झारखंड : भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ बंद बेअसर

रांची : भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ झारखंड बंद विपक्षी दलों के समर्थन के अभाव में विफल रहा. आदिवासी सेंगेल अभियान और झारखंड दिशोम पार्टी ने सड़क जाम करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने इन्हें हिरासत में ले लिया. बोकारो जिला के जारीडीह ब्लॉक स्थित तुपकाडीह सड़क को कुछ देर के लिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 18, 2018 10:39 AM

रांची : भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ झारखंड बंद विपक्षी दलों के समर्थन के अभाव में विफल रहा. आदिवासी सेंगेल अभियान और झारखंड दिशोम पार्टी ने सड़क जाम करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने इन्हें हिरासत में ले लिया. बोकारो जिला के जारीडीह ब्लॉक स्थित तुपकाडीह सड़क को कुछ देर के लिए जाम किया गया. करीब 08:45 बजे पुुलिस ने 20 लोगों को हिरासत में लेकर जाम खत्म करवा दिया. बोकारो जिला के अन्य क्षेत्रों में भी बंदी का असरनहींदिखा. पुलिस और प्रशासन ने बंदी से निबटने के पुख्ता इंतजाम किये थे.

आदिवासी सेंगेल अभियान और झारखंड दिशोम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल के खिलाफ सोमवार (18 जून) को झारखंड बंद का एलान किया था. उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस समेत तमाम विरोधी दलों से बंद को समर्थन देने की अपील की थी, लेकिन किसी ने उनके आग्रह को स्वीकार नहीं किया.

-लोहरदगा में भी बंदी बेअसर है. वाहनों का परिचालन सामान्य है. दुकानें,शिक्षण और सरकारी संस्थान खुले हैं.

श्री मुर्मू का कहना है कि झारखंड भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल 2017 पर राष्ट्रपति की मुहर आदिवासियों और मूलवासियों के लिए डेथ वारंट है. ज्ञात हो कि झारखंड विधानसभा ने 12 अगस्त, 2017 को भूमि अर्जन-पुनर्वासन एवं पुनर्स्थापना में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता का अधिकार, झारखंड संशोधन विधेयक-2017 पारित किया था. इसमें सोशल इम्पैक्ट के अध्ययन के प्रावधान को खत्म कर दिया गया.

इससे सरकारी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, अस्पताल, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी, रेल परियोजना, सिंचाई योजना, विद्युतीकरण, जलापूर्ति योजना, सड़क, पाइप लाइन, जलमार्ग और गरीबों के आवास बनाने के लिए जमीन का अधिग्रहण करने का रास्ता साफ हो गया. हालांकि, पिछले साल विधानसभा के माॅनसून सत्र में भू-अर्जन में सोशल इम्पैक्ट असेसमेंट खत्म करने पर विपक्ष की कड़ी आपत्ति के बावजूद भारी शोर-शराबे के बीच यह बिल ध्वनिमत से पारित हो गया था.

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