रांची पर्यावरण मेले का समापन : जंगल कभी लगाये नहीं जाते, वह प्राकृतिक होते हैं : भगत

सभी कार्य सरकार नहीं कर सकती है, सामाजिक आंदोलन को जागृत करने की आवश्यकता रांची : जंगल लगाये नहीं जाते हैं. वह प्राकृतिक होते हैं. पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए जंगलों का संरक्षण किया जाना चाहिए. मात्र एक दिन पौधारोपण कर देने मात्र से पर्यावरण को नहीं बचाया जा सकता है. नदियों को बचाने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 6, 2018 5:57 AM
सभी कार्य सरकार नहीं कर सकती है, सामाजिक आंदोलन को जागृत करने की आवश्यकता
रांची : जंगल लगाये नहीं जाते हैं. वह प्राकृतिक होते हैं. पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए जंगलों का संरक्षण किया जाना चाहिए. मात्र एक दिन पौधारोपण कर देने मात्र से पर्यावरण को नहीं बचाया जा सकता है.
नदियों को बचाने के लिए उपाय तलाश कर उस पर काम करना होगा. राम मनोहर लोहिया ने नदियों को गहरा करने की बात कही थी, आज उसकी जरूरत महसूस की जा रही है. हमारा आपका जीवन परस्पर विरोधी हो गया है. हम सोचते कुछ हैं, कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं.
कथनी व करनी में तालमेल का अभाव होता जा रहा है. सभी कार्य सरकार नहीं कर सकती है. सामाजिक आंदोलन को जागृत करने की आवश्यकता है. उक्त बातें विकास भारती के अध्यक्ष पद्मश्री अशोक भगत ने कही. वे बताैर मुख्य अतिथि आड्रे हाउस परिसर में आयोजित आठ दिवसीय पर्यावरण मेला के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे.
जंगल काट कर बगीचा लगाना ठीक नहीं : खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कहा कि लोगों के सहयोग से दामोदर नदी औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त हो गया.
अगले वर्ष तक यह नागरिक प्रदूषण से भी मुक्त हो जायेगा. अब स्वर्ण रेखा व खरकई नदी की सफाई पर काम होगा. हर व्यक्ति को जलस्रोत साफ करने का बीड़ा उठाना होगा. उन्होंने कहा कि यह देश में पहला ऐसा पर्यावरण मेला है, जो लगातार आठ दिनों तक चलता रहा. श्री राय ने कहा कि विकास के नाम पर ऑक्सीजन देनेवाले 50-100 वर्ष पुराने वृक्षों को काटा जा रहा है. इसके बदले हम जंगल नहीं, बगीचा लगा रहे हैं. हमने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री को सुझाव दिया है कि राजमार्गों के निर्माण में पुराने वृक्षों को नहीं काटा जाये.
वन्य जीव विशेषज्ञ डॉ आरके सिंह ने पर्यावरणीय कानूनों की अवहेलना पर विचार रखा. मेला में योगदान करनेवालों व स्टॉल धारकों को सम्मानित किया गया. रितेश झा ने स्वागत भाषण किया. मंच का संचालन शशि सिंह ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन युगांतर भारती के कार्यकारी अध्यक्ष अंशुल शरण ने किया. इस अवसर पर रांची विवि के वीसी डॉ रमेश पांडेय, पूर्व सांसद यदुनाथ पांडे, खादी बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष जयनंदू, डॉ एमके जमुआर, डॉ उदय कुमार, डॉ ज्योति प्रकाश, आनंद कुमार उपस्थित थे.
एक करोड़ की पेंटिंग्स का प्रदर्शन
पर्यावरण मेला में आकर्षण का केंद्र देश के प्रसिद्ध चित्रकार राम कुमार की पेंटिंग रही. उनकी एक करोड़ की पेंटिंग्स का प्रदर्शन किया गया. उक्त पेंटिंग देश के सभी प्रमुख आर्ट गैलरी की शोभा बढ़ा चुकी है. रामकुमार को लैंड स्केप को कैनवास पर उतारने में महारत हासिल है.
नृत्य नाटिका से पर्यावरण बचाने का दिया संदेश
पर्यावरण मेला के समापन पर अंधेर नगरी चौपट राजा हास्य नृत्य नाटिका का मंचन एनएसडी के संजय लाल के निर्देशन में हुआ. नाटक के जरिये दर्शाया गया कि सुदृढ़ नेतृत्व व दूर दृष्टि नहीं होने से राज्य का क्या हाल होता है.
पर्यावरण को प्रदूषित होने से कैसे बचाया जाये और पर्यावरण अगर प्रदूषित हो जाये, तो क्या होता है इस बारे में भी बताया गया. नाटक की शुरुआत राम भजो भाई… गीत से हुई. नृत्य नाटिका में भूमिका निभाने वालों में अशोक, शाल्वी, तन्वी, मुक्ता, आकाश व आयुषी समेत कलाकार शामिल थे.

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