मिशनरीज ऑफ चैरिटी होम की गतिविधियों के बारे में भी हुई पूछताछ
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सीआइडी पहुंची सीडब्ल्यूसी, बच्चा बेचने के मामले की ली जानकारी
मिशनरीज ऑफ चैरिटी होम की गतिविधियों के बारे में भी हुई पूछताछ रांची : मिशनरीज ऑफ चैरिटी में बच्चा बेचे जाने के मामले को लेकर सीआइडी के अधिकारी शनिवार को चाइल्ड वेलफेयर सोसाइटी (सीडब्ल्यूसी) के कार्यालय पहुंचे. सीआइडी ने सीडब्ल्यूसी की चेयरमैन रूपा कुमारी से मिशनरीज ऑफ चैरिटी की गतिविधियों के बारे में जानकारी ली. […]
रांची : मिशनरीज ऑफ चैरिटी में बच्चा बेचे जाने के मामले को लेकर सीआइडी के अधिकारी शनिवार को चाइल्ड वेलफेयर सोसाइटी (सीडब्ल्यूसी) के कार्यालय पहुंचे. सीआइडी ने सीडब्ल्यूसी की चेयरमैन रूपा कुमारी से मिशनरीज ऑफ चैरिटी की गतिविधियों के बारे में जानकारी ली.
क्या-क्या पूछा गया : पूछा गया कि निरीक्षण के दौरान मिशनरीज ऑफ चैरिटी की ओर से सहयोग मिलता था या नहीं. परिसर में जाने दिया जाता था या नहीं. इसके अलावा सीआइडी ने चेयरमैन से यह भी पूछा कि निरीक्षण के दौरान सीडब्ल्यूसी की ओर से कौन-कौन निरीक्षण करने मिशनरीज ऑफ चैरिटी गये थे.
क्या इस तरह की संस्थाओं की नियमित जांच होती है? इस पर सीडब्ल्यूसी की ओर से बताया गया कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी में सभी बच्चियों को मिलने नहीं दिया जाता था. उन्हीं को सामने लाया जाता था जिन्हें सीडब्ल्यूसी के द्वारा रखा गया था. परिसर में भी जाने की इजाजत नहीं थी. रूपा ने बताया कि कई बच्चियां कमेटी की जानकारी के बगैर रखी जा रही थीं. ये सब जानने के बाद सीआइडी पूरे मामले पर रिपोर्ट तैयार कर रही है, जो डीआइजी को भेजी जायेगी. मौके पर रूपा कुमारी के अलावा सदस्य तनुश्री सरकार, कौशल किशोर, श्रीकांत कुमार व प्रतिमा तिवारी भी मौजूद थीं.
बच्चा गोद लेने की प्रकिया के बारे में जाना: सीआइडी ने सीडब्ल्यूसी की गतिविधियों के अलावा बच्चा गोद लिये जाने की प्रक्रिया के बारे में भी जाना. सीडब्ल्यूसी ने बच्चा गोद लिये जाने की प्रक्रिया के अलावा बच्चों व बच्चियों को रखने की व्यवस्था के बारे में जानकारी दी. बताया गया कि शून्य से 10 दिन के बच्चे को विलेज में भेजा जाता है. एक बच्ची की तीन बार काउंसलिंग की जाती है. बताया गया कि अधिकतर माताएं अपने बच्चों को नहीं ले जाना चाहती हैं. बच्चा जब सरेंडर किया जाता है तो इसके बाद भी 60 दिनों तक इंतजार करते हैं, ताकि बच्चे के प्रति मां की भावना जग जाये. 60 दिनों के बाद बच्चा पूरी तरह से कानूनी तौर पर मुक्त हो जाता है. यानी बच्चे पर मां-बाप का अधिकार खत्म हो जाता है.
बेचे गये बच्चे का निबंधन कारा में
होगा : मिशनरीज ऑफ चैरिटी में जिस बच्चे को सोनभद्र के परिवार को बेचा गया था. उसका निबंधन अब सेेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स ऑथोरिटी(कारा) में किया जायेगा. बच्चा फिलहाल दूसरी संस्था में रखा गया है. वहीं, सीडब्ल्यूसी ने बताया कि सदर अस्पताल में जिस बच्चे का जन्म हुआ है उसकी मां विक्षिप्त है. बच्चे को स्पेशल केयर यूनिट में रखा गया है. बच्चे व मां की देखभाल बच्चे की नानी कर रही है.
बच्चियों को वापस लेने परिजन पहुंचे, दिया आवेदन:
हिनू शिशु सदन में रखी गयी बच्चियों को वापस लेने उनके परिजन शनिवार को सीडब्ल्यूसी कार्यालय पहुंचे. परिजनों ने अपनी बच्ची को वापस लेने के लिए आवेदन भी दिया है. लेकिन, सीडब्ल्यूसी की ओर से बताया गया कि आप बच्ची के पिता हैं, इसका प्रमाण देना होगा. तभी बच्ची मिलेगी. फिलहाल सबों को अपनी बच्ची से मिलने की इजाजत दे दी गयी है.
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