रेडियो धूम 104.8FM..बोले तो टेंशन नहीं लेने का :10 साल रहा बेमिसाल, नेशनल आउटलुक और रीजनल कंटेंट का किया मिश्रण
विजय बहादुर रांची : रेडियो धूम 104.8 बोले तो टेंशन नहीं लेने का. यह कहानी कुल जमा 10 साल पुरानी है. लेकिन इस कहानी में पूरी रवानी है. 10 साल पहले जब सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने प्रभात खबर के नये वेंचर रेडियो धूम को रांची और जमशेदपुर में एफएम चैनल का लाइसेंस दिया, तो […]
विजय बहादुर
रांची : रेडियो धूम 104.8 बोले तो टेंशन नहीं लेने का. यह कहानी कुल जमा 10 साल पुरानी है. लेकिन इस कहानी में पूरी रवानी है. 10 साल पहले जब सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने प्रभात खबर के नये वेंचर रेडियो धूम को रांची और जमशेदपुर में एफएम चैनल का लाइसेंस दिया, तो इस इलाके में रेडियो और ट्रांजिस्टर के मायने भी बदल रहे थे.
श्रोताओं के पास अब सिर्फ आकाशवाणी और विविध भारती के ही रेडियो प्रोग्राम का विकल्प नहीं था. 10 साल पहले रांची और जमशेदपुर के रेडियो श्रोताओं ने रीजनल बनाम नेशनल के बीच का दंगल भी देखा.
एक ओर रेडियो धूम तो दूसरी ओर बिग एफएम 92.7, रेडियो मंत्रा 91.9, रेडियो धमाल 106.4 जैसे बड़े नाम. उनके साथ में सपोर्ट के लिए देश के धुरंधर रेडियो जॉकी जिनका खुद का भी बड़ा फैन फॉलोइंग और नाम था. रेडियो धूम ने प्रभात खबर की तरह अपनी मिट्टी की खुशबू को खाद-पानी देना तय किया.
यह सब कुछ पाना इतना भी आसान नहीं था
प्रभात खबर ने सिंडिकेट प्रोग्राम के बदले नेशनल आउटलुक के साथ रीजनल कंटेंट का मिश्रण किया. हिंदी के साथ रोजाना एक घंटा नागपुरी, भोजपुरी और सप्ताह में एक दिन एक घंटा बांग्ला गाने भी बजाये जाने लगे. महापर्व छठ पर छठ के गीत, सावन में भगवान शंकर के गाने बजने लगे.
ज्यादातर कार्यक्रम और आरजे लाइव शो करने लगे ताकि ज्यादा से ज्यादा श्रोताओं से सीधा संवाद हो सके. लोकल कनेक्ट को ज्यादा बढ़ाने के लिए सादरी,खोरठा जैसे लोकल भाषाओं का भी विज्ञापन बनाने में उपयोग होने लगा. नतीजा सामने है. श्रोताओं ने अपना पूरा प्यार, समर्थन और सहयोग रेडियो धूम को न्यौछावर कर दिया. लेकिन यह सब कुछ पाना इतना आसान भी नहीं था.
नामी गिरामी रेडियो जॉकी के सामने नये लोगों को अपने सीमित बजट में रेडियो जॉकी और साउंड तकनीशियन की तलाश का काम करना था. रेडियो धूम ने बड़े नाम और बड़े संस्थान का मोह नहीं किया. संत जेवियर कॉलेज रांची, करीम सिटी कॉलेज जैसे संस्थानों से नये टैलेंट को चुनकर उनकी प्रतिभा को आगे बढ़ाने का काम किया गया.
जब भी कोई नया टैलेंट आया, यही कहा गया कि अब तो बड़े नामों से मुकाबला मुश्किल है. लेकिन आज यही से निकले खालिस झारखंडी प्रतिभाएं देश दुनिया के बहुत सारे एफएम स्टेशन्स में अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रहे हैं.
…और इनके बिना अधूरी है सफलता की कहानी
निखरती गयी प्रतिभा
लगभग हरेक रेडियो जॉकी कहीं भी काम करता हो, यह मानता है कि रेडियो धूम में काम और प्रयोग करने की आजादी ने उनकी प्रतिभा को निखारने का मौका दिया. एक तरह से कहें कि रेडियो धूम नयी प्रतिभाओं के लिए एक टैलेंट निखारने का सेंटर है. रेडियो धूम से रेडियो जॉकी और साउंड टेक्निशन की बड़ी पौध तैयार हुई.
