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रांची : जांच से पहले मरीज की हुई मौत, तो तत्काल मिलेगा रिफंड, रिम्स को 100 करोड़ का अनुदान आवंटित

कैश रिफंड : रिम्स प्रबंधन ने अपनों को खोनेवालों का दर्द कम करने के लिए नये नियम में जोड़ा नया बिंदु रांची : रिम्स में भर्ती किसी मरीज की पैथोलॉजिकल या रेडियोलॉजिकल जांच से पहले ही मौत हो जाती है, तो उसके परिजन को जांच का पैसा तत्काल लाैटाया जायेगा. इसके लिए परिजन को उपाधीक्षक […]

कैश रिफंड : रिम्स प्रबंधन ने अपनों को खोनेवालों का दर्द कम करने के लिए नये नियम में जोड़ा नया बिंदु
रांची : रिम्स में भर्ती किसी मरीज की पैथोलॉजिकल या रेडियोलॉजिकल जांच से पहले ही मौत हो जाती है, तो उसके परिजन को जांच का पैसा तत्काल लाैटाया जायेगा. इसके लिए परिजन को उपाधीक्षक के पास आवेदन देना होगा. उपाधीक्षक की अनुशंसा पर परिजन को तत्काल नगद पैसा लौटा दिया जायेगा.
रिम्स में किसी मरीज की जांच नहीं होने पर उसका पैसा रिफंड करने की नयी व्यवस्था 15 जून से लागू हो जायेगी. इसके तहत मरीज या उसके निकट संबंधी के बैंक खाते के माध्यम से पैसा लौटाया जायेगा.
रिम्स प्रबंधन का मानना है कि इलाज के दौरान मरीज की मौत होने के बाद परिजन पर संकंट टूट पड़ता है. ऐसे में कैश रिफंड की नयी व्यवस्था से मृतक के परिजन को परेशानी हो सकती थी. मंगलवार रिम्स निदेशक डॉ एसके श्रीवास्तव की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें कैश रिफंड की नयी व्यवस्था में नया बिंदु जोड़ा गया. बैठक में अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप, उपाधीक्षक डॉ संजय कुमार व एकाउंट ऑफिसर जारिका आदि शामिल थी.
15 जून से लागू हो जायेगी रिफंड की नयी व्यवस्था
डुप्लीकेट पर्ची बनाकर पैसों का गबन कर रहे थे कैश काउंटर के दो कर्मचारी
मामले का खुलासा होने पर रिम्स प्रबंधन ने बदल दी कैश रिफंड की व्यवस्था
मरीज की जांच न होने पर उसके या परिजन के खाते में लौटाया जायेगा पैसा
15 जून से नयी व्यवस्था के तहत जांच नहीं होने पर खाते में पैसा लौटाया जायेगा. इस नयी व्यवस्था में इलाज के दौरान मृत व्यक्ति के परिजन को परेशानी हो सकती थी. इसलिए मृतक के परिजन को तत्काल पैसा लौटाने की व्यवस्था की गयी है.
गिरिजाशंकर प्रसाद, उप-निदेशक रिम्स
इसलिए रिम्स प्रबंधन को लेना पड़ा कड़ा फैसला
पहले रिम्स में इलाज कराने पहुंचे मरीज रेडियोलॉजिकल और पैथोलॉजिकल जांच के लिए कैश काउंटर से पर्ची कटाते थे. जांच नहीं होने की स्थिति में वे कैश काउंटर पर पर्ची लौटाकर कैश वापस ले लेते थे.
इस सरल नियम का फायदा उठाते हुए कैश काउंटर के दो दैनिक कर्मचारियों ने रिम्स को करीब साढ़े चार लाख रुपये का चूना लगाया. जिन मरीजों की जांच हो जाती थी, उनके नाम की डुप्लीकेट पर्ची निकाल कर ये कर्मचारी कैश काउंटर से पैसा रिफंड करा लेते थे. मामला प्रकाश में आने के बाद इसकी जांच की गयी और आरोपी कर्मचारियों को रिम्स प्रबंधन ने नौकरी से हटा दिया और उनके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी. साथ ही जांच नहीं होने की स्थिति में कैश रिफंड का पूरा सिस्टम ही बदल दिया.
शिशु सर्जरी वार्ड और ओपीडी अब एक ही बिल्डिंग में
