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जल, जंगल और जमीन राज्य की अमानत, इन्हें संरक्षित रखना प्राथमिकता : CM रघुवर दास

रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि जल, जंगल और जमीन का नारा काफी दिया गया. इसके नाम पर राजनीति भी हुई. लेकिन हमारे लिए यह नारा नहीं है. जल, जंगल और जमीन हमारी अमानत है. हमें विरासत में मिले हैं. हमें इन्हें संरक्षित करने के साथ और बढ़ाकर आनेवाली पीढ़ी को हरा भरा […]

रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि जल, जंगल और जमीन का नारा काफी दिया गया. इसके नाम पर राजनीति भी हुई. लेकिन हमारे लिए यह नारा नहीं है. जल, जंगल और जमीन हमारी अमानत है. हमें विरासत में मिले हैं. हमें इन्हें संरक्षित करने के साथ और बढ़ाकर आनेवाली पीढ़ी को हरा भरा और स्वच्छ झारखंड सौंपना है. सरकार में आने के बाद से हर वर्ष वृहद पौधरोपण कार्यक्रम किया जा रहा है. साथ ही उन्‍हें संरक्षित भी किया जा रहा है. सरकार इसे जन आंदोलन बना रही है. गांव-गांव में लोग वृक्ष लगायें और इस मुहिम से जुड़ कर झारखंड को और हरा भरा बनायें. उक्त बातें मुख्यमंत्री ने वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा नामकुम स्थित स्वर्णरेखा नदी तट पर आयोजित नदी महोत्सव का शुभारंभ करने के बाद कही.

मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों से काफी लाभ है. विज्ञान और आध्यात्म दोनों में पेड़ का महत्व है. विज्ञान की दृष्टि से जहां हमें इनसे ऑक्सीजन, धरती को नमी, साफ हवा-पानी मिलता है, वहीं आध्यात्मिक रूप से मान्यता है कि हर वृक्ष में किसी न किसी देवता का वास होता है. आर्थिक दृष्टिकोण से भी पेड़ का महत्व है. साल, सागवान, टीक आदि के पेड़ लगाकर हम भविष्य में होनेवाला खर्च के लिए राशि सुरक्षित कर सकते हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि दो अगस्त तक चलनेवाले इस आयोजन के दौरान राज्य में 2.40 पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है. राज्य से 24 जिलों की 24 नदियों के किनारे आज एक दिन में नौ लाख पौधे लगाये जा रहे हैं. नदियों के किनारे ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने से नदियों का कटाव रूकेगा और जमीन में नमी के कारण वृक्षों को पानी भी मिलता रहेगा. पिछले साल 19,700 हेक्टेयर भूमि पर 2.75 करोड़ पौधे लगाये गये और 4600 हेक्टेयर प्राकृतिक वनों का पुनरूद्धार किया गया. इस वर्ष वन विभाग द्वारा 15,300 हेक्टेयर में कुल 2.40 करोड़ पौधे लगाने के साथ 7000 हेक्टेयर प्राकृतिक वनों का पुनरुद्धार किया गया है.

उन्‍होंने कहा कि 1450 हेक्टेयर उजड़े बांस बखारों का भी पुनरुद्धार किया जा रहा है. इससे हाथियों को वनों के भीतर ही पर्याप्त भोजन मिल पायेगा. इससे वे वनों से बाहर आकर लोगों के खेत, खलिहान और घरों को क्षति नहीं पहुंचायेंगे. लोगों को वृक्षारोपण से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री जन वन योजना के तहत पौधों के लिए अनुदान की राशि 75 प्रतिशत कर दी गयी है. इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं. 2017 की तुलना में अभी तक चार गुणा से ज्यादा क्षेत्र यानी किसानों की 3000 एकड़ से अधिक भूमि पर वृक्षारोपण के लिए आवेदन प्राप्त हुए हैं.

उन्‍होंने कहा कि अगले वर्ष 2019 में विभाग 16000 हेक्टेयर में कुल 2.50 करोड़ पौधे लगायेगा. साथ ही प्राकृतिक वनों का पुनरुद्धार भी सात गुणा बढ़ाकर 35000 हेक्टेयर करने का लक्ष्य है. इनमें 70 लाख वृक्ष की ऐसी प्रजातियां रहेंगी, जो वनों में प्राकृतिक रूप से पायी जाती हैं और स्थानीय लोगों की निर्भरता है। इसे योजना के 750 से ज्यादा गांवों को सीधे जोड़ा जायेगा. साथ ही हाथियों से संवेदनशील 14 वन प्रमंडलों में लगभग 6000 हेक्टेयर उजड़े बांस के जंगलों की सफाई कर इनका पुनरुद्धार किया जायेगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों को बचाने और बढ़ाने के लिए जन भागीदारी जरूरी है. इसके लिए वन विभाग द्वारा वनों के समीप स्थित 5000 ग्रामों में सहभागी वन प्रबंधन के तहत माइक्रोप्लान बनाने के लिए ग्राम वन समितियों को सहायता दी जा रही है. ग्रामीण महिलाओं के छोटे समूहों द्वारा आसानी से चलाये जा सकनेवाले लघु वन पदार्थों के प्रसंस्करण के लिए छोटे-छोटे उद्योग स्थापित करने में ग्राम वन समितियों को सहायता दी जा रही है. इसमें बांस, इमली, चिरौंजी, कुसुम, बीज आदि पर आधारित कुटीर लघु उद्योग होंगे. मुख्यमंत्री लघु उद्यमिता विकास बोर्ड द्वारा वृहत पैमाने पर ऐसे वन आधारित कुटीर-लघु उद्योगों को सहायता दी जा रही है.

कार्यक्रम में राज्य सभा सांसद महेश पोद्दार, समीर उरांव, विधायक रामकुमार पाहन, नवीन जायसवाल, राज्य 20 सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति के उपाध्यक्ष राकेश प्रसाद, वन विभाग के अपर मुख्य सचिव इंदुशेखर चतुर्वेदी, हेड ऑफ फोरेस्ट संजय कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ सुनील कुमार वर्णवाल सहित बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.

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