रांची : कोल इंडिया की किसी भी कंपनी में 15 साल से लगातार पदस्थापित अधिकारियों का तबादला दूसरी कंपनी में किया जायेगा. 10 साल तक किसी एक एरिया में पदस्थापित अधिकारियों को दूसरे एरिया में भेजा जायेगा. पांच साल तक एक यूनिट में पदस्थापित अधिकारी का यूनिट बदल दिया जायेगा. कोल इंडिया बोर्ड ने कंपनी की तबादला नीति में बदलाव किया है. इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गयी है. कोल इंडिया अधिकारियों से पदस्थापन का ऑप्शन भी मांग रहा है.
जून माह से तबादले की पहली सूची जारी होने की संभावना है. कोल माइंस ऑफिसर्स एसोसिएशन ने तबादले की इस नीति का विरोध किया है. नयी नीति में किसी भी एरिया के महाप्रबंधक एक कोलियरी से दूसरी कोलियरी में तबादला करने में सक्षम होंगे. एरिया से दूसरे एरिया में तबादला करने के लिए फंक्शनल निदेशक की अनुमति ली जायेगी. एक कंपनी से दूसरी कंपनी में तबादला करने का काम कोल इंडिया स्तर पर होगा.
अप्रैल से जून में होगा तबादला
कोल इंडिया में अब विशेष परिस्थिति में ही अप्रैल और जून के अतिरिक्त तबादला होगा. एक कंपनी से दूसरी कंपनी में तबादला के लिए कम से कम तीन साल का समय चाहिए. जिन अधिकारियों की नौकरी दो साल से कम होगी, उनका तबादला नहीं होगा. उनको अपनी पसंद की स्थान पर नौकरी की छूट भी दी जायेगी.
सीएमओएअाइ ने किया विरोध
कोल माइंस ऑफिसर्स एसोसिएशन ने कोल इंडिया की इस तबादला नीति का विरोध किया है. एसोसिएशन का कहना है कि अधिकारियों का तबादला नौकरी के शुरुअाती वर्षों में होना चाहिए. कोल इंडिया के निदेशक कार्मिक को लिखे पत्र में इस नीति में 15 साल एक कंपनी में काम करनेवालों को बदलने की बात कही गयी है. इस समय अधिकारी वैसी स्थिति में होते हैं कि उनका परिवार सेटेल होनेवाला होता है. परिवार के बूढ़े-बुजुर्ग कहीं आने-जाने लायक नहीं होते हैं. इस स्थिति में एक कंपनी से दूसरी कंपनी में भेजना ठीक नहीं है. कोल इंडिया प्रबंधन को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए. पूर्व में इ-6 से इ-7 रैंक में प्रमोशन पाने वाले करीब एक हजार अधिकारियों ने दूसरी कंपनियों में योगदान करने से इनकार कर दिया था.
गंभीर रूप से बीमार अधिकारियों को छूट
कोल इंडिया ने तय किया है कि गंभीर रूप से बीमार अधिकारी इस नीति के दायरे में नहीं आयेंगे. कंपनी ने गंभीर बीमारियों की श्रेणी में कैंसर, स्थायी विकलांगता, लेप्रोसी, किडनी खराब तथा पूर्ण रूप से अंधा को रखा गया है.