रांची : निकला मातमी जुलूस या अली की सदा गूंजी

रांची : हजरत अली के शहादत दिवस पर चर्च रोड स्थित मस्जिदे जाफरिया में मजलिस के अंतिम दिन मंगलवार को अलम अौर ताबूत का मातमी जुलूस निकाला गया. यह जुलूस मस्जिद परिसर से शुरू होकर कर्बला चौक होते हुए कर्बला पहुंच कर समाप्त हुआ. इस बीच या अली की सदा जुलूस में गूंजती रही. जुलूस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 6, 2018 5:25 AM
रांची : हजरत अली के शहादत दिवस पर चर्च रोड स्थित मस्जिदे जाफरिया में मजलिस के अंतिम दिन मंगलवार को अलम अौर ताबूत का मातमी जुलूस निकाला गया. यह जुलूस मस्जिद परिसर से शुरू होकर कर्बला चौक होते हुए कर्बला पहुंच कर समाप्त हुआ. इस बीच या अली की सदा जुलूस में गूंजती रही.
जुलूस से पूर्व मजलिसे गम को संबोधित करते हुए हाजी मौलाना सैयद तहजीब उल हसन रिजवी इमाम ने कहा कि हजरत अली उस शख्स का नाम है, जिसके लिए पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्ल.
का फरमान है कि अली तुम्हारी शुजाअत(बहादुरी) पर नबी को नहीं, बल्कि मजहब इस्लाम को नाज है. रसूल अकरम ने फरमाया कि अली तुम्हारा मोहब्बत इमान है. मौलाना ने कहा कि हजरत अली का जन्म काबे में और शहादत मस्जिद ए कूफा में 21 रमजान को हुई. जब हजरत अली नमाज कर रहे थे, उसी समय उन पर हमला कर दिया गया और वे शहीद हो गये. नोहा खानी आमिर गोपालपुरी, कासिम अली, फैजान हैदर, हासिम अली, निहाल हुसैन, दानिश रजा, अमूद अब्बास, हसनैन, अता इमाम रिजवी ने पेश किया.
कार्यक्रम का आयोजन मेहंदी इमाम और अंजुमन जाफरिया के द्वारा किया गया. इस अवसर पर अध्यक्ष डॉक्टर सैयद शमीम हैदर, सचिव सैय्यद अशरफ हुसैन, पूर्व सचिव सैयद इकबाल हुसैन, शमीम अली, शकील हैदर, जैनुल हसन, अली शबबीर, अरशद हुसैन, एहतेशाम काजमी, जावेद हैदर, जफर उल हसन शौकत अली, फराज अहमद, अमन के अलावा सैंकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित थे.
जल, जंगल और हरियाली से ही खुशहाली
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मंगलवार को शहर के लगभग सभी प्रमुख संस्थानों ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शायी. लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए विभिन्न तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया गया. पर्यावरण के महत्व व इसके संरक्षण के उपाय के बारे में जानकारी दी गयी. हम आनेवाली पीढ़ी को कैसा भविष्य देंगे, इस पर भी मंथन किया गया. पॉलिथीन पर पाबंदी के लिए मार्च निकाला गया. पानी की रिसाइकलिंग प्रक्रिया को अवरुद्ध नहीं करने का संदेश दिया गया. इस दौरान समेकित रूप से यह बात उभर कर सामने आयी कि जल, जंगल और हरियाली से ही जीवन की खुशहाली है, किसी भी कीमत पर इसे क्षति पहुंचाने की मंशा विनाशकारी है.

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