राजधानी में बेअसर रहा झारखंड बंद

अलबर्ट एक्का चौक पर बंद समर्थकों को पुलिस ने हिरासत में लेकर कैंप जेल भेजा रांची : झारखंड भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी के खिलाफ आदिवासी सेंगेल अभियान व झारखंड दिशोम पार्टी का झारखंड बंद राजधानी में बेअसर रहा. मॉल, दुकानें, दफ्तर खुले रहे. सड़कों पर गाड़ियों की आवाजाही जारी रही़ दिन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 19, 2018 5:43 AM

अलबर्ट एक्का चौक पर बंद समर्थकों को पुलिस ने हिरासत में लेकर कैंप जेल भेजा

रांची : झारखंड भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी के खिलाफ आदिवासी सेंगेल अभियान व झारखंड दिशोम पार्टी का झारखंड बंद राजधानी में बेअसर रहा. मॉल, दुकानें, दफ्तर खुले रहे. सड़कों पर गाड़ियों की आवाजाही जारी रही़ दिन के लगभग 11 बजे बंद के समर्थन में अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद, केंद्रीय सरना समिति व छात्र मोर्चा के लोग अलबर्ट एक्का चौक पर जुटे, जहां से पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर कैंप जेल भेज दिया़
इनमें अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की कार्यकारी जिला अध्यक्ष कुंदरेसी मुंडा, राहुल तिर्की, रोहित तिर्की, स्मित तिर्की, आनंद कुजूर, छोटी बाला सांगा, संगीता उरांव, केंद्रीय सरना समिति के संदीप तिर्की, बासुदेव भगत, छात्र मोर्चा के अजय टोप्पो, ऑल्विन लकड़ा, विकास तिर्की, अनुपम बाखला, स्वाति शोभा मुंडू, आकाश तिर्की, कुमार नायक, तीर्थराज बेदिया, शिबू तिर्की, प्रभु शर्मा व अन्य शामिल थे़
बंद का मकसद था जमीन के मुद्दे पर अलर्ट करना: सालखन
आदिवासी सेंगेल अभियान व झारखंड दिशोम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कि बंद की सफलता-असफलता से ज्यादा मकसद जमीन के मुद्दे पर सरकार, विपक्ष और झारखंड की जनता को अलर्ट करना था़ उन्हें सोचने के लिए मनोवैज्ञानिक खुराक देना था़ पक्ष-विपक्ष के साथ साथ झारखंडी जनता अर्थात आदिवासी- मूलवासी जनता को सही फैसला लेने के लिए तार्किक होना होगा़ अन्यथा जमीन गयी, तो जान गयी की तर्ज पर झारखंड का बेड़ा गर्क होना तय है़ आदिवासी सेंगेल अभियान व जेडीपी का जनहित में प्रयास जारी रहेगा. अब यह देखना है कि सहयोगी दलों का ऊंट किस करवट बैठेगा़
आदिवासी मूलवासी समाज के लिए डेथ वारंट: दूसरी तरफ, बिल के विरोध में आदिवासी सेना की बैठक सोमवार को हेसल अखड़ा में हुई़ अध्यक्ष शिवा कच्छप ने कहा कि भूमि अधिग्रहण बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद असंतोष फैल गया है़ राष्ट्रपति ने इस पर मुहर लगाकर आदिवासी मूलवासी समाज के लिए डेथ वारंट जारी कर दिया है़ राज्य सरकार उद्योगपतियों व भू-माफियाओं के लिए जमीन लूटने की व्यवस्था कर रही है़ इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जायेगा़ सरकार संशोधन विधेयक वापस ले, अन्यथा जोरदार आंदोलन तय है़ बैठक में चिंटू मुंडा, विजय मुंडा, संदीप मुंडा, बबलू टोप्पो, अजीत लकड़ा, अमर लोहरा, सूरज महली, अमन तिर्की, वैद्यनाथ उरांव व अन्य शामिल थे़
पांच हजार अतिरिक्त जवानों की हुई थी तैनाती : बंद के दौरान विधि व्यवस्था हर हाल में बनाये रखने के लिए पुलिस मुख्यालय की ओर से पांच हजार जवानों की अतिरिक्त तैनाती जिलों में की गयी थी. हालांकि, कहीं से भी हिंसक घटना की खबर नहीं है. पुलिस मुख्यालय के कंट्रोल रूम से लगातार जिलों से अपडेट लिए जा रहे थे. चाईबासा में कुछ जगहों पर बंद का असर दिखा. लेकिन बाकी जिलों में बंद बेअसर रहा.
रांची : बंद का असर कोल्हान प्रमंडल में सिर्फ चाईबासा और आसपास के इलाकों व जगन्नाथपुर अनुमंडल मुख्यालय में देखने को मिला. कुछ स्थानों पर बंद समर्थकों ने स्वेच्छा से गिरफ्तारियां दी. वहीं लंबी दूरी की गाड़ियां नहीं चलने से कई जगह लोगों को यात्रा में परेशानी हुई.
पश्चिमी सिंहभूम: जिला मुख्यालय व इसके आसपास के इलाकों में बंद असरदार रहा. लंबी दूरी की बसें नहीं चलीं.पेट्रोल पंप समेत दुकानों पर ताले लटके रहे. दर्जनों कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारी दी, जिन्हें एक घंटे बाद छोड़ दिया गया.
पूर्वी सिंहभूम: जमशेदपुर के करनडीह में 40 कार्यकर्ता बंद कराने निकले और टाटा-चाईबासा मुख्य सड़क को कुछ देर जाम रखा. घाटशिला में भी बंद प्रभावहीन रहा, लेकिन बसें नहीं चलने से यात्री परेशान रहे.
सरायकेला-खरसावां: सरायकेला जिला मुख्यालय में बंद का कोई असर नहीं दिखा. स्कूल, कॉलेज, पेट्रोल पंप सब खुले रहे. जमशेदपुर, चाईबासा, खरसावां व राजनगर तक की बसें चलती रहीं.
बोकारो: बंद समर्थकों ने सुबह में जैनामोड़- फुसरो मार्ग को चार घंटे तक जाम रखा. जरीडीह पुलिस द्वारा जाम कर रहे समर्थकों को गिरफ्तार करने के बाद आवागमन चालू हो सका .

Next Article

Exit mobile version