रांची : बाबूलाल पर चलायें अवमानना का मामला, स्पीकर के कोर्ट पहुंचे विधायक, दिया आवेदन

रांची : झाविमो से भाजपा में शामिल होनेवाले छह विधायकों की ओर से कथित तौर पर 11 करोड़ रुपये लिये जाने की शिकायत बाबूलाल मरांडी द्वारा राज्यपाल से किये जाने का मामला शुक्रवार को स्पीकर दिनेश उरांव के न्यायाधिकरण में पहुंचा़ प्रतिवादी पक्ष ने स्पीकर को आवेदन देकर बाबूलाल पर कोर्ट की अवमानना करने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 14, 2018 7:37 AM
रांची : झाविमो से भाजपा में शामिल होनेवाले छह विधायकों की ओर से कथित तौर पर 11 करोड़ रुपये लिये जाने की शिकायत बाबूलाल मरांडी द्वारा राज्यपाल से किये जाने का मामला शुक्रवार को स्पीकर दिनेश उरांव के न्यायाधिकरण में पहुंचा़ प्रतिवादी पक्ष ने स्पीकर को आवेदन देकर बाबूलाल पर कोर्ट की अवमानना करने के लिए आपराधिक मामला चलाने की मांग की है. प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं का कहना है कि जब यह मामला स्पीकर के कोर्ट में चल रहा है, तो ऐसे में राज्यपाल के पास जाने का क्या मतलब है. ऐसा पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर इस कोर्ट की कार्रवाई को प्रभावित करने के लिए किया गया है.
बाबूलाल ने राज्यपाल को आरोप पत्र देकर मामले में दोषियों पर एफआइआर दर्ज करने, सीबीआइ से जांच कराने और विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की है.
सदस्यता रद्द करने का अधिकारी स्पीकर को : विधायकों ने आवेदन में कहा, महाधिवक्ता ने इस पर राय दी है कि बाबूलाल पर आपराधिक अवमानना का मामला बनता है. 10वीं अनुसूची के तहत जब यहां मामला चल रहा है और सदस्यता रद्द करने या न करने का अधिकार स्पीकर को है, तो फिर राज्यपाल के पास जाने का क्या मतलब है.
बाबूलाल मरांडी ने मामले को सनसनीखेज बनाने और कोर्ट को नीचा दिखाने के लिए ऐसा किया है. बाबूलाल मरांडी का बचाव करते हुए अधिवक्ता आरएन सहाय ने कहा, बाबूलाल ने अपने आवेदन में स्पीकर के बारे में एक लाइन नहीं लिखा है. यह आरोप बेबुनियाद है.
कोर्ट को कहीं से नीचा नहीं दिखाया गया है. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद स्पीकर ने इस मामले को फिलहाल स्थगित रखते हुए दलबदल पर बहस की शुरुआत करने का निर्देश दिया. स्पीकर ने निर्देश दिया कि वादी पक्ष से आवेदन रिसिव करा लिया जाये. बहस की अगली तिथि 27 जुलाई तक बाबूलाल मरांडी के अधिवक्ता को जवाब देने का भी निर्देश दिया़
पांच आरोपी विधायक पहुंचे, बहस शुरू
दलबदल के मामले में सुनवाई के दौरान झाविमो से भाजपा में जानेवाले पांच विधायक नवीन जायसवाल, रणधीर सिंह, जानकी यादव, गणेश गंझू और आलोक चौरिसया मौजूद थे. पहले दिन बहस की शुरुआत वादी पक्ष की ओर से की गयी़ अधिवक्ता आरएन सहाय ने कहा कि विधायकों ने सदस्यता ली है. पार्टी का विलय नहीं हुआ है.
अधिवक्ता दिल्ली में विधायकों के भाजपा में शामिल होने के समय अखबारों में छपी खबरों का कतरन लेकर पहुंचे थे. अखबारों का हवाला देते हुए कहा कि उस समय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष, प्रभारी और शामिल होने वाले विधायकों ने माना था कि वे पार्टी में शामिल हुए हैं.
कोट
बाबूलाल ने झूठा आरोप लगाया है. फर्जी पत्र लेकर राज्यपाल को भी गुमराह करने की कोशिश की है. उन पर कोर्ट की अवमानना मामला चलना चाहिए. हम इस मामले को छोड़ने वाले नहीं हैं. – नवीन जायसवाल, विधायक
महाधिवक्ता की राय के बाद आरोपी विधायकों ने उठाया कदम
प्रतिवादी पक्ष
वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव रंजन ने प्रतिवादी का पक्ष रखते हुए कहा : यह न्यायाधिकरण सुप्रीम अथॉरिटी है. विशेषाधिकार हनन का भी मामला चल सकता है. बाबूलाल मरांडी ने सनसनी पैदा करने के लिए अखबारों और मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार किया. इनको नोटिस भेजा जाये, आपको प्रभावित करने का प्रयास है.
वादी पक्ष
अधिवक्ता आरएन सहाय ने कहा, बाबूलाल मरांडी ने अपने आवेदन में स्पीकर के बारे में एक लाइन नहीं लिखा है. यह आरोप बेबुनियाद है. कोर्ट को कहीं से नीचा नहीं दिखाया गया है.

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