एमजीएम में सीटें घटाने का मामला : स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी राज्य सरकार
43 फीसदी के बदले 12 फीसदी कमी पर ही कम कर दी सीटें रांची : महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज (एमजीएम), जमशेदपुर की सीटें 100 से घटा कर 50 कर देने के मुद्दे पर झारखंड सरकार सोमवार को सुप्रीम कोर्ट जा सकती है. स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय में कॉलेज की सीटें […]
43 फीसदी के बदले 12 फीसदी कमी पर ही कम कर दी सीटें
रांची : महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज (एमजीएम), जमशेदपुर की सीटें 100 से घटा कर 50 कर देने के मुद्दे पर झारखंड सरकार सोमवार को सुप्रीम कोर्ट जा सकती है. स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय में कॉलेज की सीटें 50 से बढ़ा कर फिर से 100 करने संबंधी अपील की गयी है. सोमवार को हमलोग सुप्रीम कोर्ट जायेंगे.
मंत्री ने कहा कि पठन-पाठन संबंधी कम से कम 43 फीसदी कमी रहने पर ही सीटें घटायी जाती हैं. पर मेडिकल काउंसिल अॉफ इंडिया (एमसीआइ) ने झारखंड के एमजीएम कॉलेज की सीटें सिर्फ 12 फीसदी कमी के आधार पर ही कम कर दी है.
एमसीआइ ने बिहार सहित पूरे देश में करीब 1700 सीटें कम कर दी हैं. झारखंड की निर्माणाधीन तीन कॉलेजों में चालू सत्र से 100-100 सीटों पर नामांकन की मंजूरी भी एमसीआइ ने नहीं दी है. उधर, पीएमसीएच, धनबाद की सीटें गत वर्ष ही 100 से घटा कर 50 कर दी गयी थीं.
बदहाल मेडिकल शिक्षा
दरअसल झारखंड में चिकित्सा (मेडिकल) शिक्षा बदहाल है. सीटें कम होने, नये कॉलेज नहीं बनने तथा पुराने कॉलेजों में पठन-पाठन की सुविधा बेहतर नहीं होने से यह स्थिति बनी हुई है. गत 18 वर्षों में राज्य में किसी नये मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई शुरू नहीं हुई है. जो कॉलेज हैं, उनका स्तर बनाये रखना भी सरकार के लिए मुश्किल हो रहा है.
वर्ष 2014-15 में मेडिकल काउंसिल अॉफ इंडिया (एमसीआइ) ने राज्य की मेडिकल सीटों की कुल संख्या 350 से घटा कर 190 कर दी थी. रिम्स रांची, एमजीएम जमशेदपुर तथा पीएमसीएच धनबाद में पहले क्रमश: 50, 100 व 100 सीटें थीं. पर पठन-पाठन संबंधी विभिन्न खामियों के मद्देनजर एमसीआइ ने रिम्स की सीटें 90 तथा एमजीएम व पीएमसीएच की सीटें 50-50 कर दी थीं.
वहीं, सत्र 2015-16 में एमसीआइ ने सीटों की संख्या फिर 350 कर दी. वर्ष 2015 में सीट व नामांकन संबंधी मामले की सुनवाई करते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने झारखंड सरकार को यह आदेश दिया था कि वह 10 माह के अंदर अपने मेडिकल कॉलेजों में पठन-पाठन संबंधी खामियों को दूर करे. इधर, आज भी इसी कमी को आधार बनाते हुए एमसीआइ कार्रवाई कर रहा है.