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सूबे में औसतन 10-12 घंटे ही मिल रही बिजली

रांची : शुक्रवार को पीजीसीआइएल लाइन ब्रेकडाउन का असर अगले दिन भी जारी रहा. रांची समेत कई जिलों में घंटों बिजली कटी रही. औसतन राज्यभर में 10-12 घंटे ही बिजली दी गयी. बिजली न रहने का साइड इफेक्ट पानी और जनजीवन पर पड़ रहा है. राजधानी रांची में शुक्रवार को किसी तरह बिजली तो चालू […]

रांची : शुक्रवार को पीजीसीआइएल लाइन ब्रेकडाउन का असर अगले दिन भी जारी रहा. रांची समेत कई जिलों में घंटों बिजली कटी रही. औसतन राज्यभर में 10-12 घंटे ही बिजली दी गयी. बिजली न रहने का साइड इफेक्ट पानी और जनजीवन पर पड़ रहा है. राजधानी रांची में शुक्रवार को किसी तरह बिजली तो चालू कर दी गयी.
पर कई इलाकों में रात भर बिजली का आना-जाना लगा रहा. ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी खराब है. राज्य के ग्रामीण इलाकों में औसतन पांच से सात घंटे बिजली दी जा रही है. गुमला के ग्रामीण इलाकों में पांच से 10 घंटे ही बिजली की उपलब्धता है. गुमला जिले के घाघरा प्रखंड के देवाकी गांव में 12 दिनों से बिजली नहीं है. पलामू, गढ़वा में आठ से 10 घंटे बिजली गुल रह रही है. वजह है कि अभी इन जिलों में हटिया ग्रिड से बिजली दी जा रही है, जो पर्याप्त नहीं है. वहीं चतरा के ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र तीन-चार घंटे ही बिजली मिल रही है.
राजधानी रांची में लगातार 10 घंटे बिजली नहीं रही
राजधानी में शुक्रवार को लगातार 10 घंटे बिजली नहीं थी. शाम 6.30 बजे बिजली आपूर्ति चालू की गयी. पर कई इलाकों में रात एक बजे तक बिजली नहीं आ पायी थी, जिसमें चुटिया, पुरूलिया रोड जैसे इलाके हैं. लालपुर में रात से लगातार बिजली का आना-जाना लगा रहा. पहाड़ी फीडर में अर्थिंग की वजह से दिन में चार घंटे तक बिजली कटी रही. हरमू के किशोरगंज फीडर में अर्थिंग फॉल्ट की वजह से दिन के 1.30 बजे से 4.30 बजे तक बिजली गुल रही.
चेशायर होम रोड में भी दिन के 1.30 बजे से 4.30 बजे तक बिजली गुल रही. उधर रातू, रातू चट्टी, पिस्का मोड़, कटहल मोड़ जैसे इलाकों में दिन में औसतन पांच से छह घंटे ही बिजली दी गयी. विद्या नगर, अशोक नगर में रात से ही बिजली का आना-जाना लगा रहा. कोकर, वर्दवान कंपाउंड, मेन रोड जैसे इलाकों में भी बिजली की स्थिति लचर रही.
गुमला के ग्रामीण क्षेत्रों में 5-10 घंटे मिलती है बिजली
गुमला. गुमला जिले में बिजली व्यवस्था चरमरा गयी है. सबसे बुरा हाल ग्रामीण क्षेत्रों का है. ग्रामीण फीडर में प्रत्येक दिन मात्र 5-10 घंटे बिजली सप्लाई हो रही है. जबकि शहरी क्षेत्र में 15-16 घंटे बिजली मिल रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली नहीं मिलने से खेतीबारी प्रभावित हो रही है. 20 जुलाई को गुमला में केवल 5.20 घंटे ही बिजली मिली.
एक सप्ताह तक औसतन मिली बिजली
15 जुलाई को 18 घंटे, 16 जुलाई को 15 घंटे, 17 जुलाई को 07 घंटे, 18 जुलाई को 14 घंटे, 19 जुलाई को 15.10 घंटे, 20 जुलाई को 5.30 घंटे, 21 जुलाई को 7.55 घंटे बिजली सप्लाई गुमला जिले को की गयी है.
देवाकी गांव में 12 दिनों से बिजली नहीं
घाघरा प्रखंड के देवाकी गांव में 12 दिनों से बिजली सप्लाई ठप है. बताया गया कि गांव का ट्रांसफारमर जल गया है. विभाग को इसकी सूचना दी गयी है. लेकिन अभी तक ट्रांसफारमर बदला नहीं गया है.
