02 साल, 39 कार्यदिवस, एक दिन भी नहीं चली विधानसभा, 2016 के मॉनसून सत्र से बाधित है सदन

आनंद मोहन जनता के सवालों से बेखबर, माननीयों पर करोड़ों खर्च दो बार बजट सत्र को 12 दिन पहले ही खत्म करना पड़ा रांची : झारखंड में विधानसभा पिछले दो वर्षों से ठप है. पिछले आठ सत्रों से विधानसभा की कार्यवाही सुचारु रूप से नहीं चल रही. वर्ष 2016 के दिसंबर महीने से शुरू हुई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2018 7:47 AM
आनंद मोहन
जनता के सवालों से बेखबर, माननीयों पर करोड़ों खर्च
दो बार बजट सत्र को 12 दिन पहले ही खत्म करना पड़ा
रांची : झारखंड में विधानसभा पिछले दो वर्षों से ठप है. पिछले आठ सत्रों से विधानसभा की कार्यवाही सुचारु रूप से नहीं चल रही. वर्ष 2016 के दिसंबर महीने से शुरू हुई शीतकालीन सत्र से ही पक्ष-विपक्ष के बीच नोक-झाेंक जारी है.
2017 के बजट सत्र से सदन में दोनों के बीच कड़वाहट और बढ़ गयी. इसके बाद कभी जेपीएससी में आरक्षण का मामला, कभी जेपीएससी पीटी रिजल्ट का मामला, स्थानीयता का मुद्दा, फिर सीएनटी-एसपीटी में संशोधन के मुद्दे पर सदन में लगातार हंगामा हो रहा है.
2016 के मॉनसून सत्र से अब तक 51 दिन विधानसभा का सत्र आहूत किया गया था. इनमें दो बार निर्धारित तिथि से 12 दिन पहले सत्रावसान कर दिया गया. शेष 39 दिन में भी सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से नहीं चली. नतीजा यह है कि मिनटों में विधेयक और बजट पास हो रहे हैं. जनता के सवाल छूटते जा रहे हैं. सरकार ने किसी तरह अपना विधायिक काम निबटा लिया.
2016 के मॉनसून सत्र से बाधित है सदन
बिना विपक्ष के प्रश्नकाल
2016 में 15 फरवरी से लेकर 18 मार्च तक के लिए सत्र बुलाया गया था. सदन में जेपीएससी के मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा चलता रहा. दो मार्च को सदन की कार्यवाही बिना विपक्ष के चली. केवल सत्ता पक्ष के प्रश्न ही सदन में आये. 2016 के अंतिम सत्र से सीएनटी-एसपीटी का मामला तूल पकड़ा.
सदन में चली कुर्सियां
23 नवंबर 2016 को विधानसभा की मर्यादा तार-तार हुई. सदन के अंदर कुर्सियां चली. िवधानसभा अध्यक्ष पर पीन के गोले और स्प्रे फेंके गये. सीएनटी-एसपीटी में संशोधन के प्रस्ताव को वापस लेने को लेकर झामुमो और कांग्रेस के विधायकों ने जम कर हंगामा किया.
… और इधर माननीयों पर खर्च
वर्तमान में माननीय 1़ 60 लाख से ज्यादा तनख्वाह उठा रहे हैं. दूसरे भत्ते अलग हैं. विधायक किसी कमेटी के सदस्य हैं, तो फिर उन्हें बतौर भत्ता 30 से 40 हजार रुपये मिल जाते हैं. इसके अतिरिक्त विधायकों के सहायकों को 35 हजार और चपरासी को 25 हजार तनख्वाह मिलती है. कमेटी के सभापति के सहायकों को 45 हजार बतौर वेतन मिलता है. एक विधायक पर सरकार ढाई लाख से ज्यादा खर्च करती है़
विधानसभा सदस्य अपने क्षेत्र से कहीं भी बाहर विधायी कार्यों के लिए निकलते हैं, तो यात्रा भत्ता के रूप में 16 रुपया प्रति किमी मिलता है़ विधायक (सभी नहीं) भले ही रांची में हों, लेकिन सामान्यत: यह भत्ता उठाते हैं. विधानसभा में कार्यवाही चले या ना चले, इस पर विधायकों का अधिकार है.
