घाघरा मुरंगहातू में पत्थलगड़ी : फरमान के बावजूद बिना किसी तनाव और दहशत के स्कूल जा रहे बच्चे
फरमान के बावजूद बिना किसी खौफ के पड़ोस के गांव के बच्चे आ रहे हैं स्कूल में पढ़ाई करने रांची : घाघरा मुरंगहातू में पत्थलगड़ी 26 जून को ही हुई है. यहां स्कूल में न जाने का फरमान हुआ था. इसके बावजूद शुक्रवार को पड़ोस के गांव के ही बच्चे स्कूल से आते दिखे. वे […]
फरमान के बावजूद बिना किसी खौफ के पड़ोस के गांव के बच्चे आ रहे हैं स्कूल में पढ़ाई करने
रांची : घाघरा मुरंगहातू में पत्थलगड़ी 26 जून को ही हुई है. यहां स्कूल में न जाने का फरमान हुआ था. इसके बावजूद शुक्रवार को पड़ोस के गांव के ही बच्चे स्कूल से आते दिखे. वे सभी राजकीयकृत मध्य विद्यालय अनिगड़ा से छुट्टी के बाद लौट रहे थे.
दिन के करीब 11.30 बजे थे. घाघरा के समीप पुलिस बल तैनात था. पुलिस के जवानों ने अपने हिस्से के नाश्ता बच्चों को बीच बांटा. जिसमें ब्रेड और केला था. बच्चे सकुचाते हुए ले रहे थे. वे सब बारूडीह गांव के बच्चे थे.
बच्चों ने बताया कि कोई डर नहीं है. हम सब स्कूल जा रहे हैं. नौवीं की एक छात्रा ने बताया कि उसे स्कूल से साइकिल नहीं मिली. अपने पैसे से खरीद कर साइकिल लेकर स्कूल जाना-आना करती है.
गौरतलब है कि बारूडीह गांव से अनिगड़ा स्कूल की दूरी करीब आठ किमी है. उक्त बच्ची ने बताया कि गांव में बिजली है. पर कभी-कभी 24 घंटे तक नहीं रहती. इससे परेशानी होती है. बारिश होते ही बिजली जो गुल होती है, तो फिर अगले ही दिन आती है. पढ़-लिख कर क्या बनोगी? यह पूछे जाने पर लजाते हुए कहती है कि अभी नहीं सोचा है कि क्या बनना है, लेकिन पढ़ रहे हैं तो कुछ बनेंगे ही न. उसने बताया कि बारूडीह गांव में अस्पताल नहीं है.
पर एक प्राइवेट डॉक्टर कुदरी में है. उसी के पास इलाज कराने जाते हैं. ज्यादा बीमार होने पर गांव के लोग खूंटी सदर अस्पताल जाते हैं. अंत में उससे पूछा गया कि पत्थलगड़ी वालों से डर नहीं लगता. वह कहती हैं क्यों डरना? हम स्कूल जाते हैं, तो डरेंगे क्यों? वे भी गांव के ही लोग हैं. स्कूल जाने से क्यों रोकेंगे?