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क्या सब काम काेर्ट के आदेश से ही हाेगा, सरकार खुद काम करे
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में गुरुवार को रांची, जमशेदपुर, धनबाद व बोकारो के अस्पतालों से निकलनेवाले मेडिकल कचरे के साइंटिफिक निष्पादन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी जतायी़ कोर्ट ने लोहरदगा में […]
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में गुरुवार को रांची, जमशेदपुर, धनबाद व बोकारो के अस्पतालों से निकलनेवाले मेडिकल कचरे के साइंटिफिक निष्पादन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी जतायी़ कोर्ट ने लोहरदगा में निर्माणाधीन कॉमन बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी (सीबीएमडब्ल्यूटीएफ) के तय समय सीमा के अंदर चालू नहीं होने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि क्या सब काम कोर्ट के आदेश से ही होगा? सरकार को खुद काम करना चाहिए़
प्रार्थी के स्टेटमेंट को रिकॉर्ड करते हुए खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि सरकार ने मई 2018 में ट्रीटमेंट प्लांट चालू हो जाने संबंधी शपथ पत्र दायर किया था, लेकिन चालू नहीं हो पाया. सरकार ने फिर शपथ पत्र दायर कर तकनीकी कारण दिखाते हुए प्लांट के नवंबर 2018 तक चालू होने की बात कही है. कचरे का ट्रीटमेंट नहीं होने से ऐसा प्रतीत होता है कि बायो मेडिकल कचरा कहीं न कहीं तो फेंका जा रहा है अथवा पानी में बहाया जा रहा है.
यह मेडिकल कचरा खतरनाक है. इसे जहां-तहां फेंका नहीं जा सकता है. इसका साइंटिफिक तरीके से निष्पादन ही एक मात्र तरीका है. खंडपीठ ने यह भी कहा कि सरकार के अधिकारी यदि अपने दायित्वों को आपस में बांट लेंगे, तो योजना का कार्य जल्दी पूरा हो जायेगा. खंडपीठ ने राज्य सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी. मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 अगस्त की तिथि निर्धारित की गयी. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दायर कर खंडपीठ को बताया गया कि लोहरदगा में निर्माणाधीन ट्रीटमेंट फैसिलिटी तकनीकी कारणों से चालू नहीं हो पाया है.
अड़चनों को दूर कर उसे नवंबर 2018 तक चालू किया जा सकेगा. इससे 150 किमी के दायरे में पड़नेवाले अस्पतालों, नर्सिंग होम, मेडिकल क्लिनिक से निकलनेवाले कचरे का निष्पादन किया जा सकेगा. वहीं बोकारो व सिकिदिरी में बननेवाले सीबीएमडब्ल्यूटीएफ का निर्माण अप्रैल-2019 तक पूरा हो सकेगा. प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता समावेश भंजदेव ने खंडपीठ को बताया कि लोहरदगा में सीबीएमडब्ल्यूटीएफ का निर्माण कार्य धीमा है. अस्पतालों से निकलनेवाले मेडिकल कचरे को फेंक दिया जाता है या पानी में बहा दिया जा रहा है. यह स्थिति काफी खतरनाक है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी झारखंड ह्यूमन राइट्स कॉन्फ्रेंस की अोर से जनहित याचिका दायर की गयी है.
रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस अनंत बिजय सिंह की अदालत में गुरुवार को राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार व मुख्तार अब्बास नकवी के निर्वाचन को चुनाैती देनेवाली याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत में सुनवाई के दाैरान याचिका मेंटनेबल है या नहीं, इस बिंदु पर प्रतिवादी महेश पोद्दार की अोर से बहस पूरी हो गयी. अब दूसरे प्रतिवादी मुख्तार अब्बास नकवी की अोर से बहस की जायेगी.
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए एक अगस्त की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अरविंद कुमार लाल ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी विधायक निर्मला देवी ने चुनाव याचिका दायर कर सांसद महेश पोद्दार व मुख्तार अब्बास नकवी के निर्वाचन को चुनाैती दी है. उन्होंने प्रतिवादियों पर भ्रष्ट तरीके से चुनाव लड़ने का आरोप लगाया है.
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