रांची : न्यायिक बहाली में एसटी, एससी, ओबीसी की समुचित भागीदारी जरूरी : उपेंद्र कुशवाहा
रांची : केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि न्यायिक बहाली में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अल्पसंख्यकों की समुचित भागीदारी जरूरी है. उन्होंने कहा कि लोकसभा व राज्यसभा से पारित नेशनल ज्यूडिशियल अप्वाइंटमेंट कमीशन कानून को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश नहीं मान रहे हैं. न्यायिक […]
रांची : केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि न्यायिक बहाली में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अल्पसंख्यकों की समुचित भागीदारी जरूरी है. उन्होंने कहा कि लोकसभा व राज्यसभा से पारित नेशनल ज्यूडिशियल अप्वाइंटमेंट कमीशन कानून को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश नहीं मान रहे हैं.
न्यायिक प्रक्रिया के तहत न्यायाधीशों की बहाली में चल रही कोलेजियम की व्यवस्था पूरी तरह असंवैधानिक है. रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री कुशवाहा ने ये बातें राष्ट्रीय लोक समता पार्टी द्वारा आयोजित हल्ला बोल, दरवाजा खोल कार्यक्रम में कही. कार्यक्रम का अायोजन रविवार को विधानसभा सभागार में किया गया था.
दिल्ली से हो चुकी है शुरुआत
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हल्ला बोल कार्यक्रम की शुरुआत दिल्ली में मई माह में हुई थी. इससे देश भर में यह जागरुकता फैलायी जा रही है कि न्यायिक प्रक्रिया में एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक ही नहीं गरीब सवर्ण का बेटा भी सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट में भी जज बन पाये.
कार्यक्रम में राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नागमणि, प्रदेश अध्यक्ष विजय महतो, छात्र युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सज्जन कश्यप आदि मौजूद थे.
प्रजातंत्र की जड़ को मजबूत करना होगा
श्री कुशवाहा ने कहा कि न्यायिक व्यवस्था में बैठे उच्चाधिकारियों ने संविधान में प्रदत अधिकार को बदल दिया है. पहले राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीशों से जज की बहाली को लेकर सलाह मांगते थे. इसके बाद ही अधिसूचना जारी होती थी. अब वरिष्ठ न्यायाधीश राष्ट्रपति को सीधे सूची भेजते हैं. यह प्रजातंत्र के लिए ठीक नहीं है. प्रजातंत्र की जड़ को मजबूत करने की आवश्यकता है.