भूख से मौत पर झूठ बोल रही है सरकार, राशन कार्ड आधार की लिंंकिंग से बढ़ रही समस्या : ज्यां द्रेज

रांची : कथित तौर पर झारखंड में पिछले 10 महीने में 12 लोगों की मौत भूख से हो गयी. भोजन का अधिकार अभियान की टीम ने सरकार के सारे दावों को खारिज कर दिया. इन्होंने कहा, सरकार क्यों नहीं मान रही कि ये लोग भूख से मरे हैं ? परिवार वालों के बयान को तोड़-मरोड़ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 21, 2018 2:55 PM

रांची : कथित तौर पर झारखंड में पिछले 10 महीने में 12 लोगों की मौत भूख से हो गयी. भोजन का अधिकार अभियान की टीम ने सरकार के सारे दावों को खारिज कर दिया. इन्होंने कहा, सरकार क्यों नहीं मान रही कि ये लोग भूख से मरे हैं ? परिवार वालों के बयान को तोड़-मरोड़ कर झूठे रिपोर्ट के सहारे सरकार बचने की कोशिश कर रही है.जितनी मौत हुई है, उनके घरों की स्थिति क्या है ? . सभी के सभी दलित आदिवासी और गरीब लोग भूख से मरे हैं. जिनके घर में भोजन की कमी रिपोर्ट में साफ नजर आती है.

अगर ऐसे लोगों की मौत हो रही है ,तो उन्हें भूख से मौत ही कहा जायेगा. सरकार साजिश ना करे भूख से हुई मौत पर राजनीति ना करे, बल्कि यह देखे की सरकारी द्वारा चलायी जा रही जन वितरण प्रणाली का लाभ इन परिवारों तक पहुंच रहा है या नहीं. अगर सरकार की योजना इन तक नहीं पहुंच रही. इनके पास राशन कार्ड नहीं है ? स्पष्ट है मौत गरीबी से भूखमरी से हुई है.जाने माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, सिराज, धीरज , स्वाति समेत कई लोग इस टीम में शामिल है. इन सभी ने साथ मिलकर झारखंड में हुई मौत पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया. .

भोजन का अधिकार अभियान की टीम ने की पड़ताल
रामगढ़
रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड में कुजू पंचायत के कुन्दरिया बस्ती में चिंतामन मल्हार की मौत हो गयी. परिवार वालों ने बयान दिया कि मौत भूख से हुई है. भोजन का अधिकार अभियान की टीम गांव पहुंची. इस टीम में शामिल धीरज ने बताया कि हमारी जांच में पता चला कि परिवार गरीब है. मृतक चिंतामन के छोटे बेटे विदेशी मल्हार ने हमें बताया कि पिता कई दिनों से भूखे थे. सरकारी बयान का विरोध करते हुए विदेशी ने कहा, अगर सरकार इसे स्वाभाविक मौत बता रही है, तो गलत है. मृतक परिवार के साथ-साथ इस गांव में 20 परिवार ऐसे हैं जिनके पास राशन कार्ड नहीं है. बाजार से 22 रूपये किलो चावल खरीद कर इन परिवारों में खाना बनता है.
गिरिडीह
डुमरी ब्लॉक के चैनलपुर पंचायत के मंगरगढ़ी गांव में 2 जून 2018 को सावित्री देवी की मौत हो गयी. परिवार वालों ने बताया कि मौत भूख के कारण हुई. सावित्री देवी विधवा थी. 2014 में उसने विधवा पेंशन के लिए आवेदन दिया था लेकिन कई बार ब्लॉक दौड़ने के बाद भी उसे पेंशन नहीं मिला. परिवार वालों ने भोजन का अधिकार अभियान टीम को बताया कि सावित्री ने कहा था कि पेंशन मुझे मेरी मौत के बाद ही मिलेगा. सावित्री के मौत के बाद जब पासबुक अपडेट कराया गया था 1800 रूपये खाते में थे. सावित्री को यह जानकारी नहीं थी कि इतने पैसे उसके खाते में पड़े हैं. सावित्री के दो बेटे थे. दोनों भी कोई खास कमाई नहीं कर पाते.
चतरा
चतरा जिले के इटखोरी थाना क्षेत्र के इटखोरी में 5 जून 2018 मीना मुसहर की मौत हो गयी. बेटे ने बयान दिया कि मां कई दिनों से भूखी थी. भोजन का अधिकार अभियान की टीम जब मामले की जांच केलिए पहुंची तो पता चला कि परिवार का अपना कोई घर नहीं. रहने का ठिकाना नहीं. आसपास के लोगों से बातचीत को तो पता चला कि कचरा बिन कर यह परिवार गुजारा करता था. खाने के लिए मां भीख मांगती थी. इस परिवार में मीना मुसहर के चार बेटे हैं जिनमें गौतम और उसकी पत्नी का एक साल का बेटा पहले ही भूख से मर चुका है.मीना मुसहरका पूरा परिवार अब गायब है.
डीबीटी का विरोध
नगड़ी में डीबीटी लागू होने के बाद लोगों को परेशानी का सामना कर पड़ा है. अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कहा, एक संगठन ने सर्वे कर बताया कि यहां के लोगों को इसका लाभ मिलने में परेशानी हो रही है. पहले अकाउंट में पैसा आता है फिर पैसा निकाल कर अनाज खरीदने जाना पड़ता है. इस पूरी प्रक्रिया में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. कई लोगों के अकाउंट में पैसा देर से पहुंचता है. सरकार ने दोबारा सर्वे कराया उसमें भी लोगों ने बताया कि परेशानी है. इस सर्वे में 97 फीसद लोगों ने कहा, डीबीटी योजना सरकार को वापस लेनी चाहिए.
मुख्य मांग क्या है
सभी लोगों तक जन वितरण प्रणाली का लाभ नहीं पहुंच रहा है. सरकार यह सुनिश्चित करे कि सभी लोगों को राशन मिले. इसके अलावा पोषक वस्तु जैसे दाल और खाद्य पदार्थ में तेल शामिल किया जाए. . राज्य में अन्त्योदय श्रेणी के अंतर्गत लोगों का दायरा बढ़ाने की जरूरत है. आधार से लिंक करने की व्यवस्था खत्म हो . डीबीटी का प्रयोग बंद हो

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