रांची : रिम्स की सुरक्षा को लेकर पुलिस तैयार करेगी खाका, खत्म हो चुका है निजी सुरक्षा एजेंसी का अनुबंध
रिम्स प्रबंधन अस्पताल की सुरक्षा के नाम पर हर महीने करीब 50 लाख रुपये खर्च करता है. इसके बावजूद अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था बेहद लचर है. आये दिन मरीजों के परिजन और नर्सों/डॉक्टरों के बीच विवाद हो जा रहा है. इससे राज्य के सबसे बड़े अस्पताल की छवि धूमिल हो रही है. ऐसे में रिम्स […]
रिम्स प्रबंधन अस्पताल की सुरक्षा के नाम पर हर महीने करीब 50 लाख रुपये खर्च करता है. इसके बावजूद अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था बेहद लचर है. आये दिन मरीजों के परिजन और नर्सों/डॉक्टरों के बीच विवाद हो जा रहा है.
इससे राज्य के सबसे बड़े अस्पताल की छवि धूमिल हो रही है. ऐसे में रिम्स प्रबंधन ने अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता बनाने के लिए जिला पुलिस की मदद लेने की योजना बनायी है. इसके लिए रिम्स निदेशक डॉ आरके श्रीवास्तव ने एसएसपी कुलदीप द्विवेदी को पत्र लिखा है.
रांची : एसएसपी कुलदीप द्विवेदी को लिखे पत्र में रिम्स निदेशक डॉ आरके श्रीवास्तव ने आग्रह किया है वे रिम्स की सुरक्षा व्यवस्था का ऑडिट कराएं. पुलिस सहयोग करती है, तो प्रबंधन को यह सही जानकारी मिल पायेगी कि अस्पताल परिसर में किन बिंदुओं पर कितने सुरक्षाकर्मियों की जरूरत है. यह भी पता चल पायेगा कि सुरक्षा के किन बिंदुओं पर चूक हो रही है, जिसकी वजह से मामूली विवाद मारपीट में तब्दील हो जा रहे हैं.
जिला पुलिस द्वारा तैयार की गयी ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर ही रिम्स प्रबंधन नये सिरे से अस्पताल परिसर की सुरक्षा का खाका तैयार करेगा. सूत्रों की मानें, तो जिस वार्ड में ज्यादा भीड़ होगी, वहां ज्यादा संख्या में सुरक्षाकर्मियों की तैनात की जायेगी.
खत्म हो चुका है निजी एजेंसी का अनुबंध : रिम्स में कार्यरत निजी सुरक्षा एजेंसी का अनुबंध 2016 को ही समाप्त हो गया था. प्रबंधन ने वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने तक एजेंसी को कार्य करने की अनुमति दी थी.
इसी के आधार पर निजी सुरक्षा एजेंसी रिम्स में काम कर रही है. हालांकि, करीब तीन माह पहले निविदा के माध्यम से नयी एजेंसी का चयन हुआ था. नयी एजेंसी को कार्यादेश भी मिल गया था, लेकिन कार्यरत सुरक्षा एजेंसी की शिकायत पर कार्यादेश के अगले दिन ही पूर्व आदेश को रद्द कर दिया गया था. इसके बाद पूर्व कार्यरत एजेंसी ही सेवा दे रही है.
सुरक्षाकर्मियों की फिजिकल फिटनेस पर भी रिपोर्ट बनेगी : ऑडिट रिपोर्ट में वर्तमान में तैनात सुरक्षाकर्मियों के फिजिकल फिटनेस पर भी रिपोर्ट तैयार की जायेगी. पुलिस फिटनेस के आधार पर निर्णय लेगा कि यह सुरक्षाकर्मी उपयोगी है या नहीं. गौरतलब है कि वर्तमान सुरक्षा एजेंसी में कई ऐसे कर्मी भी तैनात हैं, जो देखने से भी सुरक्षाकर्मी नहीं लगते हैं. ऐसे लोगों को हटाने के लिए निजी एजेंसी को लिखा जायेगा.
सेवानिवृत्त सैनिकों के सुपुर्द करने भी योजना : रिम्स ने सेवानिवृत्त सैनिकों को सुरक्षा में तैनात करने की भी योजना बनायी है. स्वास्थ्य विभाग ने राज्य सैनिक कल्याण बोर्ड से रिम्स की सुरक्षा के लिए 200 सेवानिवृत्त सैनिकों की मांग की है.
बोर्ड से सहमति बनते ही रिम्स में तैनात निजी सुरक्षा एजेंसी को बाहर का रास्ता दिखा दिया जायेगा. अस्पताल प्रबंधन भी यह मान रहा है कि सेवानिवृत्त सैनिकों के होने से नियम कानून का पूरी तरह पालन होगा. वहीं, मरीजों के साथ-साथ डॉक्टर और नर्सों को भी सुरक्षा की गारंटी होगी.
रिम्स में कई बार हो चुकी है मारपीट
एक जून को मेडिसिन वार्ड में भर्ती महिला मरीज की मौत के बाद नर्स और परिजन भिड़ गये थे. इसके बाद जूनियर डाॅक्टरों और नर्सों ने दो व तीन जून को हड़ताल कर दी थी.
बाद में स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी और मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी की उपस्थिति जेडीए व नर्सेस संघ की बैठक हुई थी, जिसमें अस्पताल परिसर की सुरक्षा पर शीघ्र निर्णय लेने पर सहमति बनी थी. इससे पहले भी एक वार्ड में भर्ती मरीज के परिजन और जूनियर डॉक्टर के बीच मारपीट की घटना हो चुकी है.
पुलिस प्रशासन से सुरक्षा का ऑडिट करने का आग्रह किया गया है. एसएसपी को पत्र लिखा गया है. पुलिस की ऑडिट रिपोर्ट में यह बताया जायेगा कि कितने सुरक्षा कर्मी की आवश्यकता है. कहां-कहां व कितनी संख्या में कर्मी चाहिए यह बताने को कहा गया है.
डॉ आरके श्रीवास्तव, निदेशक, रिम्स