गेमिंग डिसऑर्डर से होती है कई तरह की मानसिक बीमारी

रांची : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजिज (आइसीडी)-11 के चैप्टर छह में गेमिंग डिसआॅर्डर और कंपल्सिव सेक्सुअल बिहेवियर (अनिवार्य या जबरदस्ती लैंगिक व्यवहार) को मनोरोग की श्रेणी में रखा है. काफी समय के बाद आइसीडी में बदलाव आया है. मनोचिकित्सा व मनोविज्ञान से जुड़े लोग इसे अपना बेस्ट मैनुअल मानते हैं. क्योंकि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 15, 2018 1:51 AM
रांची : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजिज (आइसीडी)-11 के चैप्टर छह में गेमिंग डिसआॅर्डर और कंपल्सिव सेक्सुअल बिहेवियर (अनिवार्य या जबरदस्ती लैंगिक व्यवहार) को मनोरोग की श्रेणी में रखा है. काफी समय के बाद आइसीडी में बदलाव आया है. मनोचिकित्सा व मनोविज्ञान से जुड़े लोग इसे अपना बेस्ट मैनुअल मानते हैं. क्योंकि अब तक मनोचिकित्सा के क्षेत्र में काम करने वाले प्रोफेशनल्स आइसीडी-10 तक के गाइड लाइन का ही इस्तेमाल करते थे.
पूरे विश्व में लोगों के सामान्य जीवन की सामान्य क्रियाओं में होनेवाले बदलाव को देखते हुए कुछ बीमारियों को शामिल किया जाता है. आइसीडी का प्रकाशन 83 भाषाओं में किया जाता है. मानव जीवन में अलग प्रकार के लक्षण पर लगातार नजर रखने और उसके वैज्ञानिक पहलू का अध्ययन करने के बाद बीमारी की श्रेणी में शामिल किया जाता है. पूर्व में इन दोनों को बीमारी की श्रेणी में नहीं रखने के कारण मनोचिकित्सा क्षेत्र के प्रोफेशनल्स भी बीमारी के नाम और इसके वैज्ञानिक पहलू को लेकर संशय की स्थिति में थे.
आइसीएडी-11 के चैप्टर छह में किया शामिल
आइसीडी-11 में कंपल्सिव सेक्सअुल बिहेवियर को इंप्लसिव कंट्रोल डिजिज की श्रेणी में लाया गया है. कई मामलों में ऐसा देखा गया हलोग चाह कर भी अपने सेक्सुअल बिहेवियर पर नियंत्रण नहीं रख पाते हैं. कंपल्सिव सेक्सअुल बिहेवियर से ग्रसित मरीज का दिमाग ठीक उसी तरह प्रभावित होता है, जैसे किसी नशे के रोगी का. क्योंकि भले ही इस बीमारी का शारीरिक लक्षण नहीं हो लेकिन कोशिश करने के बाद भी वह नाकाम रहता है.
इसका सुख प्राप्त करने से ज्यादा इस कार्य को करना चाहता है. ऐसे लोग ही रेप जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं. वह अपने अपोजिट सेक्स वाले लोगों के साथ बिना किसी उम्र या वक्त का ख्याल किये असामान्य व्यवहार करने लगते हैं. बार-बार होने वाले इस तरह के लक्षण को बीमारी की श्रेणी में शामिल किया गया है. इसे एक प्रकार का एडिक्शन माना गया है. इसे नशा जैसा मानते हुए इसके इलाज को वैज्ञानिक मान्यता दी गयी है.
क्या है गेमिंग डिसआॅर्डर
आइसीडी-11 में गेमिंग डिसआॅर्डर को मेंटल हेल्थ की श्रेणी में रखा है. वीडियो गेम खेलने वाले लोगों के व्यवहार को गंभीर माना गया है. ऐसे मरीज को मनोरोग की श्रेणी में रखा है. गेम से निजी, सामाजिक और कामकाज पर अगर असर पड़ने लगे तो इसे मनोरोग का लक्षण माना जा सकता है. कहीं-कहीं गेम के कारण परिवार को नुकसान पहुंचाने का मामला सामने आया है. शुरू में इसे मनोरोग नहीं माना जाता था. इसका इलाज दूसरी बीमारियों के साथ जोड़ कर होता था. अब इसका इलाज मनोचिकित्सा के प्रोफेशनल्स आइसीडी के गाइड लाइन के आधार पर कर सकेंगे.
क्या कहते हैं मनोचिकित्सक
रिनपास के वरीय मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा कहते हैं कि दोनों लक्षणों को आइसीडी-11 में शामिल किये जाने से इलाज को लेकर नयी दिशा मिली है. गेमिंग डिसआॅर्डर और कंपल्सिव सेक्सुअल बिहेवियर, दोनों तरह के मरीज पहले भी आते थे. लेकिन, ऐसी बीमारी को किस श्रेणी में रखा जाये, इसको लेकर बहुत कुछ स्पष्ट नहीं था. हालांकि, अब भी इस पर और ज्यादा रिसर्च करने की जरूरत है.

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