जिन आदिवासियाें ने धर्म बदला, उनका जाति प्रमाण पत्र हो सकता है निरस्त
रांची : झारखंड में धर्मांतरण करनेवाले आदिवासियों को जाति प्रमाण पत्र नहीं मिलेगा. अब अनुसूचित जनजाति (एसटी) को केवल खतियान के आधार पर ही जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जायेगा. पहले आवेदक की जांच की जायेगी. उसके रीति-रिवाज, विवाह और उत्तराधिकार की प्रथा की जांच के बाद ही जाति प्रमाण पत्र जारी किया जायेगा. […]
रांची : झारखंड में धर्मांतरण करनेवाले आदिवासियों को जाति प्रमाण पत्र नहीं मिलेगा. अब अनुसूचित जनजाति (एसटी) को केवल खतियान के आधार पर ही जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जायेगा. पहले आवेदक की जांच की जायेगी. उसके रीति-रिवाज, विवाह और उत्तराधिकार की प्रथा की जांच के बाद ही जाति प्रमाण पत्र जारी किया जायेगा. वास्तविक अनुसूचित जनजातियों में से रीति-रिवाज, विवाह और उत्तराधिकार की प्रथा का पालन करने वाले को ही जाति प्रमाण पत्र के आधार पर आरक्षण का लाभ लेने योग्य माना जायेगा. ऐसे आदिवासी, जिन्होंने धर्म परिवर्तन कर ईसाइ या अन्य दूसरे धर्म को अपना लिया है,उन्हें जाति प्रमाण पत्र नहीं दिया जायेगा. यही नहीं, जिन्हें पूर्व में जाति प्रमाण पत्र दिया जा चुका है, जांच के बाद उसे निरस्त भी किया जायेगा. महाधिवक्ता से मिली सलाह के बाद मुख्यमंत्री ने कार्मिक विभाग को इससे संबंधित सर्कुलर जारी करने का आदेश दिया है.
अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सांस्कृतिक व धार्मिक संस्कृति आदिवासियों की पहचान है. परंपरा, विवाह रीति और उत्तराधिकार की जनजातीय प्रथा का पालन नहीं करनेवालों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए. सर्कुलर जारी होने के बाद इन्हीं तीन बिंदुओं पर जांच के बाद ही जाति प्रमाण पत्र जारी किये जायेंगे.
मुख्यमंत्री ने दिया आदेश, कार्मिक जारी करेगा सर्कुलर