रांची : ईंट-बालू व चिप्स के दाम बढ़े, मकान बनाना हुआ महंगा

रांची : ईंट, बालू, चिप्स आदि निर्माण सामग्रियों की कीमत में बढ़ोतरी होने के कारण मकान बनाना महंगा हो गया है. यह बढ़ोतरी तीन से चार माह के अंदर हुई है. दाम में वृद्धि के साथ ही इन सामग्रियों का अभाव भी हो गया है. हालत यह है कि ज्यादा कीमत देने के बावजूद समय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 8, 2018 6:14 AM
रांची : ईंट, बालू, चिप्स आदि निर्माण सामग्रियों की कीमत में बढ़ोतरी होने के कारण मकान बनाना महंगा हो गया है. यह बढ़ोतरी तीन से चार माह के अंदर हुई है.
दाम में वृद्धि के साथ ही इन सामग्रियों का अभाव भी हो गया है. हालत यह है कि ज्यादा कीमत देने के बावजूद समय से ये सामग्रियां नहीं मिल रही हैं. इधर, इस साल लेबर चार्ज में भी वृद्धि हुई है, जिससे मकान बनवानेवालों को और भी परेशानी हो रही है.
निर्माण समाग्रियों की कीमतें बढ़ने और इनके अभाव से खास कर रांची शहर में मकान बनाना मुश्किल हो गया है. मकान बनानेवाले परेशान हैं, क्योंकि ईंट, बालू और चिप्स के जुगाड़ में उनका पूरा दिन निकल जा रहा है.
कई लोगों के लेबर बैठ जा रहे हैं, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है.इधर, कई अपार्टमेंटों के काम की रफ्तार भी धीमी होती जा रही है. आशंका जतायी जा रही है कि आनेवाले 15 दिनों में काम पूरी तरह प्रभावित हो सकता है. बरसात में बालू की और किल्लत हो जायेगी. साथ ही इसकी कीमत में अप्रत्याशित बढ़ोतरी भी होगी. ऐसे में अभी कुछ माह तक काम प्रभावित रह सकता है.
कीमत में हुई है बढ़ोतरी
सामग्री पहले का रेट अभी का रेट
ईंट (2500) 15000 16000
बालू (टरबो) 2500-2700 3500
चिप्स (टरबो) 6500 7500
मजदूरी में भी हुई है वृद्धि
मैनपावर पहले का रेट अभी का रेट
रेजा 300 350
कुली 400 450
मिस्त्री 550 600
नोट : सामग्रियों की कीमत व मजदूरी रुपये में
मकान बनवा रहे एक व्यक्ति की जुबानी
खटंगा इलाके में आरके सिंह अपना मकान बनवा रहे हैं. उन्होंने बताया कि 20 दिन पहले 2000 ईंट की कीमत 11 हजार रुपये थी, लेकिन इसकी कीमत में अप्रत्याशित वृद्धि कर दी गयी है. इतने ही कम दिन में रेट बढ़ाकर 17000 रुपये कर दिया गया है. इसी तरह चिप्स की बहुत जरूरत है, लेकिन पैसा देने के बाद भी नहीं मिल रहा है.
एडवांस पैसा देकर चिप्स गिरने का इंतजार कर रहे हैं. वहीं बालू की कीमत भी 600 रुपये बढ़ गयी है. उन्होंने बताया कि कई क्रशर बंद हो गये हैं. ईंट भट्ठों में भी काम नहीं हो रहा है. बरसात का भी असर है. अब स्थिति कालाबाजारी की पहुंच गयी है. आनेवाले दिनों में और ज्यादा दाम देने पर भी सामग्री मिलने में दिक्कत होगी.

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