इनाम लेने में जूते घिस जाते हैं पुलिसकर्मियों के

रांची: सरकार से लेकर वरीय पुलिस अधिकारी इन दिनों पुलिसकर्मियों से ज्यादा मेहरबान नक्सलियों पर हैं. नक्सली, जो लोगों की हत्या करते हैं, पुलिसकर्मी के साथ मुठभेड़ करते हैं, उनके सरेंडर करने के वक्त उन्हें सरेंडर पॉलिसी के तहत कई सुविधाएं मिलती हैं. लेकिन, जब कोई पुलिसकर्मी अपनी जान जोखिम में डाल कर किसी बड़े […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:44 PM

रांची: सरकार से लेकर वरीय पुलिस अधिकारी इन दिनों पुलिसकर्मियों से ज्यादा मेहरबान नक्सलियों पर हैं. नक्सली, जो लोगों की हत्या करते हैं, पुलिसकर्मी के साथ मुठभेड़ करते हैं, उनके सरेंडर करने के वक्त उन्हें सरेंडर पॉलिसी के तहत कई सुविधाएं मिलती हैं.

लेकिन, जब कोई पुलिसकर्मी अपनी जान जोखिम में डाल कर किसी बड़े इनामी नक्सली को गिरफ्तार करता है, तब उसे घोषित इनाम लेने के लिए अधिकारियों से लेकर सरकार के पास कई चक्कर लगाने पड़ते हैं. कई को इनाम नहीं मिल पाता है. इससे उनका मनोबल टूटता है.
केस स्टडी

तबादला भी हो जाता है
लालपुर पुलिस ने चार अगस्त, 2010 को वर्धमान कंपाउंड स्थित श्याम कुंज अपार्टमेंट की फ्लैट संख्या 302 से 10 लाख रुपये के इनामी उग्रवादी उदय सिन्हा उर्फ शैलेशजी को गिरफ्तार किया था. वरीय पुलिस अधिकारियों ने 25 अक्तूबर 2011 को सरकार के पास नक्सली की गिरफ्तारी में शामिल पुलिसकर्मियों को इनाम की राशि प्रदान करने की अनुशंसा भेजी. अब तक इन पुलिसकर्मियों को इनाम की राशि नहीं मिली. ये पुलिसकर्मी अब इनाम पाने की आशा तक छोड़ चुके हैं. गिरफ्तारी में शामिल एक दारोगा अरुण कुमार का तबादला बिहार हो चुका है.

पूर्व नक्सलियों को मिले रुपये
सरेंडर पॉलिसी के तहत पांच अगस्त 2010 से 23 मार्च 2012 तक रांची जिले में 19 नक्सलियों ने आत्मसर्मपण किया. इनके नाम पर बकाया 24 लाख रुपये सरकार निर्गत चुकी है. आठ पूर्व नक्सली 13 लाख रुपये का चेक ले चुके हैं. घर बनाने के लिए जमीन उपलब्ध नहीं करा पाने के कारण इन पूर्व नक्सलियों को अब सरकार आवासीय भत्ता के रूप में प्रति माह डेढ़ हजार रुपये देने की तैयारी कर रही है.

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