्यक समुदाय असुरक्षित महसूस कर रहा है़
धार्मिक अगुवा भी इसी समाज के लोग हैं. वे देश के लिए प्रार्थना करने की बात कर रहे हैं, तो इसमें गलत क्या है. इसे अन्यथा कदापि नहीं लेना चाहिए. देश को एक सूत्र में बांधने के लिए सबकी भूमिका होनी चाहिए. भाजपा में तो धार्मिक गुरु सांसद, विधायक और मुख्यमंत्री तक बन रहे हैं. धर्म के नाम पर राजनीति कर रहे हैं.
प्रार्थना ही हथियार है, देश को बचाने की जरूरत है : स्टीफन
झामुमो विधायक स्टीफन मरांडी ने कहा कि देश में आज प्रार्थना की ही जरूरत है़ बंदूक या हथियार कोई नहीं उठा सकता है, ना ही उठाना चाहिए.
प्रार्थना में बड़ी ताकत होती है. केंद्र और राज्य की नीतियां अल्पसंख्यकों के खिलाफ है़ ऐसे में प्रार्थना के बल पर ही हालात बदल सकते है़ं एक बार चेन्नई में सुखाड़ पड़ा था़ त्राहिमाम मचा हुअा था. पाॅल दिनाकरण ने प्रार्थना की, इसके बाद बारिश आयी. इस पर आडवाणी जी ने भी दिनाकरण को धन्यवाद दिया था. देश में सभी धर्मों का आदर और सम्मान होना चाहिए.
धर्म का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए : अनंत ओझा
भाजपा विधायक सह प्रदेश महामंत्री अनंत ओझा ने दिल्ली आर्च बिशप के बयान की निंदा की है.उन्होंने कहा कि धार्मिक पदों पर बैठे लोगों को राजनीति से दूर रहना चाहिए. धर्म का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. सोची-समझी साजिश के तहत देश को अशांत करने का प्रयास किया जा रहा है. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं. भारत लगातार आगे बढ़ रहा है. इसको लेकर ही बेचैनी है.

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