देवाकी गांव में कम पावर का ट्रांसफारमर होने के कारण वह जल गया है. उसे जल्द ठीक किया जायेगा. कुछ तकनीकी फॉल्ट के कारण बिजली सप्लाई में परेशानी आ रही है. ऐसे विभाग का प्रयास है कि बिजली आपूर्ति सुचारू ढंग से हो.
सत्यनारायण पात्र, ईई, बिजली विभाग, गुमला
मेदिनीनगर में नहीं सुधरी बिजली व्यवस्था
मेदिनीनगर. पलामू में शुक्रवार को लगभग 10 घंटे तक ब्लैक आउट की स्थिति थी. देर शाम बिजली भी आयी. लेकिन कई इलाकों में रात में भी बिजली गुल रही. शहर के हमीदगंज, चैनपुर में बिजली नहीं थी. जबकि निमियां के बैंक काॅलोनी, सुदना इलाके के लोग लो वोल्टेज से त्रस्त रहे. बिजली की यह स्थिति पिछले चार दिनों से बनी हुई है. औसतन आठ से दस घंटे ही बिजली मिल रही है. हटिया ग्रिड से जुड़ने के बाद यहां की बिजली व्यवस्था लचर हुई है. यहां पिछले एक सप्ताह से आठ से दस घंटे ही बिजली मिल रही है. ग्रामीण इलाकों में बिजली की स्थिति और भी खराब है.
शुक्रवार को बिजली मुख्यालय से ही बंद थी. देर रात से स्थिति में सुधार हुआ है. शनिवार से बिजली आपूर्ति सामान्य हो गयी है. यह सही है कि नेशनल ग्रिड से डिसकनेक्ट होने के बाद बिजली आपूर्ति में थोड़ी परेशानी हो रही है.
एससी मिश्रा, कार्यपालक अभियंता, मेदिनीनगर विद्युत आपूर्ति क्षेत्र
गढ़वा को छह से आठ घंटे ही मिल रही बिजली
गढ़वा. पिछले एक सप्ताह से गढ़वा में बिजली व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है. जिला मुख्यालय में बमुश्किल छह से आठ घंटे ही बिजली मिल रही है. वहीं ग्रामीण इलाकों के कुछ क्षेत्रों में एक घंटा तो कहीं-कहीं वह भी नदारद है. पिछले 48 घंटों में गढ़वा को महज आठ घंटे बिजली किस्तों में मिली है.
क्यों हो रही है परेशानी
गढ़वा को 70 मेगावाट बिजली की जरूरत है. लेकिन अभी मात्र 20 मेगावाट बिजली ही मिल पा रही है. इसमें गढ़वा जिला के अलावा पलामू के कुछ भाग को भी बिजली दी जाती है.
यूपी- बिहार पर आश्रित है गढ़वा की बिजली
गढ़वा जिले की बिजली व्यवस्था उत्तर प्रदेश एवं बिहार पर निर्भर है. बिहार के सोननगर एवं उत्तर प्रदेश के रिहंद से 30-30 मेगावाट बिजली का करार है. लेकिन करार के मुताबिक बिजली नहीं मिलती. इसमें से सोननगर से मिलनेवाली बिजली गढ़वा रोड (पलामू) में रेलवे को दी जाती है तथा रिहंद से मिलनेवाली 20-25 मेगावाट बिजली गढ़वा-पलामू को अापूर्ति की जाती है.
कोडरमा में औसतन 14 घंटे मिल रही है बिजली
कोडरमा. जिले में विद्युत विभाग के लाख दावों के बावजूद बिजली व्यवस्था नहीं सुधर रही है. यहां शहरी इलाके में औसतन 14 से 16 घंटे बिजली मिल रही है. ऊपर से कई इलाकों में लो वोल्टेज के कारण न तो घरों का इन्वर्टर चार्ज हो रहा है और न ही पानी का मोटर चल रहा है. शहरी इलाके से खराब हालत ग्रामीण इलाकों की है. ग्रामीण इलाकों में तो मुश्किल से 10-12 घंटे बिजली लोगों को मिल रही है. एक-दो प्रखंडों में तो बिजली जाने के बाद घंटों नहीं आती. औद्योगिक क्षेत्र डोमचांच का भी हाल बुरा है.
क्या कहते हैं अधिकारी
अरबन इलाके में पिछले पांच दिनों में औसतन 18 घंटे और ग्रामीण इलाके में औसतन 16 घंटे बिजली दी जा रही है. पूरे जिले को अभी लगभग 40 मेगावाट बिजली उपलब्ध हो रही है. जबकि जरूरत 60 मेगावाट की है. ऐसे में शेडिंग कर हर इलाके में विद्युत की आपूर्ति की जा रही है. डीवीसी से अतिरिक्त 25 मेगावाट बिजली लेने की कोशिश हो रही है. स्वीकृति मिलते ही विद्युत की स्थिति में और सुधार होगा.
