सामाजिक कार्यकर्ताओं को सुरक्षा दें

रांची : झारखंड राइट टू एजुकेशन फोरम, जुमाव मंच, फेम, झारखंड एंटी ट्रैफिकिंग नेटवर्क सहित विभिन्न स्वयं सेवी संगठनों ने सामूहिक बैठक कर खूंटी के कोचांग गांव में हुई गैंग रेप घटना की निंदा करते हुए लोयला मैदान से अलबर्ट एक्का चौक तक मौन जुलूस निकाला़ सरकार के खिलाफ नारेबाजी की़ इसके साथ ही रघुवर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 25, 2018 5:07 AM

रांची : झारखंड राइट टू एजुकेशन फोरम, जुमाव मंच, फेम, झारखंड एंटी ट्रैफिकिंग नेटवर्क सहित विभिन्न स्वयं सेवी संगठनों ने सामूहिक बैठक कर खूंटी के कोचांग गांव में हुई गैंग रेप घटना की निंदा करते हुए लोयला मैदान से अलबर्ट एक्का चौक तक मौन जुलूस निकाला़ सरकार के खिलाफ नारेबाजी की़ इसके साथ ही रघुवर सरकर से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गयी.

कहा गया कि मामले का निष्पादन फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराया जाये़ साथ ही मामले की जांच सीबीआइ से करायी जाये़ इस मौन जुलूस मेंसचि कुमारी, अधिवक्ता रेशमा सिंह, पूजा, एके सिंह, राजन, महादेव हंसदा, शालिनी, हुसैन इमाम फातमी, सपना सुरीन, अनंग देव व अन्य शामिल थे़

कार्डिनल का इस्तीफा मंजूर
फेलिक्स बने नये आर्चबिशप
28 जून को तय होगी फेलिक्स टोप्पो के पदाभिषेक की तिथि
जमशेदपुर के धर्माध्यक्ष के रूप में कार्यरत फेलिक्स सोसाइटी ऑफ जीसस से संबद्ध हैं
जमशेदपुर के धर्माध्यक्ष के रूप में कार्यरत बिशप फेलिक्स टोप्पो 1968 से सोसाइटी ऑफ जीसस से संबद्ध है़ं वर्तमान में सीबीसीआइ सोसाइटी ऑफ मेडिकल एजुकेशन, नॉर्थ इंडिया की गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन व झान (झारखंड, अंडमान) रीजनल बिशप्स काउंसिल सहित दो क्षेत्रीय कमीशन के अध्यक्ष हैं. ईशशास्त्र अध्ययन केंद्र, संत अलबर्ट कॉलेज रांची के वाइस चांसलर भी है़ं बिशप फेलिक्स ने 1990 में ग्रेगोरियन यूनिवर्सिटी रोम से मास्टर्स इन साइकोलॉजी की डिग्री ली है.
14 जून 1997 को जमशेदपुर का बिशप बनने से पूर्व उन्होंने सोसाइटी ऑफ जीसस के नवशिष्यालय में नोविस मास्टर व सुपीरियर का पद संभाला. उन्होंने चार वर्षों तक सीबीसीआइ ऑफिस फॉर द क्लर्जी एंड रिलीजियस व चार वर्षों के लिए ही नेशनल वोकेशन सर्विस सेंटर, पुणे का अध्यक्ष का पद भी संभाला है़
कार्डिनल टोप्पो चर्च के पहले व्यक्ति जिन्होंने सरना कोड की वकालत की
कार्डिनल तेलेस्सफोर पी टोप्पो छोटानागपुर की कलीसिया के पहले धर्मगुरु थे, जिन्होंने 2015 में ही प्रकृति पूजक आदिवासियों के लिए सरना धर्मकोड की वकालत की थी. उनकी पहल पर पोप जॉन पॉल द्वितीय 1986 में रांची आये थे. फादर कांस्टेंट लीवंस के पार्थिव अवशेषों को बेल्जियम से रांची लाने और संत मरिया महागिरजाघर में उसकी स्थापना में अहम भूमिका निभायी. उनके कार्यकाल में राजा उल्हातू में माइनर बसेलिका की स्थापना हुई. गुमला, सिमडेगा और खूंटी अलग डायसिस भी बने. उन्होंने रिक्शाचालकों, कचरा चुननेवाले बच्चों के लिए योजनाओं के क्रियान्वयन सहित कई सामाजिक कार्यों में भी महती भूमिका निभायी है़

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