घाघरा गांव में दिखीं 4 ही महिलाएं, बारूडीह के ग्रामीणों में नहीं दिखी सरकार से नाराजगी, 3 जवानों का अब तक पता नहीं
जिस घाघरा गांव में ग्रामसभा हुई थी, वहां पुलिसिया कार्रवाई के बाद पसरा है सन्नाटा रांची : बुधवार को खूंटी प्रखंड के जिस घाघरा गांव में ग्रामसभा के लिए लोग जमा हुए थे, वहां बाद में हुई पुलिसिया कार्रवाई के बाद सन्नाटा पसरा हुआ है. प्रभात खबर की टीम गुरुवार को जब दोपहर 12 बजे […]
जिस घाघरा गांव में ग्रामसभा हुई थी, वहां पुलिसिया कार्रवाई के बाद पसरा है सन्नाटा
रांची : बुधवार को खूंटी प्रखंड के जिस घाघरा गांव में ग्रामसभा के लिए लोग जमा हुए थे, वहां बाद में हुई पुलिसिया कार्रवाई के बाद सन्नाटा पसरा हुआ है.
प्रभात खबर की टीम गुरुवार को जब दोपहर 12 बजे वहां पहुंची, तो पूरे गांव में कोई दिखायी नहीं दिया. गांव के करीब 75 घरों में ताले लटके थे. एक घर में दो बीमार महिलाएं थीं. पत्रकारों के कहने पर भी वे अस्पताल जाने को राजी नहीं हुईं. बाद में सदर अस्पताल खूंटी से आये चिकित्सकों ने घर में ही उनका इलाज किया. शाम करीब 4.30 बजे दोबारा इस गांव में पहुंचने पर दो और महिलाएं नजर अायीं. भाषायी समस्या के कारण उनसे बात नहीं हो सकी.
अलबत्ता वे बाहरी लोगों से बात करने को बहुत उत्सुक भी नहीं थीं. तभी वहां किसी ने ताली बजायी. यह किसी सूचना का संकेत हो सकता था. इधर, बुधवार को ग्रामसभा में मची भगदड़ की तस्वीर गुरुवार को भी नजर आयी. सभा स्थल पर टूटी कुर्सियां, मोटरसाइकिल की टूटी हेड लाइट, इंडीकेटर व हेलमेट वहां मिले. ग्रामसभा स्थल व आसपास दर्जन भर मोटरसाइकिल भी खड़ी थीं. संभवत: ये मोटरसाइकिलें दूर के ग्रामीणों की होगी, जिसे वह भगदड़ के वक्त छोड़ कर भागे तथा पास ही पुलिस की उपस्थिति के कारण ले जाने में संकोच कर रहे हैं.
ग्राम सभा के स्थल पर जेनरेटर, सीएफएल लाइट तथा किराये की तीन जीप भी खड़ी थी, जिनके सामने के शीशे टूटे हुए थे. यह जगह भी सुनसान थी. दरअसल ग्रामसभा स्थल पर पुलिस पत्थलगड़ी के नेतृत्वकर्ता यूसूफ पूर्ति को पकड़ने पहुंची थी. उसने सांसद के अनिगड़ा स्थित आवास से अगवा किये गये तीन जवानों की खोज में घाघरा में सर्च अभियान भी चलाया था. इसी के बाद से ग्रामीण भयभीत होकर कहीं चले गये हैं.
अब तक नहीं पता चला जवानाें का
तीन अंगरक्षकों के अपहरण ने खोली खुफिया तंत्र की पोल
रांची : सांसद कड़िया मुंडा के तीनों बॉडीगार्ड के अपहरण और तीन दिनों बाद भी उनका सुराग नहीं मिलने की घटना ने राज्य व केंद्र की खुफिया तंत्र की पोल खोल कर रख दी है़ हाल यह है कि बुधवार को अगवा जवानों के कॉल डिटेल के आधार पर पुलिस ने घाघरा, खटंगा व घाघडीह गांव में छापेमारी की़
लेकिन मोबाइल स्वीच आॅफ हो जाने के बाद से पुलिस को यह पता ही नहीं चल पा रहा है कि पत्थलगड़ी समर्थकों ने तीनों जवानों का कहां रखा है़ यही वजह रही कि गुरुवार को पुलिस ने कई छापेमारी दल का गठन कर आधा दर्जन गांवों में अलग-अलग समय में सर्च अभियान चलाया, लेकिन पुलिस को न तो जवान मिले, न ही सुराग मिला़ इससे साफ है कि पुलिस का खुफिया तंत्र कितना कमजोर है़ जबकि खुले मंच से कई बार पुलिस महकमा को खुफिया तंत्र को मजबूत करने की सलाह राज्यपाल और मुख्यमंत्री के स्तर से पूर्व में दी गयी थी़
ग्रामीणों से दूरी भी सूचना नहीं मिलने की अहम वजह
खूंटी में ग्रामीणों व पुलिस के बीच दूरी देखी जा रही है़ यही वजह है कि तमाम कोशिशों के बाद भी पुलिस को जवानों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है़ नहीं तो आमतौर पर ऐसे मामलों में ग्रामीणों के स्तर से ही पुलिस को सूचना मिल जाती है़
जवानों को अलग-अलग रखे जाने की चर्चा
खूंटी में लोगों के बीच चर्चा है कि तीनों बॉडीगार्ड को अपहरणकर्ताओं ने एक साथ नहीं रखा है़ जबकि हथियार को कुरुंगा इलाके में छुपा कर रखो जाने की बात भी कही जा रही है़ हालांकि मामले की पुलिसिया जांच पूरी होने के बाद ही सही तथ्य सामने आयेंगे़
ग्रामसभा से अपील, वार्ता के लिए प्रशासन तैयार
जिला प्रशासन ने ग्रामसभा से अपील की है कि बंधक बनाये गये जवानों को मुक्त कर दें. हमारा उद्देश्य किसी ग्रामीणों को नुकसान पहुंचाना नहीं है. जिला प्रशासन ग्रामसभा या उनके किसी भी प्रतिनिधि से वार्ता के लिए तैयार है. कोई भी व्यक्ति इस संबंध में मोबाइल नं. 9801190901 पर संपर्क स्थापित कर सकते हैं.
