झाविमो में संविधान बचा ही कहां था, जो मानता : बाउरी
पूछने पर कहा : जानते थे, दलबदल का मामला चलेगा, इसलिए स्पीकर को विलय की सूचना दी रांची : दलबदल के मामले में शुक्रवार को आरोपी विधायक व मंत्री अमर बाउरी की गवाही हुई़ लगभग 50 मिनट चली कार्यवाही में वादी पक्ष (बाबूलाल मरांडी-प्रदीप यादव) के अधिवक्ता आरएन सहाय ने श्री बाउरी से दर्जनों सवाल […]
पूछने पर कहा : जानते थे, दलबदल का मामला चलेगा, इसलिए स्पीकर को विलय की सूचना दी
रांची : दलबदल के मामले में शुक्रवार को आरोपी विधायक व मंत्री अमर बाउरी की गवाही हुई़ लगभग 50 मिनट चली कार्यवाही में वादी पक्ष (बाबूलाल मरांडी-प्रदीप यादव) के अधिवक्ता आरएन सहाय ने श्री बाउरी से दर्जनों सवाल किये़ पूछताछ के क्रम में श्री बाउरी ने कहा कि जनाकांक्षाओं, राज्यहित और झाविमो के कार्यकर्ताओं के हित में पूरी झाविमो ने विलय का फैसला किया था़ राज्य में राजनीतिक अस्थिरता और गठबंधन की ब्लैक मेल होने वाली सरकार से मुक्ति के लिए विलय का फैसला हुआ था़ वादी पक्ष द्वारा यह कहे जाने पर कि पार्टी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को विधायकों द्वारा बुलायी गयी बैठक की जानकारी नहीं दी गयी़
पार्टी कार्यसमिति की विलय या विघटन का फैसला कर सकती है़ यह विलय असंवैधानिक है़ इस पर मंत्री ने कहा : पार्टी में संविधान बचा ही कहां था़ संविधान की धज्जियां उड़ गयी थी़ं इसको मानने, नहीं मानने का प्रश्न कहां है़ झंडा ढोने वाले हजारों समर्पित कार्यकर्ताओं के हित में ही विलय का निर्णय लिया गया था़
आयोग के पत्र की वैद्यता पर उठाया सवाल : श्री सहाय ने वर्ष 2016 के आरटीआइ द्वारा पूछे गये सवाल के जवाब में चुनाव आयोग द्वारा भेजे गये पत्र का हवाला दिया़ अधिवक्ता का कहना था कि आयोग भी नहीं मान रहा है कि राज्य में किसी पार्टी का कहीं विलय हुआ है़ इसे बतौर प्रमाण सबूत की सूची में शामिल किया जाये़ इस पर स्पीकर का कहना था कि यह अलग विषय है़ इस पर बाद में बहस होगी़ आप चिट्ठी के साथ दें, हम देखेंगे़ उधर प्रतिवादी पक्ष के वकीलों का कहना था कि यह कैसे मान लिया जाये कि यह आयोग का पत्र है़ एक फोटो कॉपी लेकर आ गये हैं. इसकी वैद्यता पर सवाल उठता है़ यह सर्टिफाइड भी नहीं है़ प्रतिवादी पक्ष का कहना था इसे बतौर प्रमाण शामिल नहीं किया जा सकता है़ अब तो क्रॉस एक्जामिन हो रहा है़
झाविमो में तानाशाही चल रही थी, बाबूलाल को लोकसभा लड़ा कर मुख्यमंत्री का चेहरा ध्वस्त कर दिया
मंत्री ने हजारीबाग के छड़वा डैम में झाविमो के सम्मेलन का हवाला देते हुए कहा कि इसमें सर्वसम्मति से तय हुआ था कि बाबूलाल मरांडी 2014 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे़ लेकिन कार्यकर्ताओं की भावना के खिलाफ बंद कमरे में अलोकतांत्रिक तरीके से फैसला लेते हुए बाबूलाल मरांडी काे चुनाव लड़वाया गया़ बाबूलाल मरांडी चुनाव हार गये और हमारा मुख्यमंत्री का चेहरा ध्वस्त हो गया़ पार्टी के बड़े पदाधिकारी चले गये. उस समय के विधायक भाजपा में चले गये़
उस समय भाजपा के साथ सीट बंटवारे की भी बात हो रही थी, लेकिन संशय की स्थिति बना कर रखी गयी़ मंत्री का कहना था कि ऐसे हालात में कोई भी आपात बैठक बुला सकता था़ बाबूलाल मरांडी से आग्रह किया, नहीं तैयार हुए, तो वरिष्ठ नेता जानकी यादव की अध्यक्षता मेें बैठक बुलाकर विलय का फैसला लिया गया़
क्रॉस एक्जामिन के दौरान अधिवक्ता द्वारा पूछे जाने पर कि चुनाव आयोग और बाबूलाल मरांडी को विलय की सूचना क्यों नहीं दी गयी, मंत्री ने कहा कि आयोग को बताना मेरा काम नहीं था. यह भाजपा का विषय था़ हमने स्पीकर को विलय की सूचना दी थी़ अधिवक्ता ने कहा कि यानी आपको मालूम था कि 10वीं अनुसूची का
मामला चलेगा़ मंत्री ने कहा कि हां मालूम था कि 10वीं अनुसूची का मामला चलेगा़ हमने विलय कानून सम्मत किया है़