नये कानून के जरिए मानव तस्करी पर नकेल कसने की तैयारी
रांची : केंद्र सरकार नये कानून के जरिए मानव तस्करी पर नकेल कसने की तैयारी में है. इसके तहत ट्रैफिकिंग ऑफ पर्संस (प्रीवेंशन, प्रोटेक्शन एंड रिहैबिलिटेशन) बिल 2018 का प्रस्ताव तैयार कर सदन में पारित करने के लिए रखा गया है. केंद्रीय महिला और बाल विकास विभाग की तरफ से बिल को सदन में पेश […]
रांची : केंद्र सरकार नये कानून के जरिए मानव तस्करी पर नकेल कसने की तैयारी में है. इसके तहत ट्रैफिकिंग ऑफ पर्संस (प्रीवेंशन, प्रोटेक्शन एंड रिहैबिलिटेशन) बिल 2018 का प्रस्ताव तैयार कर सदन में पारित करने के लिए रखा गया है. केंद्रीय महिला और बाल विकास विभाग की तरफ से बिल को सदन में पेश कर दिया गया है. केंद्र सरकार की तरफ से नेशनल एक्शन ऑफ को-ऑर्डिनेशन ग्रुप (नैग) भी गठित किया गया.
राष्ट्रीय स्तर की जांच एजेंसी होगी गठित
नैग के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष संजय मिश्र ने बताया, यह विधेयक ध्वनिमत से पारित होकर कानून बन जाये, तो काफी कारगर साबित होगा. इसमें कहा गया है कि देश की 130 करोड़ की आबादी में 1.8 करोड़ से अधिक लोग मजदूर की तरह काम कर रहे हैं. इसके तहत राष्ट्रीय स्तर की जांच एजेंसी गठित की जायेगी. यह एजेंसी सभी राज्यों में भ्रमण कर मानव तस्करी में संलिप्त लोगों को गिरफ्तार करेगी. इसमें सभी तरह की ट्रैफिकिंग की गतिविधियां शामिल की गयी हैं. इसमें मानव व्यापार, ड्रग्स की खरीद-बिक्री, मजदूरों की जबरन तस्करी, तस्करी किये गये बच्चों के साथ यौन शोषण, मानव अंगों का व्यापार और बाल विवाह जैसी कुरितियों को शामिल किया गया है. मानव तस्करी से छुड़ाये गये बच्चों, बच्चियों के उचित पुनर्वास को लेकर पुनर्वास फंड गठित करने की बातें भी कही गयी हैं. इसका लाभ सभी छुड़ाये गये बच्चों को मिलेगा.
लापरवाह अधिकारी नपेंगे
राज्य सरकारों को संबद्ध अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करने का अधिकार होगा. यदि ये प्रतिनियुक्त अधिकारी अपने दायित्व का निर्वहन नहीं करेंगे, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी और सजा भी मिलेगी. मानव तस्करों के लिए 10 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा देने का प्रावधान किया गया है. मानव तस्करी से संबंधित मामलों का फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई करने का प्रावधान किया गया है, ताकि दोषियों को त्वरित सजा दी जा सके. सजा के बिंदू भी जल्द तय किये जा सकें.
झारखंड से सलाना 12 हजार से अधिक बच्चों की होती है तस्करी
नैग के कोषाध्यक्ष संजय मिश्रा ने बताया कि झारखंड से सलाना 12 हजार बच्चे, बच्चियों की तस्करी होती है. झारखंड में मानव तस्करी को रोकने के लिए एटसेक, साउथ एशिया वायलेशन इंडिंग चिल्ड्रेन (साइवाग) की तरफ से कई वर्षों से काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बच्चों की तस्करी रोकने के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी बचपन बचाओ आंदोलन के तहत लंबे समय से कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कोडरमा, पलामू और अन्य जिलों में बाल मजदूरी उन्मूलन अभियान भी चलाया है.