गांव में बिजली, सड़क, प्राथमिक विद्यालय व आंगनबाड़ी केंद्र भी है
बारूडीह के ग्रामीणों में नहीं दिखी सरकार से नाराजगी
रांची : पुलिस की कार्रवाई से अभी खाली हो चुके घाघरा गांव के पास ही स्थित है बारूडीह गांव. यहां के ग्रामीणों में सरकार के प्रति खास नाराजगी नहीं दिखी.
गांव की महिला, पुरुष व बच्चों से विकास के मुद्दे पर बात करने पर वे संतुष्ट दिखे. गांव में बिजली व सड़क है. प्राथमिक विद्यालय व आंगनबाड़ी केंद्र भी. ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल में तीन शिक्षक हैं. सरकार की अोर से गांव में दी जाने वाली अन्य सेवाअों की हालत भी ठीक-ठाक बतायी गयी. गांव में पीडीएस से राशन मिलता है. चीनी एक-दो माह के अंतराल में मिलने की बात कही गयी.
गांव की आंगनबाड़ी सेविका सुमैली मुंडू ने बताया कि बच्चों को सप्ताह में तीन दिन अंडे दिये जा रहे हैं, पर गांव के ही मसीह दास मुंडू गांव सहित आसपास के इलाके को अविकसित मानते हैं. मुंडू गांव के अकेले शख्स हैं, जिन्हें अच्छी अंग्रेजी आती है.
दरअसल मुंडू बतौर प्रखंड कल्याण पदाधिकारी सेवानिवृत्त हुए हैं. उन्होंने कड़िया मुंडा की आलोचना करते हुए कहा कि – ही इज नॉट लाइक ए सांसद. उन्होंने इलाके के लिए कुछ नहीं किया है. उन्होंने कहा कि गांव में हेल्थ सेंटर नहीं है.
हालांकि गांव में सांसद (कड़िया मुंडा) मद से ही स्ट्रीट लाइटें लगीं दिखायी दीं. इधर, जोरोंग मुंडू सहित कुछ अन्य जागरूक ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पेयजल की समस्या है. अभी तीन नलकूप काम कर रहे हैं.
चार खराब हैं. ढेर सारी मुर्गियां पालने वाले जोरोंग को अपने घर से दूर जाकर पानी लाना पड़ता है. गांव की ही वृद्धा लुकुमा नाग ने कहा कि उन्हें वृद्धा पेंशन नहीं मिलती है. गांव में पीडीएस में बंटने वाला करीब 60 बोरा नमक रखा था. ग्रामीणों के अनुसार, नमक खराब हो चुका है.
पत्थलगड़ी की बातों से सहमत नहीं
पत्थलगड़ी के मौजूदा स्वरूप तथा उसपर लिखी बातों से संबंधित सवाल पर मसीह ने कहा कि उनके विचार से यह सब बेकार की बातें हैं.
पर वह किसी को समझाते नहीं. उन्होंने कहा कि वह उन लोगों को समझा भी नहीं सकते, जो यह सब कर रहे हैं. उल्टे लोग उन्हीं को गलत कहेंगे. मुंडू ने भी माना कि भाषायी समस्या के कारण बाहरी लोगों से स्थानीय लोगों का संवाद नहीं होने से समस्या बढ़ती है.
जंगल में डटी है पुलिस महिला बल भी साथ
रांची : खूंटी के घाघरा में पुलिस लगातार डटी हुई है. चार-पांच दिनों से जैप, सैप व जिला पुलिस के महिला व पुरुष जवान लगातार ड्यूटी कर रहे हैं.
इस इलाके में आने-जाने वाले लोगों तथा पत्रकारों से भी विनम्रता के साथ सावधान रहने को कहा जा रहा है. अनिगड़ा से घाघरा तथा बारुडीह जाने वाले तिराहे पर बख्तरबंद गाड़ियों के साथ पुलिस बल मौजूद है. महिला पुलिस भी करीब एक सौ की संख्या में वहां है.
इनके खाने-पीने का निश्चित समय नहीं है. ना ही चैन से सो सकते हैं. सिर पर छत भी नहीं है. बारिश से बचने के लिए उन्हें पास के पेड़ व झुरमुट का सहारा लेना पड़ता है. फिर भी जवानों के चेहरे पर शिकन नहीं दिखी. एक जवान के अनुसार रात में चिंता बढ़ जाती है.
हालांकि बल को समय-समय पर रिप्लेस किया जा रहा है. डीसी कार्यालय, खूंटी से पुलिस बल को नियंत्रित किया जा रहा है. गुरुवार को घाघरा से ज्यादा पुलिस बल डीसी कार्यालय के पास अगले आदेश के लिए खड़ा था. यहीं से क्षेत्र में सर्च के लिए पुलिसकर्मियों को भेजा जा रहा है़