महागठबंधन का आगाज: पास किया लिटमस टेस्ट, सिल्ली-गोमिया विस सीट जीत कर JMM ने बचायी साख

आनंद मोहन रांची : राज्य में दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव ने कई राजनीतिक संकेत दिये हैं. इस चुनाव में महागठबंधन का आगाज था. विपक्षी एकता का लिटमस टेस्ट था, जिसमें वह पास भी कर गया. विपक्षी दलों का जुटान हुआ और दोनों सीट झटक भी लिये. दूसरी तरफ सिल्ली और गोमिया सीट पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 1, 2018 5:41 AM
आनंद मोहन
रांची : राज्य में दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव ने कई राजनीतिक संकेत दिये हैं. इस चुनाव में महागठबंधन का आगाज था. विपक्षी एकता का लिटमस टेस्ट था, जिसमें वह पास भी कर गया. विपक्षी दलों का जुटान हुआ और दोनों सीट झटक भी लिये. दूसरी तरफ सिल्ली और गोमिया सीट पर फिर से कब्जा कर झामुमो ने अपनी साख बचा ली.
दोनों ही सीटों पर कांग्रेस, झाविमो, राजद सहित वामदलों ने झामुमो प्रत्याशी का साथ दिया. पहली बार चुनाव में विपक्ष ने मजबूत घेराबंदी की थी. विपक्षी एकता ने वोटों का बिखराव नहीं होने दिया.
चुनाव में विपक्षी दलों ने खुले दिल से झामुमो का साथ दिया. चुनावी अभियान में भी सभी दल दिखे. सिल्ली और गोमिया उपचुनाव में एनडीए को शिकस्त मिली. वहीं, भाजपा और आजसू में दूरी रही.
सिल्ली में आजसू के अध्यक्ष व दिग्गज माने जाने वाले सुदेश महतो को झामुमो की सीमा देवी ने 13510 वोट से हरा दिया. सिल्ली में आजसू नेता सुदेश महतो चौतरफा घिरे थे. वह अकेले थे. भाजपा के नेता और कैडरों ने भी रास्ता काटा. एक ओर सुदेश का मुकाबला विपक्ष से था, तो वहीं वह भीतरघात से भी जूझ रहे थे. सुदेश अपने विरोधियों का फांस काट नहीं सके. उधर, गोमिया में झामुमो ने आजसू और भाजपा दोनों को निबट लिया. यहां कांटे का टक्कर रहा और झामुमो की बबीता देवी 1344 वोट के कम अंतर में जीत पायीं.
राज्य प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़ कर चुनावी मैदान में आजसू से उतरे लंबोदर महतो ने सबका पसीना छुड़ाया. भाजपा के रास्ते में लंबोदर ने कांटे बिछाये. झामुमो की बबीता देवी को 60551 वोट मिले. वहीं, लंबोदर ने 59207 वोट के साथ सबको चौंकाया. आजसू ने इस इलाके में भाजपा के वोट बैंक के साथ-साथ झामुमो के परंपरागत वोट में सेंधमारी की.
विपक्षी उत्साहित दोस्ती की गांठ को करेंगे मजबूत
उपचुनाव के परिणाम के बाद विपक्षी खेमे में उत्साह है. विपक्षी एकजुटता को बरकरार रखने के लिए नेता जुटेंगे. विपक्षी दलों को एहसास हो गया है कि आनेवाले समय की चुनौतियों को साझा ही निबट सकते हैं. कांग्रेस, झाविमो, राजद सहित दूसरे दल मुखर हो कर गठबंधन की बात कर रहे हैं. वहीं, विपक्ष में नेतृत्व को लेकर झामुमो भी आशावान है.
झामुमो ने चुनाव जीत कर मैसेज दिया है कि अगर दूसरे विपक्षी दल साथ आयेंगे, तो वह बेहतर परिणाम देगा. कांग्रेस और झाविमो की राजनीतिक मजबूरी भी है. भाजपा के खिलाफ वोट को गोलबंद करने के लिए यह झामुमो के साथ ही जायेंगे. इस चुनाव के बाद विपक्ष आनेवाले दिनों के लिए मजबूत रास्ता बनाने में जुटेगा.

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