रांची-जमशेदपुर फोर लेनिंग कार्य की हो सकती है सीबीआइ जांच

रांची : रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) के फोर लेनिंग कार्य के लिए संवेदक को प्राप्त राशि के विचलन मामले की सीबीआइ जांच हो सकती है. झारखंड हाइकोर्ट ने सोमवार को रांची-जमशेदपुर सड़क को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए भारत सरकार के कॉरपोरेट मंत्रालय की सीरियस फ्रॉड इंवेस्टीगेशन अॉर्गेनाइजेशन (एसएफआइअो) […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2018 5:18 AM
रांची : रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) के फोर लेनिंग कार्य के लिए संवेदक को प्राप्त राशि के विचलन मामले की सीबीआइ जांच हो सकती है.
झारखंड हाइकोर्ट ने सोमवार को रांची-जमशेदपुर सड़क को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए भारत सरकार के कॉरपोरेट मंत्रालय की सीरियस फ्रॉड इंवेस्टीगेशन अॉर्गेनाइजेशन (एसएफआइअो) की सीलबंद प्रारंभिक जांच रिपोर्ट को गंभीरता से लिया. कोर्ट ने फोर लेनिंग सड़क निर्माण के लिए आवंटित राशि की राउंड ट्रिपलिंग के मामले की स्वतंत्र एजेंसी से उचित जांच कराने की आवश्यकता जतायी.
एसएफआइअो ने अपनी जांच में आवंटित राशि की राउंड ट्रिपलिंग की बात कही है. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की खंडपीठ ने मामले में सीबीआइ को प्रतिवादी बनाते हुए नोटिस जारी किया.
सीबीआइ को पक्ष रखने का निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान सीबीआइ की अोर से अधिवक्ता राजीव सिन्हा ने नोटिस प्राप्त किया. उन्होंने अपने वरीय अधिकारियों से निर्देश प्राप्त कर कोर्ट को जानकारी देने के लिए समय देने का आग्रह किया. मामले की अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी.
खंडपीठ की माैखिक टिप्पणी
मामले की सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने माैखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि नेशनल हाइवे अॉथोरिटी अॉफ इंडिया (एनएचएआइ) के ढीले रवैये के कारण निर्माण कार्य निर्धारित समय पर पूरा नहीं हो पाया. एनएच-33 के फोर लेनिंग प्रोजेक्ट को लेकर एनएचएआइ गंभीर नहीं है.
खंडपीठ ने यह भी कहा कि रांची-जमशेदपुर मार्ग का फोर लेनिंग कार्य 2011 से शुरू हुआ, जिसे जून 2015 में पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन आज तक पूरा नहीं हुआ. प्रतिदिन उक्त सड़क पर 7000 से अधिक वाहनों का आवागमन होता है.
उक्त सड़क पर हुई दुर्घटनाअों में 1000 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए. 500 से अधिक लोगों की माैत हो चुकी है. संवेदक कंपनी रांची एक्सप्रेस वे ने पिछले वर्ष अगस्त में कोर्ट में अंडरटेकिंग दी थी कि जुलाई 2018 तक 128 किमी लंबे एनएच का निर्माण कार्य पूरा हो जायेगा, लेकिन वह आज भी अधूरा है.
इस मामले में कोई प्रगति प्रतीत नहीं होती है. इस मामले में सभी प्रतिवादियों का रवैया एक जैसा है. संवेदक, एनएचएआइ, केनरा बैंक व राज्य सरकार विलंब के लिए एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं. ऐसी स्थिति में कोर्ट बर्दाश्त नहीं कर सकता है. वह अपनी आंखें नहीं मूंद सकता है. वाहनों की सुरक्षित आवाजाही के लिए तेजी से सड़क का निर्माण होना चाहिए. निर्माण कार्य रुकना नहीं चाहिए.
राज्य सरकार की अोर से अधिवक्ता राजीव रंजन मिश्रा ने पक्ष रखा, जबकि एनएचएआइ की अोर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा, बैंक की अोर से वरीय अधिवक्ता जय प्रकाश, संवेदक कंपनी की तरफ से अधिवक्ता अनूप कुमार मेहता ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग की दयनीय स्थिति को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.

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