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रांची : 80 लीटर का कूपन लेकर 30 लीटर डीजल भराते हैं फॉगिंग वाहन के चालक
तेल से मुनाफे का खेल. नगर निगम के सहायक कार्यपालक पदाधिकारी ने पकड़ी चोरी रांची : रांची नगर निगम के सहायक कार्यपालक पदाधिकारी रामकृष्ण कुमार को लगातार ‘तेल से मुनाफे का खेल’ की सूचना मिल रही थी. उन्हें बताया गया था कि फॉगिंग वाहन के चालक निगम से 80 लीटर डीजल का कूपन उठाते तो […]
तेल से मुनाफे का खेल. नगर निगम के सहायक कार्यपालक पदाधिकारी ने पकड़ी चोरी
रांची : रांची नगर निगम के सहायक कार्यपालक पदाधिकारी रामकृष्ण कुमार को लगातार ‘तेल से मुनाफे का खेल’ की सूचना मिल रही थी. उन्हें बताया गया था कि फॉगिंग वाहन के चालक निगम से 80 लीटर डीजल का कूपन उठाते तो हैं, लेकिन पेट्रोल पंप से कम तेल भरवा कर बाकी का पैसा उठा रहे हैं. सहायक कार्यपालक पदाधिकारी ने बुधवार रात खुद इसकी जांच की. वे कांके रोड स्थित एक पेट्रोल पंप के सामने खड़े हो गये.
यहां उन्होंने देखा कि नगर निगम का एक फॉगिंग वाहन तेल भरवाने
के लिए पेट्रोल पंप पर पहुंचा. तेल भरवा कर जैसे ही यह वाहन मुख्य सड़क पर आया, अधिकारी ने उसे रोक लिया. वे वाहन को दोबारा पेट्रोल पंप में लेकर गये. यहां जब वाहन
के ड्रम में भरे गये तेल को नापा
गया, तो पता चला कि केवल 30 लीटर डीजल ही लोड हुआ है. जबकि, ड्राइवर ने निगम से
80 लीटर डीजल का कूपन ले रखा था. कार्यपालक पदाधिकारी ने इसके बाद फॉगिंग वाहन को चालक
समेत बकरी बाजार स्थित स्टोर ले आने को कहा. यहां ड्राइवर से देर रात तक पूछताछ हुई. चालक ने बताया कि इस कार्य में वह अकेले शामिल नहीं है, बल्कि कई लोगों की सहभागिता है.
पेट्रोल पंप के मैनेजर ने कहा : गलती हो गयी : नगर निगम के सहायक कार्यपालक पदाधिकारी ने इस संबंध में पेट्रोल पंप के मैनेजर से पूछताछ की. उसने बताया कि हो सकता है कि जल्दबाजी में वाहन चालक 80 लीटर की जगह 30 लीटर डीजल लेकर चला गया हो. जब चालक दोबारा आयेगा, तो उसे 50 लीटर डीजल और दे दिया जायेगा.
बचा हुआ तेल भरा जाता है निजी वाहनों में : सूत्र बताते हैं कि फॉगिंग वाहन के चालक पेट्रोल पंप से केवल 30 लीटर तेल भरवाते हैं. बाकी के 50 लीटर तेल के पैसे वे खुद पंप से लेते हैं या अपने किसी परिचित के वाहन में तेल भरवा लेते हैं.सूत्रों के अनुसार इसमें वाहन चालक के अलावा नगर निगम के स्टोर के कुछ कर्मचारी भी शामिल हैं.
नगर निगम को हर महीने 10 लाख की चपत : निगम के पास 11 फॉगिंग वाहन हैं. हर वाहन को प्रतिदिन 80 लीटर डीजल का कूपन मिलता है. लेकिन, ये वाहन 30 लीटर डीजल ही भराते हैं. यानी एक वाहन चालक हर दिन 3000 रुपये बचाता है. 11 वाहनों के हिसाब से रोजाना 33 हजार और एक माह में 10 लाख रुपये के तेल खेल हो रहा है.
ऊपर तक पहुंचता है तेल के मुनाफे का हिस्सा : केवल फॉगिंग वाहन के चालक ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य शाखा के कुछ बड़े अधिकारी भी तेल के खेल में शामिल हैं. तेल चोरी भले ही ड्राइवर करता है, लेकिन उसका एक बड़ा हिस्सा निगम के इन अधिकारियों के पास भी आता है. यही कारण है कि अब तक किसी ड्राइवर पर कभी कार्रवाई नहीं हुई है.
अधिकारियों को बचाने का प्लॉट तैयार
तेल के इस खेल में अब निगम के ड्राइवर को बली का बकरा बनाकर बड़े अधिकारियों को बचाने की पूरी तैयारी कर ली है. प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मामले में अब केवल कार्रवाई ड्राइवर पर ही होगी. बाकी जिन अधिकारियों के संरक्षण में यह काम होता था, उन्हें क्लीन चिट दे दी जायेगी.
सबसे बड़ा सवाल
रांची नगर निगम क्षेत्र में कुल 53 वार्ड हैं. आबादी करीब 16 लाख के आसपास है. नगर निगम के पास वर्तमान में 11 फॉगिंग मशीन हैं. मच्छरों और मक्खियों को मारने के लिए हर साल दो करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च भी किये जाते हैं.
वाहनों के जानकार बताते हैं कि 80 लीटर तेल में एक वाहन कम से कम तीन घंटे चलेगा. यानी फॉगिंग करने वाले 11 वाहनों अगर रोजाना तीन-तीन घंटे भी चलें, तो दो से तीन दिन में पूरे शहर में फॉगिंग हो जायेगी.
इसके बाद कम से कम दो हफ्तों तक शहर को मच्छर और मक्खियों से निजात मिल जायेगी. लेकिन, अक्सर शहरवासी यह शिकायत करते हैं कि उनके इलाके में फॉगिंग नहीं होती है. उनकी शिकायत इस बात की पुष्टि करती है कि वाहनों के चालक और अधिकारी तेल का पैसा डकार जा रहे हैं.
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