मरीज को दिखाने के बाद भर्ती कराने के लिए नहीं तय करनी होगी लंबी दूरी
रांची : रिम्स के शिशु सर्जरी वार्ड को पुरानी बिल्डिंग (डी-वन स्थित सामान्य सर्जरी विंग) से हटाकर सुपर स्पेशियलिटी बिल्डिंग में शिफ्ट कर दिया गया है. यहां पहले से ही शिशु सर्जरी विभाग का ओपीडी संचालित हो रहा है. रिम्स प्रबंधन के इस कदम से मरीज बच्चों और उनके परिजनों को काफी राहत मिल रही है.
इससे पहले बीमार बच्चों को लेकर उनके परिजन सुपर स्पेशियलिटी विंग स्थित ओपीडी में जाते थे. अगर बच्चे को भर्ती करना पड़ता था, तो उसे लेकर वे पुरानी बिल्डिंग में जाते थे. इससे मरीजों को परेशानी तो होती ही थी, डॉक्टर भी परेशान होते थे.
क्योंकि अपने मरीज को देखने के लिए वार्ड तक आने में उन्हें लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी. नयी व्यवस्था के तहत सुपर स्पेशियलिटी विंग स्थित शिशु सर्जरी विभाग के ओपीडी में मरीज को दिखाने के बाद परिजन उसी भवन के चौथे तल्ले पर उसे भर्ती भी करा पायेंगे. शिशु सर्जरी के नये वार्ड में फिलवक्त 18 बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है. इनमें से कई बच्चों की सर्जरी होनी है.
बच्चों का डर खत्म करने के लिए वार्ड को किड्स जोन में बदला
शिशु सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ हिरेंद्र बरुआ ने बताया कि इस वार्ड में अत्याधुनिक बेड व उपकरण लगाये गये हैं. बच्चाें की बीमारी की पीड़ा कम हो सके इसके लिए वार्ड को बच्चों के हिसाब से सजाया जा रहा है. यहां छोटा भीम, पोकेमॉन, मोटू-पतलू जैसे कार्टून कैरेक्टर के पोस्टर लगाये जा रहे हैं. इससे बच्चे इलाज के नाम पर भयभीत नहीं होंगे. शिशु सर्जन डॉ अभिषेक ने बताया कि वार्ड में एक किड्स जोन भी बनाया जायेगा, जिससे बच्चों के लिए खिलौने भी रखे जायेंगे.
रिम्स को 100 करोड़ का अनुदान आवंटित
रांची : स्वास्थ्य विभाग द्वारा रिम्स के लिए एक सौ करोड़ रुपये का अनुदान आवंटित कर दिया गया है. यह अनुदान वित्तीय वर्ष 2018-19 में राज्य स्कीम के तहत रिम्स एवं संबद्ध संस्थान के विकास कार्य तथा मुख्यमंत्री नि:शुल्क डायग्नोस्टिक एवं रेडियोलॉजी जांच योजना, मुख्यमंत्री नि:शुल्क सरवाईकल कैंसर एवं ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग योजना के लिए दिया गया है. इस राशि में 10 करोड़ रुपये नि:शुल्क जांच योजनाओं के तहत पीपीपी मोड पर संचालित एजेंसियों के बिल के भुगतान के लिए है. वहीं, शेष राशि से मशीन एवं उपकरण खरीदे जायेंगे.
प्रायोगिक तौर पर ई-हॉस्पिटल सेवा शुरू : रिम्स में प्रायोगिक तौर पर ई-हॉस्पिटल की सेवा शुरू कर दी गयी है. पहले चरण में ओपीडी से यह सेवा शुरू की गयी है. इसके बाद इमरजेंसी, इंडोर, जांच सेंटर, ब्लड बैंक, जनऔषधि सेंटर में किया जायेगा. ई-हॉस्पिटल सेवा को एनआइसी के सहयोग से किया जा रहा है. इस सेवा से मरीजों का सारा ब्योरा कंप्यूटर पर होगा. किसी विभाग के डॉक्टर मरीज का पंजीयन नंबर डालकर उसका सारा डिटेल देख पायेंगे. मरीज को ओपीडी में देखने के बाद कौन-कौन सी दवा लिखी गयी. कौन से जांच के लिए कहा गया. इसके अलावा जांच के बाद रिपोर्ट भी कंप्यूटर पर अपलोड रहेगी.

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