आज कई प्रतिष्ठित संस्थानों में काम कर रहे हैं. शुरुआती दौर में स्टेशन हेड संजीव सिंह के नेतृत्व में आरजे के रूप में तनिष्क, पूजा सिंह, अनिलेश कुमार थे, जो अभी बीबीसी लंदन में पत्रकार हैं. सप्तक नियोगी जो अभी सोनी टीवी में हैं. रेड एफएम जमशेदपुर में काम करनेवाले कुमार निशांत भी साथ थे. बिग एफएम में काम रहे भूपेश शर्मा भी थे.
दूसरे दौर में फिलहाल फीवर दिल्ली में काम करनेवाले निशांत राजपूत, रेड एफएम उदयपुर में काम रही श्वेता सैनी, रेडियो सिटी पटना में काम रही बरखा और सैंकी, रेड एफएम पटना में काम रही तृप्ति त्रिपाठी, स्वीटी सोनी, रुचि जैसे युवा जुड़े. वर्तमान रेडियो धूम की टीम तो और भी शानदार है.
टीम में स्टेशन हेड प्रशांत सिंह, बुलंद इकबाल, प्रोग्रामिंग हेड अंशु प्रिया, आरजे के रूप में प्रसून उपाध्याय, श्वेता शर्मा, फैजान खान, दीप्ति एंथोनी शामिल हैं. टेक्निकल, साउंड और मार्केटिंग में अखिलेश कुमार, पंकज मिश्रा, सतीश कुमार, अंशुल गुप्ता, राजवर्धन, भास्कर सिंह, आदेश, पवन महथा, नरेश और सुजीत जैसे युवा हैं.
आज के इस दौर में लगभग सभी यह दावा करते हैं कि हम ही नंबर एक हैं. लेकिन यह तय मानिये कि सचमुच में नंबर 01 वही है जिसे रांची और जमशेदपुर में बैठे शहर की नब्ज पहचानने वाले विज्ञापनदाता का साथ मिलता हो. इस मामले में रेडियो धूम बहुत लकी है, जिसे विज्ञापनदाताओं का सबसे ज्यादा स्नेह मिला. जो जुड़ा वो रेडियो धूम का हो कर रह गया.
अंत में जिन लोगों के कंट्रीब्यूशन के बिना रेडियो धूम की सफलता की कहानी अधूरी है, वो हैं प्रभात खबर समूह के एमडी केके गोयनका और इडी आरके दत्ता. इनके प्रबंधकीय कौशल और मार्गदर्शन के कारण रेडियो धूम का कारवां आगे बढ़ रहा है.
अंत में रेडियो धूम 104.8, बोले तो टेंशन नहीं लेने का…
हर दौर में जुड़े सभी की भावना लगभग एक ही तरह की है
आज मैं जो भी हूं, जिस जगह पर पहुंचा हूं, वो सिर्फ रेडियो धूम और प्रभात खबर के बदौलत ही संभव हुआ है. मेरा नाम लोगों ने सुना सिर्फ रेडियो धूम की वजह से.
मुझे मेरा टैलेंट दिखाने का मौका मिला सिर्फ रेडियो धूम की वजह से. मुझे जो फैंस मिले, इज्जत मिली, शोहरत मिली और जो कुछ भी कमाया, उसका सारा श्रेय रेडियो धूम और प्रभात खबर के उन सभी अधिकारियों को जाता है, जिन्होंने मुझे इस काबिल समझा और चार चीजें सीखी, जिससे मैं जिंदगी में इस काबिल बन पाया.
रेडियो धूम परिवार ने मुझे बेहतर अवसर दिया और हमेशा सही और गलत को समझाया और एक बड़ी चीज जो मैंने वहां से सीखी वो यह थी कि अगर आप बेस्ट हो, तो हर कोई आपकी इज्जत करेगा और आपको प्यार देगा. अगर आप बेस्ट नहीं हो तो आपको यह लगना शुरू हो जायेगा कि लोग सही नहीं है.