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भू-माफिया के लिए लूट की व्यवस्था, वापस ले

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By Prabhat Khabar Digital Desk | June 17, 2018 4:45 AM
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उबली झारखंड की राजनीति

भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल
नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने सरकार पर साधा निशाना, कहा
रांची : प्रतिपक्ष के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल पर राष्ट्रपति की मंजूरी संबंधी खबरों पर राज्य सरकार 24 घंटे के अंदर अपनी स्थिति स्पष्ट करे. ऊहापोह की स्थिति है. संशोधन बिल को वापस लेने के लिए झामुमो ने विपक्ष के साथ आंदोलन में भूमिका निभायी. इसे लेकर राष्ट्रपति से भी मिला. हेमंत सोरेन ने कहा : यदि भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल पर मंजूरी की बात सही है, तो राज्य सरकार बिना शर्त कानून को वापस ले. जिस तरह राज्यव्यापी आंदोलन के बाद सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव वापस लिया गया, वैसा ही आंदोलन किया जायेगा.
हेमंत ने कहा : राज्य सरकार उद्योगपतियों व भू माफियाअों के लिए जमीन लूटने की व्यवस्था कर रही है. इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है. यदि सरकार ने संशोधन विधेयक वापस नहीं लिया, तो मेरे आवास पर 18 जून को दिन के 12.30 बजे विपक्षी दलों व सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक होगी. भाजपा, आजसू के विधायकों से भी अपील है कि वे राज्यहित में एकजुट हों और बैठक में शामिल होकर गरीब-किसानों को उजाड़ कर उद्योगपतियों को बसाने व भू-माफियाअों को संरक्षण देने की सरकार की कोशिशों को नाकाम करेें. संशोधन राज्य की भावना के विपरीत है.
झामुमो ने 18 जून को विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों की
बुलायी बैठक
भाजपा और आजसू के विधायकों व नेताओं को भी बैठक में िकया आमंत्रित
झाविमो : फिर साजिश
झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि यह सरकार झारखंडियों की जमीन लुटने के लिए बेताब है. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन करने की पहले कोशिश की गयी. भारी जन दबाव और राजनीतिक दलों के संघर्ष के कारण सरकार सफल नहीं हो पायी. अब एक बार फिर से साजिश की गयी है. भूमि-अधिग्रहण बिल में संशोधन किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं करेंगे. इसका िवरोध करेंगे. दूसरे दलों से बात कर इस पर आंदोलन की रणनीति बनेगी़
कांग्रेस : कॉरपोरेट के लिए संशोधन
कांग्रेस नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने कहा है कि पूंजीपतियों व काॅरपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार ने भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन कराया है. सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था के विरुद्ध काम किया है. किसानों की जमीन अधिग्रहित कर काॅरपोरेट घरानों को सस्ती दर पर देने लिए संशोधन पास कराया है.
संशोधन स्कूल-सड़क जैसी योजनाओं के लिए
राजभवन चुप, पर भू-राजस्व मंत्री अमर बाउरी बोले
रांची : भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने की सूचना सरकार तक पहुंच गयी है़ भू-राजस्व मंत्री अमर बाउरी ने इसकी पुष्टि की है़ उन्होंने बिल पर मंजूरी प्रदान करने के लिए राष्ट्रपति को धन्यवाद भी दिया है़ अमर बाउरी ने कहा : पहले भी गुजरात और तेलंगाना जैसे राज्य अपने हिसाब से भूमि-अधिग्रहण बिल में संशोधन कर चुके है़ं झारखंड के संदर्भ में यह संशोधन लाभकारी होगा़
