जनगणना-2011 के आंकड़े, केरोसिन नहीं लेना चाह रहे हैं कई डीलर और लाभुक

जनगणना-2011 के आंकड़े बताते हैं कि झारखंड में केरोसिन से रोशनी करनेवाले घर घट गये हैं रांची : राज्य के कई जन वितरण प्रणाली उपभोक्ता केरोसिन लेना नहीं चाहते हैं. इसी वजह से डीलर भी केरोसिन बेचने में बहुत रुचि नहीं दिखा रहे हैं. इधर, विभागीय अधिकारी केरोसिन के उठाव व वितरण के लिए डीलरों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 18, 2018 4:50 AM
जनगणना-2011 के आंकड़े बताते हैं कि झारखंड में केरोसिन से रोशनी करनेवाले घर घट गये हैं
रांची : राज्य के कई जन वितरण प्रणाली उपभोक्ता केरोसिन लेना नहीं चाहते हैं. इसी वजह से डीलर भी केरोसिन बेचने में बहुत रुचि नहीं दिखा रहे हैं. इधर, विभागीय अधिकारी केरोसिन के उठाव व वितरण के लिए डीलरों पर लगातार दबाव बनाते हैं. बोरेया की पीडीएस डीलर अंजू कुमारी के पति ने कहा कि उपभोक्ता केरोसिन लेना नहीं चाहते हैं. ऐसे में तेल लेने के लिए 10 हजार रुपये फंसाना बेकार है. उन्होंने कहा है कि गत माह उन्होंने तेल का उठाव ही नहीं किया. इधर, खाद्य आपूर्ति विभाग में इस बात की समीक्षा नहीं हो रही कि राज्य को वास्तव में कितना केरोसिन चाहिए. सरकार की एक गाइड लाइन है कि जिनके पास एलपीजी कनेक्शन है, उन्हें केरोसिन नहीं देना है.
क्या है हकीकत : दरअसल, देश भर के घरेलू उपभोक्ताओं को केरोसिन दो मकसद से दिया जाता है. घर में रोशनी करने तथा खाना पकाने के लिए. इधर जनगणना-2011 के आंकड़े बताते हैं कि झारखंड में केरोसिन से रोशनी करने वाले घर घट गये हैं. वर्ष 2001 की जनगणना की तुलना में इनकी संख्या 10.27 फीसदी घटी है. वहीं इस दौरान खाने पकाने के लिए केरोसिन के इस्तेमाल में तो 68.36 फीसदी की कमी आयी है. ग्रामीण विद्युतीकरण योजना तथा गरीबों को एलपीजी गैस व चूल्हा वितरण योजना का यह असर हो सकता है. पर राज्य सरकार ने इस अनुसार केरोसिन मंगाने में कमी नहीं की है. इसके उलट अब खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू होने के बाद केरोसिन के उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ गयी है. पहले जहां राज्य भर के कुल 47,15,046 घरों में केरोसिन दिये जाते थे. वहीं अब खाद्य आपूर्ति विभाग कुल 56,91,659 लाभुकों को केरोसिन देने की बात करता है. ग्रामीण इलाके में प्रति लाभुक परिवार चार तथा शहरी अनुभाजन क्षेत्र में तीन लीटर केरोसिन देना है.
लागत भी है कारण
अभी उपभोक्ताअों को करीब 42-45 रुपये लीटर केरोसिन मिलता है. केरोसिन लेने के बाद सरकार लाभुक के खाते में सब्सिडी देती है. सब्सिडी की रकम छह रुपये से लेकर 14 रुपये के बीच रहती है. दरअसल तेल की कीमत व सब्सिडी की रकम में हर माह बदलाव होता है.
पर एक तो लोग पहले प्रति लीटर केरोसिन के लिए 45 रुपये देना नहीं चाहते, वहीं सब्सिडी की रकम भी कभी-कभी आती है. संताल परगना इलाके में तो शिकायत है कि सब्सिडी लाभुक के खाते में मिल ही नहीं रही है. इन्हीं कारणों से लाभुक केरोसिन लेना नहीं चाहते.
इधर पीडीएस डीलर की भी पूंजी फंसती है. अभी डीलरों को प्रति लीटर एक रुपये कमीशन मिलता है. सरकार अपनी तरफ से 50 पैसे देती है, वहीं शेष 50 पैसे लाभुक देते हैं. इसलिए डीलर भी केरोसिन लेना नहीं चाहते.

Next Article

Exit mobile version