950 तालाबों के गहरीकरण का काम शुरू, 250 हो चुके हैं पूरे

रांची : राज्य में पहली बार भूमि संरक्षण विभाग द्वारा तालाब गहरीकरण का काम समय से पूर्व कराया जा रहा है. मॉनसून से पहले तय लक्ष्य से करीब आधे तालाब में काम किया जा रहा है. 950 सरकारी और निजी तालाबों के गहरीकरण और जीर्णोद्धार का काम शुरू हो गया है. इसमें करीब 250 पूरा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 17, 2018 4:27 AM

रांची : राज्य में पहली बार भूमि संरक्षण विभाग द्वारा तालाब गहरीकरण का काम समय से पूर्व कराया जा रहा है. मॉनसून से पहले तय लक्ष्य से करीब आधे तालाब में काम किया जा रहा है. 950 सरकारी और निजी तालाबों के गहरीकरण और जीर्णोद्धार का काम शुरू हो गया है. इसमें करीब 250 पूरा हो गया है. 30 जून तक शेष तालाबों के काम भी पूर्ण हो जाने का दावा विभागीय अधिकारियों का है.

मुख्यमंत्री की पहल पर शुरू हुआ काम : केंद्र सरकार से आदेश आने के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 24 मई को जल संचयन दिवस के मौके पर तालाब जीर्णोद्धार और गहरीकरण का काम शुरू करने का निर्देश दिया था. मुख्यमंत्री ने इस काम को अभियान के रूप में लेते हुए इसका खूंटी जिले में उदघाटन किया था. इस दिन एक हजार तालाब में काम शुरू कराने का आदेश दिया गया था. मुख्यमंत्री ने इसके लिए सभी विधायकों से आग्रह किया था कि 22 मई तक अनुशंसा दे दें. इसके बाद पूरी प्रक्रिया उपायुक्त स्तर से निबटा ली जायेगी. मुख्यमंत्री के आदेश के बाद स्कीम समय पर शुरू किया जा सका.
दो हजार तालाब का होना है जीर्णोद्धार
भूमि संरक्षण विभाग के इस स्कीम से दो हजार तालाब जीर्णोद्धार या गहरीकरण का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए करीब तीन सौ करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गयी है. अब तक ग्राम सभा द्वारा 2029 तालाब के जीर्णोद्धार की अनुशंसा की गयी है. इनमें 1792 तालाबों का अनुमोदन उपायुक्त स्तर से भी हो गया है. 502 सरकारी तथा 433 निजी तालाबों के जीर्णोद्धार या गहरीकरण का काम शुरू करा दिया गया था. इसमें 114 सरकारी तथा 110 निजी तालाबों का काम पूरा कर लिया गया है.
तालाब निर्माण की गति तेज है. अब तक बारिश नहीं हुई है. इस कारण काम में तेजी है. बारिश होने के बाद काम पर असर पड़ेगा. मौसम इसी तरह रहा, तो 30 जून तक करीब एक हजार तालाब के जीर्णोद्धार या निर्माण का काम पूरा करा लिया जायेगा. इसकी लगातार मॉनिटरिंग हो रही है.
एफएन त्रिपाठी, निदेशक, भूमि संरक्षण
गुरु अर्जन देव जी और सरल धर्म-मार्ग
शिक्षा l गुरुजी की शिक्षा का मूल मंत्र है हर प्राणी को ईश्वर की ‘रजा’ में रहना चाहिए
जसबीर सिंह
धर्म की जटिलता एवं कलिष्टता को दूर करते हुए गुरु अर्जन देव जी ने कहा :
”सरब धरम महि श्रेष्ठ धरम
हरि को नाम जप, निरमल करम”
अर्थात वही धर्म श्रेष्ठ है, जो हमें हरि के नाम से जोड़ता है और हरि के नाम से तभी जुड़ा जा सकता है, जब हमारे कर्म निर्मल हों, पवित्र हों, सरल हों. निर्मल चरित्र वह चरित्र है, जहां व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन सत्य के मार्ग पर चल कर करता है, अर्थात जिस माध्यम से हम रोजी-रोटी कमाते हैं, वह भी शुद्ध एवं पवित्र होना चाहिए. अपनी अर्जित आय से न केवल अपना पेट भरता है, बल्कि उसका कुछ अंश दीन-हीन की सहायता के लिए बिना अहं भाव के इस्तेमाल करता है़ सत्य के मार्ग को कभी नहीं त्यागता, न किसी को भय देता है और न भय मानता है़ मानव-मानव में भेद नहीं करता. सब को उचित सम्मान देता है़
आपका कथन है –
‘एक पिता एकस केहम बारिक’
एवं
‘ बुरा भला कहु किसको कहिए सगले जीव तुम्हारे ‘
साथ ही,
‘ना कोई बैरी नहीं बिगना
सगल संग हमको बन आयी। ‘
गुरु जी ने मानव-मात्र को जो अति महत्वपूर्ण सीख दी- वह है स्वयं को प्रभु के चरणों में बिना किसी शर्त के पूर्णरूपेण समर्पित करना. अपनी दिमागी कसरत को त्याग कर जो कुछ भी प्रभु कर रहा है, उसे आदेश मान कर दुख-सुख से परे तटस्थ भावना के साथ स्वीकार करना. जहां मनुष्य को दु:ख-सुख प्रभावित नहीं करते, वह सदैव अडोल रहता है. अगर-मगर की भावना के साथ प्रभु को नहीं पाया जा सकता. प्रभु प्राप्ति के मार्ग में सबसे बड़ी कठिनाई हमारी सांसारिक चतुराई है. निश्चलता त्याग कर हम दिमागी जोड़-तोड़ करते हैं और प्रभु से दूर हो जाते हैं. निश्चय ही प्रभु प्राप्ति का मार्ग इससे अवरुद्ध होता है. सशर्त ईश्वर की प्राप्ति असंभव है.
भक्त कबीर का भी कथन है –
‘जब मैं था तब गुरु नहीं, अब गुरु है मैं नाहिं,
प्रेम गली अति सांकरी, तामें दो न समाहिं.’
गुरु अर्जन देव जी को असहनीय कष्ट दिये गये-कई प्रकार की यंत्रतनाएं दी गयीं, पर आप ऐसे क्षणों में भी अटूट आस्थावश अडोल रहे और प्रभु स्मरण से जुड़े रहे. वे कष्ट भी उन्हें विचलित नहीं कर सके.
गुरुजी की शिक्षा का मूल मंत्र है हर प्राणी को ईश्वर की ‘रजा’ में रहना चाहिए. वह ‘करतारपुरुख’ जो भी कर रहा है, उसे मनुष्य को उसका ‘प्रसाद’ मान कर सहर्ष स्वीकार करना चाहिए. इसी प्रसंग में आपने कहा और संपूर्ण जीवन में इसका निर्वाह भी किया :
‘तेरा कीया मीठा लागे,
हरि नाम पदारथ नानक मांगे.’
लेखक एसबीआइ के सेवानिवृत्त महाप्रबंधक हैं.

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