नीति आयोग ने जारी की पहली डेल्टा रैंकिंग, गुजरात का दाहोद अव्वल, सुधार के पैमाने पर रांची और सिमडेगा काफी पिछड़े
नयी दिल्ली : गुजरात का दाहोद जिला देश के चिह्नित पिछड़े जिलों में विकास के विभिन्न पैमानों पर सबसे तेजी से आगे बढ़ रहा है, जबकि झारखंड के रांची व सिमडेगा और बिहार के बेगूसराय और खगड़िया सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों में शामिल हैं. यह बात नीति आयोग द्वारा ऐसे जिलों पर जारी […]
नयी दिल्ली : गुजरात का दाहोद जिला देश के चिह्नित पिछड़े जिलों में विकास के विभिन्न पैमानों पर सबसे तेजी से आगे बढ़ रहा है, जबकि झारखंड के रांची व सिमडेगा और बिहार के बेगूसराय और खगड़िया सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों में शामिल हैं.
यह बात नीति आयोग द्वारा ऐसे जिलों पर जारी पहली डेल्टा रैंकिंग में सामने आयी है. यह डेल्टा रैंकिंग स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य विकास मानकों पर महत्वाकांक्षी जिलों में हुए तुलनात्मक सुधार को दर्शाती है. अप्रैल और मई 2018 के महीनों में पांच विकास मानकों पर उल्लेखनीय सुधार दर्शाने वाले अन्य जिलों में पश्चिमी सिक्किम (सिक्किम), रामानथपुरम (तमिलनाडु), विजयनगरम (आंध्र प्रदेश) और वाइएसआर कडप्पा (आंध्र प्रदेश) शामिल हैं. नीति अयोग के सीइओ अमिताभ कांत ने बताया कि सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों में कुपवाड़ा (जम्मू – कश्मीर), बेगूसराय (बिहार), रांची (झारखंड), सिमडेगा (झारखंड) और खगड़िया (बिहार) शामिल हैं. कांत ने शुक्रवार को महत्वाकांक्षी जिलों के लिए पहली डेल्टा रैंकिंग जारी करते हुए यह जानकारी दी.
देश के 108 जिलों ने की भागीदारी
महत्वाकांक्षी जिलों के रूपांतरण कार्यक्रम को इस वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया था. इसका उद्देश्य देश के कुछ सबसे अविकसित जिलों को तेजी से और प्रभावी ढंग से बदलना है.
कांत ने कहा कि 115 महत्वाकांक्षी जिलों में से केवल 108 ने पहले डेल्टा रैंकिंग में भागीदारी की. पश्चिम बंगाल के 3 जिलों ने रैंकिंग में भाग नहीं लिया, जबकि ओडिशा और केरल ने अपनी प्रविष्टियों को देर से भेजा.
इसलिए उन्हें रैंकिंग अभ्यास में शामिल नहीं किया जा सका. नीति आयोग की महत्वाकांक्षी जिलों के लिए पहली डेल्टा रैंकिंग (वृद्धिशील प्रगति) 31 मार्च , 2018 से 31 मई , 2018 के बीच स्वास्थ्य एवं पोषण , शिक्षा , कृषि एवं जल संसाधनों, वित्तीय समावेशीकरण तथा कौशल विकास एवं आधारभूत ढांचा जैसे पांच विकास मानकों पर जिलों द्वारा खुद की ओर से भेजे गये आंकड़ों पर आधारित है.