दो साल में ऐसे चली विधानसभा
वर्ष 2016 : मॉनसून सत्र : 22 जुलाई से 29 जुलाई तक (6 दिन कार्यदिवस )
22 जुलाई : शोक प्रकाश के बाद कार्यवाही स्थगित
25 जुलाई : एडीजी अनुराग गुप्ता को लेकर विपक्ष का हंगामा. कागज फाड़ेे गये. वेल में विधायकों का हंगामा. अनुपूरक पेश हुआ
26 जुलाई : विधानसभा ठप़ तीसरे दिन भी नहीं चली
27 जुलाई : सदन में कार्यवाही नहीं चली़
28 जुलाई : पहली पाली में नहीं चला हाउस. विपक्ष का हंगामा.
29 जुलाई : अंतिम दिन भी हंगामा नहीं चला सदन
2016 : शीतकालीन सत्र : 17 नवंबर से 23 नवंबर तक (4 दिन कार्यदिवस )
17 नवंबर : शोक प्रकाश, स्थगित
18 नवंबर : सदन नहीं चला़
21 नवंबर : विधानसभा ठप
23 नवंबर : स्पीकर पर जूते, कुर्सी फेंके गये. सीएनटी-एसपीटी में संशोधन तीन मिनट में पास हुआ.
वर्ष 2017 : बजट सत्र : 17 जनवरी से 7 फरवरी तक (11 दिन कार्यदिवस )
– ( हंगामे के कारण सत्र चार दिन पहले ही खत्म )
17 जनवरी : राज्यपाल का अभिभाषण. विपक्ष का वाकआउट़
18 जनवरी : झामुमो विधायक अनिल मुर्मू के निधन पर कार्यवाही स्थगित
19 जनवरी : हंगामा. झामुमो के चार विधायक निलंबित़
20 जनवरी : सीएनटी-एसपीटी को लेकर हंगामा
21 जनवरी : हंगामा, नहीं चला सदन
23 जनवरी : सीएनटी-एसपीटी को लेकर हंगामा.
24 जनवरी : केवल 10 मिनट सदन चला.
28 जनवरी : सिर्फ 17 मिनट चला. कार्यवाही बाधित
30 जनवरी : चार मिनट में सरकार ने अपना काम निबटाया. नहीं चला प्रश्नकाल
31 जनवरी : सदन बाधित
3 फरवरी : चार दिन पहले ही बजट सत्र खत्म़
2017 विशेष सत्र : 27 मार्च (1 दिन)
जीएसटी पर चर्चा
2017 मॉनसून सत्र : 8 अगस्त से 12 अगस्त (5 दिन)
8 अगस्त : शोक प्रकाश. नहीं चला प्रश्नकाल
9 अगस्त : सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन वापस. पहली पाली में हंगामा, दूसरी पाली में काम नहीं
10 अगस्त : हंगामा, पक्ष-विपक्ष पर तकरार
11 अगस्त : मेडिकल प्रोटेक्शन बिल नहीं हुआ पास. दूसरा कोई काम नहीं हुआ़
12 अगस्त : भूमि संशोधन विधेयक, धर्म स्वतंत्रय विधेयक पारित. फिर हंगामा़
2017 शीतकालीन सत्र : 12 दिसंबर से 15 दिसंबर तक (4 दिन कार्यदिवस )
12 दिसंबर : शोक प्रकाश, स्थगित
13 दिसंबर : सरकार ने दो मिनट में काम निबटाया. हंगामा
14 दिसंबर : हंगामा, नारेबाजी, नहीं चला सदन
15 दिसंबर : पहली और दूसरी दोनों पाली में हंगामा
2018 बजट सत्र : 17 जनवरी से सात फरवरी (8 दिन कार्य दिवस)
(सत्र सात फरवरी तक निर्धारित था, हंगामे के कारण आठ दिन पहले 30 जनवरी को ही स्थगित कर दिया गया़ )
17 जनवरी : 10 मिनट में राज्यपाल ने भाषण पूरा किया. हंगामा
18 जनवरी : तीन आला अधिकारियों को लेकर हंगामा
19 जनवरी : तीन आला अधिकारियों को लेकर हंगामा
20 जनवरी : हंगामा
23 जनवरी : बजट पेश. विधानसभा स्थगित
24 जनवरी : सदन में हंगामा, 10 मिनट चला
29 जनवरी : नहीं चला सदन
30 जनवरी : नहीं चला सदन, पक्ष-विपक्ष में तकरार, आठ दिन पहले सत्रावसान

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