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VIDEO : भगवान जगन्नाथ का नेत्रदान शुक्रवार को, रथमेला की तैयारियां पूरी, जानें कार्यक्रम…!

रांची : जगन्‍नाथपुर के ऐतिहासिक रथमेला की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है. भगवान जगन्‍नाथ के रथ की साज-सज्‍जा भी अंतिम चरणों में है. 15 दिनों के एकांतवास के बाद भगवान जगन्‍नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ 14 जुलाई को मौसीबाड़ी के लिए प्रस्‍थान करेंगे. शुक्रवार को भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई […]

रांची : जगन्‍नाथपुर के ऐतिहासिक रथमेला की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है. भगवान जगन्‍नाथ के रथ की साज-सज्‍जा भी अंतिम चरणों में है. 15 दिनों के एकांतवास के बाद भगवान जगन्‍नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ 14 जुलाई को मौसीबाड़ी के लिए प्रस्‍थान करेंगे. शुक्रवार को भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र का वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शाम पांच बजे नेत्रदान होगा. नेत्रदान के लिए तीनों विग्रहों को साढ़े चार बजे शाम को गर्भगृह से बाहर निकाला जायेगा. शाम पांच बजे मंगल आरती के बाद प्रधान पुजारी ब्रजभूषण नाथ मिश्र के नेतृत्व में तीनों विग्रहों का नेत्रदान होगा.

बातचीत के क्रम में प्रधान पुजारी श्री मिश्र ने बताया कि नेत्रदान के बाद श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर सकेंगे. श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो इसके लिए दो द्वार बनाये गये हैं. महिलाओं का प्रवेश गेट के बाई तरफ से और पुरुषों का प्रवेश दाईं तरफ से कराया जायेगा. ठीक इसी प्रकार भगवान के दर्शन के बाद महिलाएं मंदिर के दक्षिण की ओर से तथा पुरुष पश्चिम की ओर से बाहर निकलेंगे. रात्रि नौ बजे तक श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर सकेंगे.

रात्रि नौ बजे के बाद उनकी दैनिक आरती की जायेगी. दैनिक आरती के बाद रात्रि दस बजे भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा तथा भाई बलराम के तीनों विग्रहों को गर्भगृह में रख दिया जायेगा.

14 जुलाई को रथयात्रा 23 जुलाई को घुरती रथयात्रा

शनिवार की सुबह चार बजे भगवान का दैनिक भोग लगाया जायेगा. यह कार्यक्रम साढ़े चार बजे तक चलेगा. इसके बाद भगवान सुबह पांच बजे सर्व दर्शन के लिए सुलभ होंगे. यह दर्शन अपराह्न दो बजे तक चलेगा. इसके बाद तीनों विग्रहों को रथारूढ़ किया जायेगा. रथ पर ही तीनों विग्रहों का श्रृंगार किया जायेगा. इसके बाद पूजा-अर्चन की जायेगी.

रथयात्रा से पहले भगवान के सहस्रनाम का जाप किया जायेगा. इसमें सभी लोग भाग ले सकते हैं. लेकिन शर्त यह है कि पुरुष केवल धोती पहनकर ही हिस्सा लेंगे. इसके बाद भगवान का रथ मौसीबाड़ी के लिए प्रस्‍थान करेगा. रथ पर मौजूद पुरोहित भी केवल धोती पहने रहेंगे. सात दिनों तक भगवान, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ मौसीबाड़ी में निवास करेंगे. उसके बाद 23 जुलाई को घुरती रथयात्रा का आयोजन किया जायेगा. जब भगवान को वापस गर्भगृह में स्‍थापित किया जायेगा.

महिलाओं के लिए विशेष पूजा का आयोजन

प्रधान पुजारी ब्रजभूषण नाथ मिश्र ने बताया कि रथ 14 जुलाई को करीब 7 बजे शाम में मौसीबाड़ी के पास पहुंचेगा. वहीं महिलाओं के लिए विशेष पूजा का आयोजन किया जायेगा. महिलाओं के लिए एक घंटे का समय निर्धारित किया गया है. इस एक घंटे में महिलाएं रथ पर चढ़कर भगवान की चरण वंदना कर पायेंगी. उसके बाद विग्रहों को रथ से उतारकर मौसीबाड़ी में स्‍थापित किया जायेगा. जहां सात दिनों तक भक्‍त भगवान के दर्शन कर सकेंगे और उनकी पूजा अर्चना भी करेंगे.

यह भी जानें

@ भगवान के लक्षार्चना के अवसर पर श्री विग्रहों का दर्शन नियंत्रित रहेगा. लक्षार्चना वाले मार्ग में किसी को जाने की अनुमति नहीं होगी.

@ पुरुष श्रद्धालु खुले बदन धोती पहनकर अर्चना करेंगे. रथ पर रहनेवाले सभी पुजारी व अधिकृत व्यक्ति खुले बदन धोती पहने रहेंगे. सिर्फ आरक्षी अधीक्षक रथ पर अपने वेशभूषा में रहेंगे, जो रथ को नियंत्रित करेंगे. उनके सहयोग के लिए पुलिसकर्मी नीचे मौजूद रहेंगे.

यहां जानिए रथ यात्रा के दिन का पूरा कार्यक्रम

@ सुबह पांच बजे : मुख्य मंदिर में सर्व दर्शन सुलभ.

@ दोपहर दो बजे : दर्शन बंद.

@ दोपहर 2.01-2.30 बजे तक : भगवान के विग्रहों को रथारुढ़ और श्रृंगार.

@ दिन के 2.31-4.00 बजे तक : विष्‍णु लक्षार्चना.

@ शाम 4.01-4.15 बजे तक : श्री जगन्नाथ अष्टकम, विष्‍णु स्तुति व आरती.

@ शाम 4.16-4.30 बजे तक : फूलों का संग्रह, प्रसाद का वितरण और रस्सा बंधन.

@ शाम 4.31-6.00 बजे : रथ खींचा जायेगा और भगवान को मौसीबाड़ी ले जाया जायेगा.

@ शाम 6.01-7.00 बजे तक : रथ पर प्रभु का दर्शन (सिर्फ महिलाओं को रथ पर चढ़कर पूजा करने की अनुमति है)

@ शाम 7.01 बजे : सभी विग्रहों को मंदिर में लाया जायेगा.

@ रात आठ बजे : मंगल आरती और दर्शन बंद.

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