विजय प्रसाद महतो, एसडीओ, कोडरमा
चतरा के ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र तीन-चार घंटे ही मिल रही बिजली, बढ़ी परेशानी
चतरा. चतरा जिला मुख्यालय व इटखोरी प्रखंड को छोड़कर अन्य प्रखंडों को नियमित बिजली नहीं मिल रही हैं. 24 घंटे में मात्र तीन-चार घंटे ही बिजली मिल रही है. बरही व इटखोरी के बीच 33 हजार लाइन में हमेशा फॉल्ट होते रहता है. इस कारण शहर में भी बिजली आपूर्ति ठप हो जाती है. सबसे अधिक परेशानी कटकमसांडी फीडर से विद्युत आपूर्ति होनेवाले सिमरिया, लावालौंग, गिद्धौर व पत्थलगड्डा के उपभोक्ताओं को हो रही है. कटकमसांडी पावर सब स्टेशन से फॉल्ट के नाम पर लाइन काटकर छोड़ दिया जाता है. इसके अलावा कुंदा, हंटरगंज, प्रतापपुर, टंडवा को नियमित बिजली नहीं मिल रही है.
क्या कहते हैं कार्यपालक अभियंता
चतरा को 50-55 मेगावाट बिजली की आवश्यकता है. इसमें 25 मेगावाट ही बिजली मिल रही है. शहर को 16-18 घंटे बिजली मिलती है. जबकि रूरल एरिया को आठ-दस घंटे बिजली मिल रही है. सिमरिया, पत्थलगड्डा को हजारीबाग से बिजली आपूर्ति की जाती है. वहां कम बिजली मिल रही है. पावर बढाने के लिए कई बार उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा गया है. एक माह के बाद बिजली की स्थिति में सुधार होगी.
राजेश कुमार मिश्रा, कार्यपालक अभियंता, चतरा
लातेहार में पांच से सात घंटे ही बिजली
लातेहार. लातेहार जिला मुख्यालय में विगत पांच दिनों में बमुश्किल पांच से सात घंटे ही बिजली मिल पा रही है. 20 जुलाई को लातेहार में सुबह 10 बजे गुल हुई बिजली शाम सात बजे बहाल हुई थी. उसके बात प्रति आधा घंटा में बिजली गुल हो जा रही थी. इसके बाद दिन भर बिजली का आना-जाना लगा रहा. बिजली लगातार एक से दो घंटे कभी नहीं रही.
हजारीबाग के बड़कागांव-केरेडारी में सिर्फ पांच घंटे मिल रही है बिजली
हजारीबाग. हजारीबाग में शहरी क्षेत्र में 19 घंटा और ग्रामीण क्षेत्रों में 10 से 12 घंटा प्रतिदिन औसतन बिजली की आपूर्ति हो रही है. बड़कागांव प्रखंड में प्रतिदिन मात्र पांच घंटा आपूर्ति हो रही है. बिजली आपूर्ति कम और तकनीकी कमी का कारण बता कर लोड शेडिंग पूरे क्षेत्र में हो रहा है. बड़कागांव केरेडारी कोयला खनन के साथ साथ कृषि बहुल इलाका है. बिजली की कमी के कारण खेतों में बिजली से सिंचाई का काम प्रभावित है.
क्या कहते हैं अधिकारी
इस क्षेत्र में बिजली की खपत एकाएक बढ़ गयी है. आपूर्ति कम हो रही है. इस कारण क्षेत्र में लोड शेडिंग बढ़ा है.
संजय कुमार, जेई, हजारीबाग क्षेत्र
गोला-रजरप्पा में आठ घंटे तक बिजली की कटौती
रामगढ़. रामगढ़ के शहरी क्षेत्र में अपेक्षाकृत बिजली बेहतर है. लेकिन गोला, रजरप्पा व इसके ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था दयनीय है. रामगढ़ शहर में विगत एक सप्ताह में लगभग 20 घंटे विद्युत आपूर्ति हो रही है. कुजू, मांडू समेत कोयलांचल क्षेत्रों में भी 18 से 20 घंटे तक बिजली रह रही है. जिले में सबसे अधिक परेशानी गोला-रजरप्पा क्षेत्र में हैं. यहां लगभग आठ घंटे विद्युत कटौती की जाती है. इस संबंध में विद्युत विभाग के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि जिले में सुचारू रूप से बिजली दी जा रही है. लाइन में खराबी आने से विद्युत आपूर्ति बाधित होती है.

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