अंतराष्ट्रीय योग दिवस आज : रांचीवासी योग से दे रहे बढ़ती उम्र को मात, जानिए क्या कहते हैं योग प्रशिक्षक
रांची : योग भारत की पुरानी परंपरा का एक अमूल्य उपहार है. इससे दिमाग व शरीर का विकास होता है और कई बीमारियों से मुक्ति मिलती है. योग, भारतीय ज्ञान की पांच हजार साल पुरानी शैली है. योग केवल व्यायाम नहीं है, बल्कि स्वयं के साथ, विश्व व प्रकृति के साथ एकत्व खोजने का भाव […]
रांची : योग भारत की पुरानी परंपरा का एक अमूल्य उपहार है. इससे दिमाग व शरीर का विकास होता है और कई बीमारियों से मुक्ति मिलती है. योग, भारतीय ज्ञान की पांच हजार साल पुरानी शैली है. योग केवल व्यायाम नहीं है, बल्कि स्वयं के साथ, विश्व व प्रकृति के साथ एकत्व खोजने का भाव है.
योग स्वस्थ जीवन की कला एवं विज्ञान है. इसकी बदौलत न केवल स्वस्थ रहा जा सकता है, बल्कि बढ़ती उम्र की रफ्तार को भी कम किया जा सकता है. हमारे बीच कई ऐसे उम्रदराज लोग हैं, जिन्होंने योग की बदौलत बढ़ती उम्र को मात दी है. कई ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने योग को अपना जीवन बना लिया है. कुछ ऐसे ही लोगों पर पेश है यह रिपोर्ट…
योग की बदौलत इंसुलिन से मिला छुटकारा
बूटी मोड़ के रहने वाले 80 वर्ष वर्षीय मेजर रंजीत सिंह आर्मी से रिटायर्ड हैं. इनका कहना है कि योग की बदौलत ही वे आज तक जीवित हैं. 40 साल तक आर्मी में सेवा दी. वे पिछले 12 साल से योग कर रहे हैं.
प्रतिदिन नींद खुलते ही दो घंटे तक योगासन व प्राणायाम करते हैं. पिछले 40 वर्षों से उन्हें मधुमेह है. इस वजह से उन्हें इंसुलिन का इंजेक्शन साथ लेकर चलना पड़ता था. वे बताते हैं कि योग की वजह से इंजेक्शन से छुटकरा मिल चुका है. उन्होंने बताया कि उन्हें ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक (टीआइए) आता था, जिस वजह से उन्हें कभी भी चक्कर आ जाता था. योग से यह बीमारी भी पूरी तरह से ठीक हो चुकी है. इसके अतिरिक्त कई और बीमारियां भी दूर हुई हैं. वह बताते हैं कि उनके सिर पर बाल नहीं थे, पर रोजाना योग से उनके बाल भी वापस आ गये हैं.
मेजर रंजीत सिंह, बूटी मोड़
नरेंद्र कुमार सिंह, लालपुर
अधिक लोगों तक पहुंचाना है योग को
लालपुर के रहने वाले नरेंद्र कुमार सिंह वर्तमान में लोगों को निःशुल्क योग सिखाते हैं. नरेंद्र सिंह, बाबा रामदेव के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के विशिष्ट सदस्य हैं. उन्होंने बताया कि वे रांची नगर निगम में टैक्स कलेक्टर थे तथा नवंबर 2015 में वे सेवानिवृत्त हुए.
उसके बाद से वे विभिन्न जगहों पर योग शिविर लगाते हैं और लोगों को योग सिखाते हैं. वर्तमान समय में वे स्मृति पार्क, कोकर में सुबह पांच बजे से साढ़े सात बजे तक योग सिखा रहे हैं. नरेंद्र का लक्ष्य अधिक-से-अधिक लोगों तक योग का ज्ञान पहुंचाना है. वे कहते हैं मैं रोजाना योगा करता हूं. इसी कारण मैं स्वस्थ व तदरुस्त हूं.
जगदीश प्रसाद, लालपुर
92 की उम्र में भी योग कर तंदरुस्त हैं
कोकर-लालपुर रोड के रहने वाले जगदीश प्रसाद भगत की उम्र 92 वर्ष है. श्री भगत इस उम्र में भी योग की बदौलत खुद को स्वस्थ व तदरुस्त रखे हुए हैं. हर दिन वे व्यायाम, आसन व प्राणायाम तीनों करते हैं.
उन्होंने बताया कि 1987 में वे सीनियर ऑडिटर के पद से रिटायर हुए हैं. साल 2011 से नियमित रूप से योग करते हैं. उन्होंने बताया कि वे प्रतिदिन सुबह 3:30 से 4.00 बजे तक उठ जाते हैं और प्रतिदिन सुबह एक घंटा योग करते हैं. वे रोज गर्म पानी पीते हैं. प्राकृतिक हवा के आनंद के लिए आंगन में नीम व आम के पेड़ लगाये हुए हैं. 2015 में धड़कन को सामान्य रखने के लिए उन्हें पेश मेकर भी लगाया गया है.
बाइपास सर्जरी हुई, पर योग की बदौलत नहीं लेते दवा
सर्कुलर रोड निवासी 80 वर्षीय डॉ महावीर शर्मा पिछले 20 साल से योग करके खुद को स्वस्थ व तंदरुस्त बनाये हुए हैं. उन्होंने बताया है कि 2003 में उनकी बाईपास सर्जरी हुई थी. उसके बाद से उन्होंने एक पैसे की भी दवाई नहीं खायी है. प्रतिदिन सिर्फ योग करते हैं और स्वस्थ हैं. उन्होंने बताया कि वे प्रतिदिन 15 मिनट कपालभाति व 15 मिनट अनुलोम-विलोम करते हैं. वे अपने पास आनेवाले लोगों को भी योग के बारे में जागरूक करते हैं और नियमित योग करने की सलाह देते हैं.
क्या कहते हैं योग प्रशिक्षक
मैं शारीरिक परेशानियों से परेशान रहता था़ इसके बाद मैंने 2006 से योग करना शुरू किया़ योग से सारी परेशानी दूर हो गयी है़ योग को मैंने अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है़ यही कारण है कि 60 साल की उम्र में दवाइयों का सहारा नहीं लेना पड़ रहा है़
गोपाल घोष, योग प्रशिक्षक
क्या कहते हैं चिकित्सक
तरह-तरह की बीमारियों से बचने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए योग करना बहुत आवश्यक है. अनुलोम-विलोम, कपालभाति, प्राणायाम, सूर्य नमस्कार आदि कर लोग अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं. ध्यान एवं ओम का उच्चारण याददाश्त को बढ़ाता है़ तनाव से छुटकारा मिलती है़ अगर मरीज नियमित रूप से योग करें, तो उनकी बीमारियां जड़ से खत्म हो सकती हैं.
डॉ दिलीप कुमार, बीएमएस इन आयुर्वेद, रांची
पैरों में काफी तकलीफ थी. कई डॉक्टर को दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. दो साल पहले योग करना शुरू किया और अब उनके पैरों की तकलीफ ठीक हो रही है. योग जीवन का अहम हिस्सा बन गया है़.
रामाश्रय राय,मोरहाबादी