बिल में िसर्फ सरकारी व जनोपयोगी कार्यों के लिए ही भूमि अधिग्रहण की बात की गयी है़
इससे सड़क, स्कूल, अस्पताल, बिजली, आंगनबाड़ी केंद्रों समेत अन्य जनोपयोगी कार्य के तेजी से होने का रास्ता साफ होगा़ किसी भी बाहरी या निजी कारणों से संशोधन बिल का लाभ किसी व्यक्ति या कंपनी विशेष को नहीं मिलेगा़ राज्य सरकार ने जनहित को ध्यान में रखते हुए बिल में संशोधन किया है़ उन्होंने कहा है कि पूरा देश झारखंड को विकास की राह पर लाने का प्रयास कर रहा है़ इस बिल से ना िसर्फ झारखंड के विकास को बल मिलेगा, बल्कि इससे युवाओं को रोजगार सुलभ होने में भी मदद मिलेगी़ अमर बाउरी ने संशोधन के लिए सरकार के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि यह भविष्य में फायदेमंद साबित होगा़
भू-राजस्व मंत्री ने की पुष्टि, कहा : झारखंड के हित में है संशोधन, अब होगा जनोपयोगी काम
मंत्री ने बताया : गुजरात और तेलगांना भी कर चुके हैं बिल में संशोधन
भाजपा ने कहा : संशोधन कॉरपोरेट घरानों और पूंजीपतियों के लिए नहीं
भाजपा प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर ने कहा है कि विपक्ष विकास विरोधी है. संशोधन कॉरपोरेट नहीं, बल्कि स्कूल-अस्पताल जैसी सरकारी योजनाओं पर लागू होगा. सरकार ने संसद द्वारा 2013 में पारित भूमि अधिग्रहण कानून के मुआवजा और पुनर्वास के मूल प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया है. नये प्रस्ताव से ग्राम सभा की सलाह लेते हुए एक समय सीमा में सरकारी योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण और चार गुना मुआवजा प्रदान करने का कार्य संभव हो पायेगा. प्रभावितों को न्याय मिल पायेगा. विकास की गति तेज होगी .
भाजपा ने कहा : संशोधन कॉरपोरेट घरानों और पूंजीपतियों के लिए नहीं
भाजपा प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर ने कहा है कि विपक्ष विकास विरोधी है. संशोधन कॉरपोरेट नहीं, बल्कि स्कूल-अस्पताल जैसी सरकारी योजनाओं पर लागू होगा. सरकार ने संसद द्वारा 2013 में पारित भूमि अधिग्रहण कानून के मुआवजा और पुनर्वास के मूल प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया है. नये प्रस्ताव से ग्राम सभा की सलाह लेते हुए एक समय सीमा में सरकारी योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण और चार गुना मुआवजा प्रदान करने का कार्य संभव हो पायेगा. प्रभावितों को न्याय मिल पायेगा. विकास की गति तेज होगी .
आजसू : झारखंडी हित में नहीं, पुनर्समीक्षा हो
जदयू : कृषि योग्य भूमि घटेगी, दूरगामी प्रभाव पड़ेगा
शनिवार को भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल पर राष्ट्रपति की मंजूरी की खबर मीडिया मेें आयी़ रविवार देर शाम तक राजभवन से ना तो इसकी पुष्टि की गयी और ना ही इसका खंडन किया. राजभवन की चुप्पी से असमंजस की स्थिति बनी हुई थी़ दिनभर राजनीतिक गतिविधियां तेज रही़ देर शाम प्रभात खबर से बातचीत में भू-राजस्व मंत्री अमर बाउरी ने स्वीकार किया कि राष्ट्रपति ने संशोधन बिल पर अपनी मंजूरी दे दी है़
इधर, विपक्ष ने संशोधन बिल को खारिज किया है. राज्य सरकार को घेरा है. आदिवासी सेंगेल अभियान ने इस संशोधन के खिलाफ 18 जून को झारखंड बंद का आह्वान किया है. बंद को सफल बनाने के लिए दूसरी विपक्षी पार्टियों से समर्थन का आह्वान किया है. झामुमो ने सरकार को 24 घंटे के अंदर संशोधन बिल पर राष्ट्रपति की मंजूरी को लेकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने 18 जून को सभी विपक्षी पार्टियों और सामाजिक संगठन की बैठक बुलायी है.

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